For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

‘क्या बात करते हो दद्दू ,प्रयास में कमी?’- मैंने झुंझलाकर कहा, ‘अरे हम जमीन आसमान एक कर दिए. कहाँ-कहाँ नहीं दौड़े. जिसने जहाँ बताया भाग-भागे गये. अख़बारों के मेट्रोमोनियल्स छान मारे, बड़े-बड़े घमंडी अह्मकों के आगे दामन फैलाया पर नतीजा वही सिफ़र. दो-तीन जगह तो दिखाई भी हुई, दो-एक लोगों ने पसंद भी किया, विवाह के लिये हाँ भी कर दी पर बाद में मुकर गए. इतना भी न सोचा कि लडकी पर क्या गुजरेगी. माँ-बाप पर क्या बीतेगी. जुबान की तो ससुरी कोई कीमत ही नही.’

‘धीरज धरो, छोटे’ – दद्दू ने सांत्वना दी, ‘भटकना तो पडेगा ही पर जब बात बननी होगी तोफिर चट मंगनी पट व्याह हो जाएगा और पता तक न चलेगा ‘

‘मुझे तो बिटिया का भाग्य ही खोटा लगता है .” – मैंने निराश होकर कहा .

‘बस--- यही मुझे बुरा लगता है ‘- दद्दू एकदम भडक गए, ‘थोड़ी भाग–दौड़ और जद्दोजहद कर आदमी उकता जाते हैं और सीधे कन्या के भाग्य पर उतर आते है, खुद भी नहीं सोचते कि इससे लडकी के दिल पर क्या गुजरेगी ’

बड़े भाई की डांट खाकर मैं चुप हो गया. इतने में मेरे मोबाईल की घंटी बजी.

‘हल्लो--------‘

‘भाई साहिब मैं कुन्दनपुर से बोल रही हूँ ‘

‘हाँ भाभी जी कहिये’ – मेरा मन उत्साह से भर उठा.

‘भाई साहिब, मुबारक हो, लड़के ने हाँ कर दी है, अब आप गोद भराई की तैयारी कीजिये. वरीक्षा भी वहीं हो जायेगी. आप तिथि पक्की कर मुझे बताएं और ध्यान रहे इस काम में मैं अब देर नहीं चाहती, शुभस्य शीघ्रम होना चाहिये, एक बार फिर से आपको बधाई’

फोन कट गया. यह वर की विधवा माँ का फोन था. मेरी बांछे खिल गयीं. दद्दू की अनुभवी आँखों ने ताड़ लिया कि कोई महत्वपूर्ण खुशी की बात है.

‘क्या हुआ छोटे, बड़े खुश नजर आ रहे हो, किसका फोन था ?’

‘लाटरी निकल आयी दद्दू‘ - मैंने विजेताओं के स्वर में कहा. आपकी भतीजी की शादी पक्की हो गयी. मैंने अपनी पत्नी को बुलाया और सारी बाते विस्तार से बतायी, सभी के चेहरे प्रसन्न थे. ठीक इसी समय किसी भयावह आंधी-तूफ़ान की तरह बेटी ने कक्ष में प्रवेश किया –‘मैं यह शादी नहीं  करूंगी, पापा’

मेरे हाथो के तोते उड़ गए. सारी खुशी सहसा काफूर हो गयी. मैंने उठने की कोशिश की.

‘यह क्या कह रही हो बिटिया . पत्नी ने अकुलाकर कर कहा .

‘मैंने सच कहा, मुझे नहीं करनी यह शादी. लडका मुझे पसंद नहीं ‘

बेटी उलटे पाँव लौट गयी. मेरे पैर अचानक लड़खड़ाने लगे. पत्नी ने मुझे सँभालने की कोशिश की पर कामयाब न हो सकी मैं एक कटे वृक्ष की भाँति जमीन पर ढह गया .

(मौलिक /अप्रकाशित)

Views: 802

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 4, 2018 at 4:16pm

वैवाहिक सम्बन्ध को लेकर सदा चिंता रहती है विशेषकर बेटियों की | किसी तरह लड़के वालों की स्वीकृति मिल जाय तो कुशी होना स्वाभाविक है | किन्तु जैसे ही लडकी की ना हो या अन्य कोई कारण पिता अपने आपको थका हुआ और ठगा सा महसूर कर पराजित योद्धा की भाति निराश हो जाता है | सुंदर और यथार्त लघुकथा के लिए बधाई आदरणीय डॉ.गोपाल नारायण जी 

Comment by Shyam Narain Verma on April 4, 2018 at 1:20pm
बेहद उम्दा ...बहुत बहुत बधाई आप को आदरणीय | सादर 
Comment by vijay nikore on April 4, 2018 at 9:54am

आपकी यह लघुकथा शूरू से अंत तक पढ़ते हुए जिज्ञासा उत्पन्न करती रही... आगे क्या... आगे क्या ... और पढ़कर आनन्द आता गया। हार्दिक बधाई, आदरणीय गोपाल नारायन जी

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 3, 2018 at 9:32pm

इस लघुकथा की सबसे अच्छी बात यह है कि चिर-परिचित कथानक और कथ्य होते हुए भी प्रस्तुतिकरण, शिल्प, प्रवाह और सटीक सार्थक शीर्षक बहुत ही उम्दा और आकर्षक होने के साथ ही जिज्ञासापूर्ण, दिलचस्प, सहज,सरल और समसामयिक विचारोत्तेजक है। सादर हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ. गोपल नारायण श्रीवास्तव जी।

Comment by Sushil Sarna on April 3, 2018 at 4:08pm

परम् आदरणीय डॉ गोपाल नारायण जी परिस्थितियों के ताने बाने से गुजरती एक भावपूर्ण लघुकथा का सृजन हुआ है सर। दिल से बधाई स्वीकार करें सर।

Comment by Neelam Upadhyaya on April 3, 2018 at 12:41pm

आदरणीय गोपाल नारायण जी, नमसकर । अच्छी लघुकथा की प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Samar kabeer on April 3, 2018 at 10:58am

जनाब डॉ.गोपाल नारायण जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service