For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" गोल्डन जुबली अंक

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।
 
पिछले 49 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलमआज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" गोल्डन जुबली अंक

विषय - "भारत बनाम इंडिया"

आयोजन की अवधि- 12 दिसम्बर 2014, दिन शुक्रवार से 13 14 दिसम्बर 2014, शनिवार रविवार की समाप्ति तक  (यानि, आयोजन की कुल अवधि दो तीन दिन)


बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए.आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

 

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
हाइकू
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :- 

  • सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक ही दे सकेंगे, ध्यान रहे प्रति दिन एक, न कि एक ही दिन में दो. गोल्डन जुबली अंक हेतु इस कंडिका को शिथिल किया जाता है, अर्थात सदस्यगण प्रदत्त विषय से न्याय करती हुई 2 से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत कर सकते हैं ।  
  •  रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
  • रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
  • प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.


सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है. 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं. 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.   

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 12 दिसम्बर 2014,दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा) 

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तोwww.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
 

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें
मंच संचालिका 
डॉo प्राची सिंह 
(सदस्य प्रबंधन टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

Views: 11240

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

क्या कहूँ, क्या-क्या कहूँ ? कितना कहूँ, कितना-कितना कहूँ ?
इस प्रस्तुति के शिल्प या विधान पर कुछ कहने का मन बना कि इसकी भावभरी पंक्तियों और अत्यंत सुगढ़ संप्रेषणीयता ने रोक दिया. मैं रुक भी गया. क्यों कि सिवा ’लम्म्म्म्बाई’ के रचना पर नकारात्मक कहने को ऐसा महत्त्वपूर्ण कुछ भी नहीं है. कोई साहित्यिक गेय रचना इतनी लम्बी नहीं होनी चाहिये.

लेकिन इस रचना में जो कुछ सकारात्मक है, उस पर मैं घण्टों बोल सकता हूँ, पन्नों लिख सकता हूँ. (आइ'म बट श्योर). और फिर भी बहुत कुछ बच जायेगा जो मन में कुलबुलाता रहेगा.

आपने भारत के नाम पर गाँव का जैसा चित्र खींचा है कि मैं बहता गया हूँ, आदरणीय गोपाल नारायनजी. यही इस रचना का यूएसपी भी है. इण्डिया के नाम कही गयी बातें आजका मेट्रोपोलिटन ढंग है, जिसे न चाहते हुए गटकना पड़ रहा है. ऐसी ’तीतर-बटेरी’ परिपाटि शायद ही कहीं किसी देश में व्यापी हो जहाँ का इतिहास इतना गहन और समृद्ध है. चीन को ही देख लें. सबकुछ के बावज़ूद चीन ने अपनी संस्कृति को दोगली होने से बचाये रखा है. या जापान को देख लें जो आज भौतिकता के अत्यंत उच्च शिखर पर बैठा है. परन्तु, वहाँ के लोगों ने अपनी मूल संस्कृति और अपने संस्कारों से कोई समझौता नहीं किया है. न ’स्वतंत्रता’ और ’राइट टू स्पीच ऐण्ड ऐक्ट’ के नाम छिछोरी अव्यवस्था ओढ़ रखी है.
आपकी इस रचना ने विचारों को मुखर करदिया है.
 
उत्ताल तरंगे भरकर उड़ता जाता पुरवैय्या  .. इस पंक्ति में ’उड़ती जाती’ होना था न, आदरणीय ? पुरवैय्या सदा से ’उड़ती-बहती’ ही आयी है.

वैसे, आदरणीय, एक खुर्राट प्रश्न.

भारत मात्र गाँव या ग्रामीण (या खुल कर कहें तो भदेसपन) का ही परिचायक हो ? ऐसा उचित है क्या ? या जो कुछ शहरी है वह विसंगतियों से भरा है ? इसलिए इण्डिया का परिचायक है ? ऐसा होना चाहिये क्या ? किन्तु, आज ऐसा ही हो रहा है. है न ? ..

सोचियेगा. हम आजकी भौतिक प्रगति को नकार कर क्या कुएँ के मेंढक का व्यवहार करना चाहते हैं ?
सादर

आदरणीय सौरभ जी

आपकी विस्तृत विवेचना से मन भर आया i यह आपका प्रेम है

उडती जाती पुरवैय्या  ही सही है स्वीकार्य है i

आपका खुर्राट प्रश्न भी उचित है -- मैं भी सोचता हूँ भारत में जो कुछ पुराना है सब वर्तमान  में स्वीकार्य नहीं है उसी प्रकार इंडिया में जो कुछ नया है वह सब अस्वीकार्य भी नहीं है पर जब बात भारत और इंडिया की होती है तो हमें  इंडिया शब्द से विदेशीपन की बू आती है i अन्ग्रेजियत कीबू आती है क्यों  हम अपने देश को इंडिया के बजाय भारत न कहें i अँग्रेज़ चले गए इंडिया छोड़ गए i हमारे देशभक्त नेताओ को अंग्रेजो से परहेज था तो इंडिया शब्द से क्यों नहीं i विश्व पटल पर इंडिया के स्थान पर भारत अंकित होने में  हमारी क्या हानि  है  i  राजनेता  ऐसा क्यों नहीं सोचते i देश ऐसा क्यों नहीं सोचता  ? सादर i

आपको विश्वास न हो आदरणीय अपने संविधान की प्रस्तावना (प्रिएम्बल) ही ’इण्डिया दैट इज भारत’ की घोषणा करती हुई है. अब जब भारत का परिचय ही इण्डिया नाम की धमक देती हो तो आगे क्या कहा जाय. फिर, आपको मालूम हो कि तमिळनाडु में प्रशासकीय स्तर पर अपने देश को इण्डिया ही कहते हैं न कि भारत. यानि तमिळ भाषा में भारत न लिख-बोल कर इण्डिया कहा जाता है. वह तो भला हो कुछ अति उत्साही ’संस्कृत भारती’ या दक्षिणपंथियों का (जिन्हें आरएसएस वाले कह कर स्नॉबिश सेक्युलरिस्ट लाख नाक-भौं सिकोड़ते रहें) कि अब देश के नाम पर ’भारत’ शब्द सुनने को या लिखा हुआ मिल रहा है.
ऐसे में नेताओं की क्या बात की जाय जिनकी सोच ही एन-केन-प्रकारेण स्वयं को लाभ पहुँचाना है.

सादर i

क्लब है डिस्को है पब है
है पॉप आइटम सब है
सब अंगरेजी के जातक
इनका रखवाला रब है
ऊपर वाला ही इनका है इस जग से उठ्वैय्या

कुंठा हिंसा नफरत है
इंडिया स्वार्थ में रत है
सब प्रकृति वर्जना करते
दहशत में यह कुदरत है
मै हाल कहाँ तक गाऊँ अब आओ कृष्ण कन्हैया

बहुत सुंदर आदरणीय डॉ गोपाल नरायन श्रीवास्तव जी … भारतीय संस्कृति में लिप्त विदेशी संस्कृति को बहुत ही मनमोहक अंदाज़ में आपने चित्रित किया है जो वर्तमान परिपेक्ष्य में सटीक चित्रण है। इस सुंदर प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक बधाई।

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , क्या बात है , बहुत लाजवाब गीत रचना की है आपने , आपकी रचनाओं मे से नम्बर 1 मे रखने लायक । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण सर बेहतरीन रचना है बहुत बहुत बधाई आपको

भारत माँ का नाम रहे

विश्व के प्राचीन देशों में, भारत का जाना नाम था  

रामराज्य भी था भारत में, इसका सबको भान था |

सोने की चिड़ियाँ माने जो, देख इधर रुझान किया

आँख गडाए मँडराते जो, आ भारत में व्यापार क्या |

 

अकबर महान हुए दुनिया में, नवरत्नों की पह्चान लिए

दूजा हुआ न चन्द्र गुप्ता सा, राजनीति के चाणक्य लिए

अशोक महान भी जाने जाते, जो जन जन के आदर्श बने

महाराणा सा देश भक्त नहीं, जो आन बान की शान बने

 

साधू संतों का देश कहे,  ऋषियों मुनियों का देश यही

दधिची से देहदानी हुए,  परशुराम से वंशधर भी यही |

वेद पुराण दिए जगत को, कर्म का गीता में सन्देश है

शिक्षा के केंद्र बने देश में, विश्व में नालंदा का नाम है |

 

भारत देश हुआ दुनिया में, जिंसने सबको  मान दिया

डच फ्रांसिस और पुर्तगाल से सबने डेरा डाल दिया |

अंगुली पकड़ते बढते जाते भारत भर में फैलाव लिया

भारत उनको साल रहा था, इंडिया इसको नाम दिया |

 

अतिथि देवों भवः समझते, शरणागत को मान दिया

शरागत माना जिनको भी उसने डसने का काम किया |

गरल तो रखते हम भी है, पर क्षमा का वरदान लिया

आखिर प्लासी के युद्ध ने, हमको भी संज्ञान दिया |

 

स्वतंत्रता की ठान मन में, झाँसी ने भी त्राण किया

मंगल पाण्डे तात्या टोपे, सबने जीवन होम किया |

गांधी जी ने किया अजूबा हिंसा का भी त्याग किया

बिन हथियार उठाएं देखो खदेड़ शत्रु को बाहर किया |

 

देश हमारा भारत ही है, माँ वसुधा का यह गौरव है

माने अब भी सभी विश्व में,खिले यही पर सौरभ है |

निर्मल जल और स्वच्छ रहे तो भारत की शान रहे

मस्तक उंचा रहे सदा ही, भारत माँ का नाम रहे |

(मौलिक व अप्रकाशित)

भारत देश हुआ दुनिया में, जिंसने सबको  मान दिया

डच फ्रांसिस और पुर्तगाल से सबने डेरा डाल दिया |

अंगुली पकड़ते बढते जाते भारत भर में फैलाव लिया

भारत उनको साल रहा था, इंडिया इसको नाम दिया |-----प्रदत्त विषय को सार्थक करती पंक्तियाँ 

आ० लक्ष्मण जी बहुत ही सुन्दर भारत से इण्डिया तक के सफ़र को बाखूबी दर्शाया है प्रस्तुति में ...बहुत बहुत बधाई आपको 

 रचना आपको  सार्थक  लगी, यह मेरा सौभाग्य  है  आपका बहुत बहुत  आभार  आदरणीया राजेश  कुमारी  जी 

अच्छी प्रस्तुति है आ० लडीवाला जी। बधाई स्वीकारें।

गोल्डन जुबली अंक के लिए प्रस्तुत रचना सराहने  के  लिए  आपका अतिशय  आभार  आद  श्री योगराज  भाई  जी 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
8 hours ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
17 hours ago
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
yesterday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सत्तरवाँ आयोजन है।.…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service