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विकल विदा के क्षण

विकल विदा के क्षण

सिहरता सूनापन

संग्रहीत हैं अनायास उमड़ते  अनुभव

पता नहीं अब जीवन के इस छोर पर

प्रलय-पवाह  जो  भीतर  में  है

वह  बाहर  व्याप्त  हो  रहा  है,  या

स्तब्धता जो बाहर है, घुटती-बढ़ती

आकर समा गई है  हृदय  में  आज

मेरी कमज़ोरियों का रूपांकन करती

शोचनीय स्थिति मेंं मूलभूत समस्याएँ

अवसर-अनवसर झुठलाती हैं मुझको

उभरते हैं पुराने जमे दुखों के बुलबुले

दुख  में  छटपटाती  सलवटों  की

सीमा  रेखाएँ  होती  हैं  क्या ?

किसी उलझे गणित की जटिल

आत्म-चेतस  मनोभूमि  में

यह विडम्बना ही तो है जो हम जीते हैं

अन्तर्ध्वनित  सत्यों को  प्रमाणित  करते

अकसर हम कई वतसर नहीं बीता देते क्या

विशमय अभिशाप-सा  यह प्रश्न है गंभीर

इस पर भी आधी-आधी रात में

अर्ध-अचेतन स्थिति में 

अंधेरे के फैलाव में

तनाव में, घिराव में

प्रतीक्षातुर, गिनते ही रहते हैं हम

अशान्त साँसों की खतरनाक धड़कन

हार कर भी हार नहीं मानती है 

खंडित चेतना प्रलय के द्वार पर 

                --------

-- विजय निकोर

(मौलिक व अप्रकाशित

 

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Comment

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Comment by vijay nikore on January 10, 2018 at 7:34pm

//शब्दों का सुंदर चयन, भावों का निर्बाध प्रवाह , अनुपम सृजन//

इस सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार, आदरणीय सुशील जी। बीमारी के कारण विलम्ब के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 20, 2017 at 11:28pm

आ. भाई विजय जी, इस बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 20, 2017 at 7:07pm

बहुत प्रभावशाली प्रस्तुति हुई है आदरणीय विजय सर | हार्दिक बधाई |

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 19, 2017 at 9:52pm

आदरणीय विजय निकोरे सर हार्दिक बधाई स्वीकारें इस अद्भुत अभिव्यक्ति के लिए 

Comment by Mahendra Kumar on December 18, 2017 at 10:24pm

//अंधेरे के फैलाव में

तनाव में, घिराव में

प्रतीक्षातुर, गिनते ही रहते हैं हम

अशान्त साँसों की खतरनाक धड़कन// वाह!

इस उम्दा कविता हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आ. विजय निकोर जी. सादर.

Comment by Samar kabeer on December 18, 2017 at 5:13pm

जनाब भाई विजय निकोर जी आदाब,हमेशा की तरह एक उत्तम और प्रभावशाली प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Neelam Upadhyaya on December 18, 2017 at 12:48pm

आदरणीय विजय निकोर जी, सुंदर भावों से भरपूर सुंदर रचा की प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 17, 2017 at 8:27pm

जनाब विजय निकोर साहिब , सुन्दर भावों को दर्शाती उम्दा रचना हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं।

Comment by नाथ सोनांचली on December 17, 2017 at 4:35pm
आद0 विजय निकोर जी सादर अभिवादन। बेहतरीन भाव सम्प्रेषण, बहुत उम्दा। अंतर्मन को छूती इस रचना पर कोटिश बधाइयाँ।सादर
Comment by Mohammed Arif on December 17, 2017 at 11:44am

आदरणीय विजय निकोर जी आदाब,

                                   सुंदर, अनुपम अनुभूतियों से गूँथित प्रवाहमयी भावों का गुलदस्ता । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

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