For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

होरी खेलें लखनौआ , गंज माँ होरी खेलें लखनौआ

कुर्ता पहिन पजामा पहनिन, सुरमा लग्यो निराला

अच्छे-अच्छे रंग छांड़ि के रंग पुताइन काला

खाक छानि कै गली-गलिन कै मस्त लगावें पौआ

गंज माँ होरी खेलें लखनौआ

 

चौराहन पर मटकी फोरें भर मारें पिचकारी

फगुआ गावैं बात-बात पर मुख से निकसै गारी

भौजी तो हैं भारी भरकम देवर हैं कनकौआ

गंज माँ होरी खेलें लखनौआ

 

गली -मुहल्ले के लड़के हैं सब लखनौआ बाँके

प्यासी आँखों से तिरिया के अंतर्तन माँ झाँके

ऊपर तो है ठाठ नवाबी अंदर से हैं कौआ

गंज माँ होरी खेलें लखनौआ

 

रंग-तरंग अजब कुछ ऐसी हुरियारन कै बाढी

एक नवाब परे नरिया माँ, खूसट ह्वैगे दाढी

बने हजामत कैसे अब तो ढूंढें मिले न नौआ

गंज माँ होरी खेलें लखनौआ

 

कैसे-कैसे हरिणाकश्यप आज अबै लग ज़िंदा

केहिमा है ताकत जो उनकी रंचु कर सकै निंदा

कैसे उन्हें जलाओगे जो बड़े बड़े हैं खौआ ?

गंज माँ होरी खेलें लखनौआ

 

 (मौलिक/अप्रकाशित )

 

 

Views: 590

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on March 3, 2018 at 3:03pm

आपकी रचना पढ़ने में अच्छी लगी। आपको यहाँ देखने का सुख भी मिला, आदरणीय गोपाल नारायन जी।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 3, 2018 at 8:37am

मुहतरम जनाब गोपाल नारायण भाई साहिब ,बहुत ही सुन्दर होली गीत हुआ है । अजमेर में रहते हुए अपने इलाके की होली का आनंद आ गया ,मेरी तरफ से इस प्रस्तुति और होली की मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on March 2, 2018 at 11:03pm

आदरणीय गोपाल नारायण जी सादर अभिवादन सहज और आम बोल चाल की बोली में आपकी रचना अच्छी लगी मन प्रसन्न हुआ बधाई कुबूल कीजिये 

Comment by Mohammed Arif on March 2, 2018 at 10:28pm

आदरणीय गोपाल नारायण जी आदाब,

                               आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब की बात को स्वीकार करते हुए मुझे भी यह गीत कुछ समझ में आया और कुछ समझ में नहीं आया । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Samar kabeer on March 2, 2018 at 10:01pm

जनाब डॉ.गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,कुछ समझ में आया कुछ नहीं आया,लेकिन आपका गीत पढ़कर आनन्द बहुत आया,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

आपको होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service