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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-24 (विषय: अनुत्तरित प्रश्न)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के 24 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत हैI प्रस्तुत है:
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-24
विषय : "अनुत्तरित प्रश्न"
अवधि : 30-03-2017 से 31-03-2017 
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि भी लिखे/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
5. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
6. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
7. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
8. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
9. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी साहिब आदाब,प्रदत्त विषय को सार्थक करती बढ़िया सन्देशप्रद लघुकथा लिखी आपने,सच हे बच्चों की परवरिश में माँ बाप दोनों की ही ज़िम्मेदारी बनती है,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब समर कबीर साहब हौसला अफ़ज़ाई हेतु।

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी।गोष्ठी में सहभागिता हेतु।आपकी लघुकथा आपके क़द के मुताबिक बन नहीं पाई।हम सब आपसे ज्यादा उम्मीद लगाकर रखते हैं। कभी कभी ऐसा हो जाता है।हम खुद यह निर्णय नहीं कर पाते कि इस रचना का  क्या परिणाम होगा।सादर।

रचना में सुधार व अगली बार अच्छा सार्थक लिखना की कोशिश करूँगा। रचना पर समय देकर मार्गदर्शित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब तेजवीर सिंह जी।
Achhi laghukatha hai adarniya Shahzad ji .hardik badhayi .
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय कल्पना भट्ट जी।
आदरणीय उस्मानी जी आपकी लघु कथा बड़ी गंभीर होती है आपकी हर लघु कथा में एक जबरदस्त चिंतन होता हैइस रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर
पुनः हौसला अफ़ज़ाई हेतु सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्रा जी।
बढ़िया लघुकथा है आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी। हालाँकि विशिष्ट क्षेत्र में बोले जाने वाले शब्दों के बिना भी इस लघुकथा पर कोई विशेष अन्तर नहीं पड़ता। मेरी तरफ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।
जी, बिलकुल सही कहा आपने। मैं अपने क्षेत्र की बोली शब्दों के चक्कर में पड़ गया था। सरलीकरण कर सकते हैं। विचार साझा करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब महेन्द्र कुमार जी।

कथा अपना सन्देश देने में तो सफल लगती है लेकिन काफी उलझी हुई भी लगती है जिसे मेरे जैसा सामान्य पाठक पूरी तरह से समझ नहीं पाता| बधाई इस रचना के लिए

जी, मध्यप्रदेश के कुम्हारों वाले शब्द लेने से ऐसा हुआ। रचना पर समय देकर विचार साझा करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब विनय कुमार जी।

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