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प्रधान संपादक
ग़ज़ल नo-१ (योगराज प्रभाकर)

नफरत का अन्धकार यूं फैला दिखाई दे

नाम-ओ-निशान अमन का मिटता दिखाई दे !



काशी दिखाई दे कभी का'बा दिखाई दे,

नन्हा सा बच्चा जब कोई हँसता दिखायी दे !



जिनको भी ऐतमाद है अपनी उड़ान पर

उनको आसमान भी छोटा दिखाई दे !



वो शख्स जिसकी नींद ही खुलती हो शाम को,

उसको ये आफताब क्यूँ चढ़ता दिखाई दे !



खिड़की ही जब नहीं है कोई घर के सामने,

फिर कैसे भला चाँद का टुकड़ा दिखाई दे !



श्रद्धा नहीं तो हर नदी पानी के सिवा क्या ?

श्रद्धा हो ग़र… Continue

Added by योगराज प्रभाकर on May 4, 2010 at 2:07pm — 15 Comments

ऐ खुदा इतना भी कमाल न कर

ऐ खुदा इतना भी कमाल न कर
ज़िंदगी में मौत सा हाल न कर
काँटों को इतनी तरज़ीह देकर
यूं फूलों का जीना मुहाल न कर
ये दुनिया इक मुसाफ़िर ख़ाना
इसमें बसने का ख़याल न कर
ग़मे दहर का झगड़ा लेकर
तूं अपने घर में बवाल न कर
दर्द का दरमाँ तड़फ ही है
करके मुहब्बत मलाल न कर
आग बहुत दुनिया में,पानी कम
ये आंसू बेवज़ह पैमाल न कर
याद कर वो माज़ी के मंज़र
तूं अपना बरबादे-हाल न कर
चांदनी की चाह में यूं न पगला
इन अंधेरों से विसाल न कर

Added by asha pandey ojha on May 4, 2010 at 1:30pm — 16 Comments

बिड़ला फाउंडेशन के सरस्वती-व्यास सम्मान के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित(प्रविष्टि भेजने की अंतिम तिथि ३१ मई-२०१०)

केके बिड़ला प्रतिष्ठान ने अपने दो प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कारों सरस्वती सम्मान और व्यास सम्मान के लिए 31 मई तक प्रविष्टियां आमंत्रित की है। विजेता को पांच लाख रूपए प्रदान किए जाएंगे।



प्रतिष्ठान के निदेशक निर्मल कांति भट्टाचार्य ने आज यहां बताया कि भारतीय भाषाओं के लिए दिए जाने वाले सरस्वती सम्मान 2010 के लिए वर्ष 2000 से 2009 के बीच प्रकाशित कृति पर विचार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस सम्मान के लिए काव्य, उपन्यास, लघु कहानियां, हास्य, व्यंग्य, नाटक, प्रस्ताव,…
Continue

Added by Admin on May 4, 2010 at 12:30pm — No Comments

कविता लिख रहा हु कविता की जरुरत हैं ,

कविता लिख रहा हु कविता की जरुरत हैं ,

ना सार की जरुरत हैं ना बिचार के जरुरत हैं ,

कविता लिख रहा हु कविता की जरुरत हैं ,



सोच हो समझ हो इसपर कोई ध्यान ना दे ,

अट पटा लिखे समाज को कुछ ज्ञान ना दे ,

अब लोग भी खोजने लागे कुछ येसा कुछ वैसा ,

समाज और संसकृति से ना लगाव हो जैसा ,

बस मन बहलाने वाला सब्द की जरुरत हैं ,

कविता लिख रहा हु कविता की जरुरत हैं ,



अब रामायण की बाते सुनाने के वास्ते ,

हर कोई से बिनती की चले आना साम को ,

पर बिना… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on May 3, 2010 at 3:00pm — 5 Comments

यह उनका अंदाज़ है

पहले प्यार सिखाते है

फिर दूर कही चले जाते है

ये उनका अंदाज़ है

यादों की भूलभुलैय्या में

सपनो को उलझाते है

चाहत की इस छैय्या में

नफरत की आग बरसाते है

ये उनका अंदाज़ है

आवारा भौरों की तरह

घूम घूम के आते है

मासूम कलियों के संग

चुपके से रस चुराते है

ये उनका अंदाज़ है

साथ रहने की कसमे खाते

आंसू बनकर रुलाते है

चाहे जितना रोको उन्हें

पत्थर दिल हो जाते है

ये उनका अंदाज़ है

देख न पाते प्यार को रोते

खुद सागर में…
Continue

Added by aleem azmi on May 3, 2010 at 12:53pm — 4 Comments

"मजदूर"(१ मई मजदूर दिवस पर विशेष)

देह के चमड़ी धुप मे जलावेला,

खून के पसीना बनाके बहावेला,

रुखा सूखा खाके पेट के आग बुझावेला,

सुते खातीर धरती के बिछवना,

अकाश के ओढ़ना बनावेला,

लोग उनका सम्मान मे,

मजदूर दिवस मनावेला ।



सूई से लेके जहाज ले,

सब कुछ मजदूर बनावेला,

ओकरा बादो उनकर नाम,

कबो सामने ना आवेला,

सृजन करीहे मजदूर,

अफसर काटेले फिता,

फिर भी मजदूर आपन,

सेवा हम सब के देता।



सेठ जी जबरन काम करावेले,

मजदूरी मांगे पर डंडा देखावेले,

बंधुवा… Continue

Added by Mahesh Jee on April 30, 2010 at 10:00pm — 5 Comments

Bhumika..

Dunia ek rangmanch hai. Har vyakti is rangmanch ka kalakaar hai. Sabhi ko is rangmanch par apni bhumika ada karni hoti hai. Kisi ko sajjan ki aur kisi ko durjan ki... Kisi ko Sadhu ki aur kisi ko seth ki... Kisi ko manav ki aur kisi ko maha-manav ki.. Sabhi ko apni bhumika ka chayan karna hai.. Aap kis bhumika ka chayan karenge???????

Added by Vineet Ojha on April 30, 2010 at 9:48pm — 4 Comments

महुआ ,

महुआ ,

एगो उ दिन रहे ,

एगो आज के दिन बा ,

इ ओह दिनों पुछात रहे ,

आजो पुछात बा,

अंतर एतने बा ,

कलह घर बसवात रहे ,

आज घर उजारत बा ,

महुआ ,

एगो उ दिन रहे ,

एगो आज के दिन बा ,

महुआ टपकल ,

घरे आइल ,

लपसी बनल

मजा आइल ,

अब लपसी कहा भेटात बा .

महुआ ,

एगो उ दिन रहे ,

एगो आज के दिन बा ,

महुआ सुखल ,

खूब भुजाइल ,

तीसी के संगे ,

लाटा कुटाइल ,

अब लाटा कहा भेटात बा ,

महुआ ,

एगो उ दिन… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on April 30, 2010 at 5:11pm — 3 Comments

स्वागत

स्वागत

आज समय बदल गइल ,

स्वागत के अंदाज बदल गइल ,

पाहिले घर में मेहमान आई ,

मिश्री मिठाई से स्वागत काइल जाई ,

अब चाय बिस्कुट से काम चल जात बा ,

आज समय बदल गइल ,

स्वागत के अंदाज बदल गइल ,



पाहिले मेहमान के आईला पर ,

लाईकन के चेहरा पर ,

खुसी छा जाई ,

की आज घरे मिठाई आई

आउर आज लाईकन के चेहरा उतार जाई ,

काहे की फ्रिज के मिठाई ओरा जाई ,

आज समय बदल गइल ,

स्वागत के अंदाज बदल गइल ,



पाहिले नेता खातिर लोग… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on April 30, 2010 at 5:09pm — 3 Comments

कहीं धूप में

कहीं धूप में जले लोग

कहीं बर्फ में गले लोग



दर्दो-ग़म की बस्ती में

तन्हाई के काफ़िले लोग



बारूदों की तल्ख़ धूप में

खूं-पसीने से गिले लोग



बिन जुर्म जो काटे सज़ा

वो सलीब की कीलें लोग



कुछ पड़े हैं लाशों जैसे

कुछ हैं गिद्द-चीलें लोग



सागर थे जो सूख गए

बचे रेत के टीले लोग



खूं भी नहीं खौलता अब

नहीं होते लाल-पीले लोग



पाप अधम के बाजों पर

नाच रहे रंगीले लोग



दुनिया की फुलवारी… Continue

Added by asha pandey ojha on April 30, 2010 at 8:00am — 16 Comments

''बबुआ के प्यार हो गइल''

''बबुआ के प्यार हो गइल''

समय के संगे सब कुछ बदलत जात बा, अब तुही सुनS महेश्वर के बेटा का कहत बा ? इ बात हरी काका कहत रहलन दुखन ठाकुर से, जे उनकर दाढ़ी बनावत रहूअन, दुखन ठाकुर कहलन "का कहत बा काका" , काका कहलन मत पूछा, घोर कलयुग आ गइल बा, ओकरा शादी खातिर एगो हित बोलावले रहनी ह, दुखन कहले, हा हम सुनले रहनी की कोई हित आइल रहे, हमहू इंतजार करते रह गइनी की हमके केहू बुलावे आई, की चलS छेका बा, बाकिर केहू न आइल, त काका कहले, कैसे कोई जाईत हो उ कल्हे के छोकरा कहत बा, ओ लाईकी से हम कईसे शादी कS ली… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on April 29, 2010 at 4:30pm — 1 Comment

कही बम चले कही गोली ,

कही बम चले कही गोली ,

केहू खेले खून से होली ,

स्वर्ग में बाईठाल बापू देखे ,

हिंद में इ का हो रहल बा ,

अइसन सोचले ना रहनी ,

अइसन सोचले ना रहनी ,



खून देबा आजादी देहब ,

रहे नेता जी के नारा ,

भारत स्वर्ग से सुन्दर होखे ,

सपना रहे प्यारा ,

उहो स्वर्ग में इहे कहिअन,

अइसन सोचले ना रहनी ,

अइसन सोचले ना रहनी ,



खुद से बढ के देश से प्यार .

सहल लोग उ अत्याचार ,

सपना के साकार करेला ,

फंदा लागल फुल के हर ,

ओहू… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on April 29, 2010 at 3:18pm — 3 Comments

"हमे तुमसे कितनी मोहब्बत है"

मेरी जिन्दगी के साथी,

आज तुमको बताते है

की हमे तुमसे कितनी मोहब्बत है.........



जितना चाँद को है चकोर से,

जितना पपिहे को है ओस से,

जितना साँसो को है धड़कन से,

जितना प्यासे को है पानी से,

जितना नदी को है धारे से,

जितना कश्ती को है किनारे से,

जितना खुशबू को है फुल से,

जितना रास्ते को है धुल से,

जितना शमा को है परवाने से,

जितना दिवानी को है दिवाने से,

जितना शराबी को है मयखाने से,

जितना दरवेश को है दरगाह से,

जितना…
Continue

Added by Raju on April 26, 2010 at 10:00pm — 5 Comments

मोदी के बहाने इ बात देश में आइल बा ,

मोदी के बहाने इ बात देश में आइल बा ,

का केहू के बरका एतना उचित बनावल बा ,

छुट देके खुबे कमा के त्गानरी खिचाइल बा ,

मोदी के बहाने इ बात देश में आइल बा ,

तिन साल पाहिले सब कुछ मोदी रहले ,

अब कुछ नइखन उ सब इ चिला के कहले,

अरबो घोटाला भइल मॉल कहा उ गइल,

एकर जानकारी ना लिआईल सस्पेंसन दिआइल,

सोची ना मोदी के संगे केकर हाथ रंगाइल बा ,

मोदी के बहाने इ बात देश में आइल बा ,

बरका बरका टीम बनल आई सी एल के मिटावे ला ,

इहो एकछत्र राज कईलन घर भरावे ला… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on April 26, 2010 at 12:43pm — 3 Comments

”किसी और के नाम की मेंहदी”

किसी और के नाम की मेंहदी, तुम

अपने हाथो पे रचाने जा रही हो

मेंहदी के इन सूर्ख-लाल रंगो से,तुम

हाथ की लकीरों को छुपाने जा रही हो

उन लकीरों में लिखा था नाम मेरा, तुम

अपने हाथो से मेरा नाम मिटाने जा रही हो

वादा तो था सात-जन्मों तक साथ निभाने का, तुम

इसी जन्म मे साथ छुड़ाने जा रही हो

याद आयेंगे तुम्हे बहुत वो बिते हुए पल, तुम

जिनको हमेशा के लिए भुलाने जा रही हो

वादा करते है रहोगी इस दिल मे ताउम्र, तुम

जिस दिल को तोड़ने जा रही हो

होंगी… Continue

Added by Raju on April 25, 2010 at 9:00am — 4 Comments

लोग कहेला तोहके तेंदुलकर , हम कहब कमालकर,

बधाई हो बधाई ,

भाई तोहके बधाई ,

भारत रत्न के उपाधि ,

भाई तहरा नइखे जरुरी ,

तोहके भारत रत्न बनावल ,

बा हमनी के मज़बूरी ,

एक से आखिरी तक ,

तोहरा लगे केहू लउकत नइखे ,

दस साल पाहिले तू काबिल रहला ,

अभी आख खुलल हा सबके ,

देर आइल दुरुस्त आइल ,

अबकिर सरकार के काम बढ़िया बा ,

लोग जवान कहे ला ,

ओकरा के झुठलावे ला ,

जब जरुरत परेला ,

आपन बल्ला चलावे ला ,

लोग कहत रहे २०-२० ,

नया खून के खेला हा ,

बीस बरस से चल रहल बा… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on April 24, 2010 at 11:51am — 3 Comments

आई पि एल में भइल बा बवाल ,

आई पि एल में भइल बा बवाल ,
कारन राउआ जान लिही,
बन गइल रहल हा नाक के सवाल ,
इहो राउआ मान लिही ,
मोदी जे कुछु लिखले ,
बिरोध थरूर कईले ,
हाथ से गइल कमान ,
अब संसद में भइल बा बवाल ,
इहो राउआ जान लिही ,
आगे के सुनी बात ,
मोदी ता कईले घात ,
तिने साल में देबे लागले ,
टैक्स हजार से लाखो में ,
टीम के मालिक फस गइल बा लोग ,
इनकार ब्लॉग के चक्कर में ,
उ ब्लॉग रहे बोम के सामान ,
इहो राउआ मान लिही ,

Added by Rash Bihari Ravi on April 23, 2010 at 3:08pm — 1 Comment

tiwary baba aaya....hasne ki guarantee laya.....

1... एक पठान बिना छीले केला खा रहा था, किसी ने उसे कहा- इसे छील तो लो।

पठान - छीलने की क्या जरुरत है हमें मालूम है इसमें केला है।



2... एक भिखारी की लॉटरी लगी तो वो एक मंदिर बनवाता है।

दूसरा भिखारी- यार तू मंदिर क्यों बनवा रहा है।

भिखारी- क्योंकि इसके सामने मैं अकेला भीख मांगूंगा।



3... बॉस ने एक मेहनती कर्मचारी को बुलाकर कहा- ये लो 5000 रुपये का चेक, अगर इसी तरह मेहनत से काम करते रहोगे तो साइन भी कर दूंगा



4... एक भारतीय युवक ने चाइनीज लड़की से…
Continue

Added by PREETAM TIWARY(PREET) on April 23, 2010 at 12:37pm — 5 Comments

"तेरी याद"

तेरी ही यादों मे जीता हुँ
तेरी ही यादों मे मरता हुँ
गुजरे पलों को याद कर
बस तेरे ही ख्यालों मे रहता हुँ
महफिल भी रास नही आती
तन्हाई मे भी तन्हा ही रहता हुँ
सफर अभी कितना लम्बा है
ये सोच के मै घबराता हुँ
मुद्दतें बीत गई तुम्हे देखे हुए
सब्र ना टुट जाऐ ये सोच के डर जाता हुँ
दुर कही जमीं-आसमाँ मिले
ये देख मै भी उम्मीद जगाता हूँ

Added by Raju on April 22, 2010 at 11:06pm — 3 Comments

अब हम काहे ना डरी डरे के कारन बा ,

हम काहे डरी डरे के कारन का ,

एक बेर एगो मुह्हला में ,

एगो आदमी घर बनावत रहे ,

मुह्हला के दादा रूपी इन्सान ,

ओकरा लगे बराबर आवत रहे ,

बार बार ओकरा से पाईसा मांगे ,

आउर ओके धमकावत रहे ,

उ इहे काहे हम काहे दिही ,

हम काहे डरी डरे के कारन का ,

उ दादा कहलस बाबु इ जान ला ,

पाईसा देबा हम सुरक्षा देम ,

कवनो परेशानी न होखे देम ,

रात में आराम से सुताबा ,

हम कहानी हमारा तोहसे ना,

जब पुलिश बा ता तहार का काम,

हम काहे डरी डरे के कारन… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on April 22, 2010 at 1:00pm — 2 Comments

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