For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 178 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा जनाब 'बशीर बद्र' साहिब की ग़ज़ल से लिया गया है |

'बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला'

मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन
1212 1122 1212 22/112

मुज्तस मुसम्मन मख़्बून महज़ूफ़ मुसक्किन

रदीफ़ --न मिला

क़ाफ़िया:-(ई की तुक)
अजनबी,दोस्ती,ख़ुशी, कभी, वही आदि...

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन होगी । मुशायरे की शुरुआत दिनांक 25 अप्रैल दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 26 अप्रैल दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 25 अप्रैल दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक...

मंच संचालक

जनाब समर कबीर 

(वरिष्ठ सदस्य)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 1320

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी

— चढ़ता हुआ नशा  " सुरूर " कहलाता है 

— उतरता हुआ नशा  "ख़ुमार "कहलाता है 

     जिसे अंग्रेज़ी में हैंगओवर भी कहते हैं 

"नशे में इश्क़ के तू होश को कभी न मिला

  ख़ुमार रात का रहने दे ताज़गी न मिला"

"तू नेकियों के समंदर में यूँ बदी न मिला

कि दोस्ती में हमारी तू दुश्मनी न मिला"

"अँधेरी ज़ीस्त में अल्लाह रौशनी न मिला

गमों का दौर है भाया यहाँ ख़ुशी न मिला"

*

//जबाँ से फूल झरे दिल में आँधियाँ भी उठीं 

समझ ले अर्थ जो इसके वो पारखी न मिला।४।//

 

—ठीक है वैसे लाक्षणिक अर्थ में जौहरी भी ठीक था

     पर पारखी से बात और साफ़ हो गई। सादर 

अप्रतिम सृजन हुआ है आदरणीय जी 🙏🙏

आ. लक्ष्मण जी,

ग़ज़ल पर अमित जी टिप्पणी कर ही चुके हैं.
आपका भावपक्ष हमेशा से प्रबल रहा है, कला पक्ष पर थोड़ी मेहनत की और दरकार है.
जौहरी वाला शेर अच्छा बन पड़ा है ..
बधाई स्वीकार करें 

आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और सुझाव के लिए आभार। मिसरों में बदलाव किया है। मार्गदर्शन करें।
**
नशा है इश्क़ का इसमें तू बेख़ुदी न मिला
सुरूर रात का  रहने  दे  ताजगी  न मिला।।
*
किसी के प्यार में तू अपनी दुश्मनी न मिला
जमा  है  रंग  अभी  उसमें  सादगी न मिला।।
*
गयी  थीं  रूठ  बहारें  मना  न  पाया जब
गमों का दौर है भाया यहाँ ख़ुशी न मिला।।
*
'जौहरी' शब्द पर भाई अमित जी की आपत्ति है। इस पर आपका मार्गदर्शन भी चाहता हूँ। वैसे अमित जी के सुझवानुसार बदलाव किया है। मार्गदर्शन करने की कृपा करें। सादर-
*
जबाँ से फूल झरे  दिल  में आँधियाँ भी उठीं 
समझ ले अर्थ जो इसके वो पारखी न मिला।४।

आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार

ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिये

अमित जी ने ख़ूब इस्लाह की है ग़ज़ल निखर जाएगी

सादर

आ. रिचा जी अभीवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।

आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें।

आज से ठीक तीन साल पहले तरही मुशायरा अंक 142 में इसी तरही मिसरे वाली ग़ज़ल के अन्य मिसरे पर आप एक ख़ूबसूरत ग़ज़ल पेश कर चुके हैं, इस बार ग़ज़ल के लिये वक़्त भी कुछ तंग रह गया है शायद, जिस वजह से ग़ज़ल ज़रा पीछे रह गयी है, मगर आप अपनी सलाहियत से इसे बहतर करने पर क़ादिर हैं।

आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन,  सुझाव और  पुरानी गजल की याद दिलाने के लिए आभार।  गजल की मिसरों में बदलाव किया है। मार्गदर्शन करें।
**
नशा है इश्क़ का इसमें तू बेख़ुदी न मिला
सुरूर रात का  रहने  दे  ताजगी  न मिला।।
*
किसी के प्यार में तू अपनी दुश्मनी न मिला
जमा  है  रंग  अभी  उसमें  सादगी न मिला।।
*
गयी  थीं  रूठ  बहारें  मना  न  पाया जब
गमों का दौर है भाया यहाँ ख़ुशी न मिला।।
*
जबाँ से फूल झरे  दिल  में आँधियाँ भी उठीं 
समझ ले अर्थ जो इसके वो पारखी न मिला।४।

आदरणीय लक्ष्मण भाई , बढ़िया ग़ज़ल कही है , बधाई 

आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। 

आ. भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' ग़ज़ल का आपका प्रयास अच्छा ही कहा जाएगा, बंधु! वैसे आदरणीय भाई Euphonic अमित जी के सुझाव बहुत उपयोगी है, ध्यान दीजिएगा ! अस्तु !

1212 1122 1212 22/112


तमाम लोग मिले हमको दोस्त ही न मिला

हमारे वास्ते अहबाब एक भी न मिला १

ख़लिश रहेगी हमेशा यही मेरे दिल में

मेरा रहा तू मगर क्यों मुझे कभी न मिला 2

नया है शहर मगर ख़ूब प्यार इसने दिया

है अपनापन सभी में कोई अजनबी न मिला ३

भटक रही हूँ कि पाए क़रार ज़ीस्त मेरी

तलाशती रही जिसको कहीं वही न मिला ४

दिलों को जीतने का फ़न है इस महब्बत में

किसी को आज तलक भी ये राज़ ही न मिला ५

तुम्हारे प्यार से रौशन हुआ जहाँ मेरा

अकेला छोड़ के इसमें तू तिरगी न मिला ६

समझ रही थी जिसे दोस्त वो ये बोला आज

“रिया” है इश्क़ मुझे इसमें दोस्ती न मिला ७

गिरह

“न जाने क्यों सभी किरदार पहने रहते हैं

“बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला “

“मौलिक व अप्रकाशित “

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई के साथ-साथ धन्यवाद भी। कि, इस पटल पर, इस खुले आयोजन…"
4 hours ago
Chetan Prakash commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"वाकई  खूबसूरत शुद्ध हिन्दी गजल हुई, आदरणीय! "कर्म हम रणछोड  के अनुसार भी करते…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीया रक्षिता जी,  आपकी इस कविता में प्रदता शीर्षक की भावना निस्संदेह उभर कर आयी…"
5 hours ago
Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक शेर की विषय - वस्तु…"
7 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"धन्यवाद भाई लक्ष्मण धामी जी "
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service