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मेरा वतन

मुझको   मेरा  वतन   पुर   अमन   चाहिए

तहज़ीब  अपनी   गंग   ओ  जमन  चाहिए



ये  राम  की  ज़मीन  है  गौतम  की ये ज़मीं

नानक  भी  मिलेगा  यहीं  रहमान  भी  यहीं

सब  आ  सकें  इतना  बड़ा  ज़हन  चाहिए



झगड़े   फ़साद   लूट   न  हो  मेरे देश में

या   रब  ग़रीबी  भूख  न  हो  मेरे देश में

मिल बांट  कर के  खाने  का चलन चाहिए



तुमने  बिछा  रखी  यहाँ  कितनी बड़ी चैiसर

मुहरे  बना  दिये  हमें  इस  तरहा  बाँट कर

टुकड़े   नहीं    समूचा   इक   गगन  चाहिए



क्यूं … Continue

Added by satyendr sengar on January 3, 2011 at 2:00pm — No Comments

लघुकथा ”घर“

31 दिसंबर की सर्द रात को अपने फटे कम्बल के सहारे सर्द हवाओं के साथ संघर्ष करते हुए फुटपाथ पर लेटे हुए एक वृद्ध भिखारी ने जब  कुछ नौजवानों को सड़क पर मस्ती करते हुए देखा तो उसने सोचा ”इनका तो घर है, फिर यह घर जाकर लिहाफ की गर्मी में आराम से क्यों नहीं सोते?“

Added by Ravi Prabhakar on January 2, 2011 at 4:35pm — 8 Comments

ग़ज़ल:- आकर्षक चमकीले लोग

 

ग़ज़ल:- आकर्षक चमकीले लोग

 

आकर्षक चमकीले लोग

केंचुल में ज़हरीले लोग |

 

आत्ममुग्धता की परिणति हैं

सुन्दर सुघड सजीले लोग |

 

भूख की आंच पे चढ़ते हैं नित

खाली पेट पतीले लोग |

 

झंझावाती जीवन सागर

हम शंकित रेतीले लोग |

 

चीर हरण करते आँखों से

कुंठाओं के टीले लोग…

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Added by Abhinav Arun on January 2, 2011 at 10:45am — 3 Comments

मिले सुर मेरा तुम्हारा...

 

 

नब्ज़ टटोलोगे तो कोई रोग पकड़ आएगा

 झूठ का रंग भी सच पर से उतर जाएगा

क्यों कहते हो माथे पे लगाया है चन्दन
लहू है ये ,एक दिन ,सबको पता…
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Added by Lata R.Ojha on January 2, 2011 at 12:00am — 1 Comment

यह वर्ष हम सभी को हर तरह रास आये

यह वर्ष हम सभी को हर तरह रास आये--घर घर में शांति हो हर बच्चा मुस्कुराये

कठिनाइयों में अब तक गुज़रा हो जिसका जीवन…
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Added by Hilal Badayuni on January 1, 2011 at 7:30pm — 9 Comments

सबसे पहले नमस्कार दो हजार दस साल को ,

सबसे पहले नमस्कार दो हजार दस साल को ,

हम नहीं भूल पाएंगे जो हुए हाल बेहाल को ,

फिर स्वागत करता हूँ  साल दो हजार ग्यारह ,

आशा नहीं विश्वास हैं रहेगा सबका पौं बारह ,

कसम से ख़ुशी का दिन हैं नया साल आया  ,

और इस ख़ुशी को दोस्तों ने दो गुण है बढाया ,

मुबारकवाद उन को जिनका जनम दिन हैं ,

बबिता जी भरत कुमार संग में बिजय जी ,

धनेश जी , ब्रजेश जी और गयासुदीन शेख ,

गोपाल जी इन्द्रजीत जी और नव सोही ,

प्रभाकर पाण्डेय ,रवि प्रभाकर के संग संजय जी… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on January 1, 2011 at 1:30pm — 3 Comments

नववर्ष की नव कामना...

 

नए वर्ष के नए पटल पर

खुशियों के नए गीत सजाएँ,

नयी धरा पर सपनों के कुछ

 नए नवेले बीज बिछाएं I

 

नव दिवस की उर्जाओं संग

न केवल नए लक्ष्य बनायें,

पुराने प्रणों…

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Added by Veerendra Jain on January 1, 2011 at 12:24pm — 3 Comments

ग्रीटिंग

याद है जब एक साल तुम्हारा ग्रीटिंग मुझे नहीं पहुंचा था...

ग्रीटिंग जिसके भीतर मैं तुमको पढता था...

जिसके एक-एक हर्फ़ से अफ़साने गढ़ता था

बहुत पुरानी बात है वो भी नया साल था.......

कई दिनों तक रक्खी थीं उम्मीद होल्ड पर...

...आज भी बीता बरस सिराने जाता…
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Added by Sudhir Sharma on January 1, 2011 at 2:15am — 5 Comments

नये साल का गीत: कुछ ऐसा हो साल नया -- संजीव 'सलिल'

नये साल का गीत

कुछ ऐसा हो साल नया

संजीव 'सलिल'

*

कुछ ऐसा हो साल नया,

जैसा अब तक नहीं हुआ.

अमराई में मैना संग

झूमे-गाये फाग सुआ...

*

बम्बुलिया की छेड़े तान.

रात-रातभर जाग किसान.

कोई खेत न उजड़ा हो-

सूना मिले न कोई मचान.

प्यासा खुसरो रहे नहीं

गैल-गैल में मिले कुआ...

*

पनघट पर पैंजनी बजे,

बीर दिखे, भौजाई लजे.

चौपालों पर झाँझ बजा-

दास कबीरा राम भजे.…

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Added by sanjiv verma 'salil' on December 31, 2010 at 6:25pm — 1 Comment

...वर्ष का आखिरी दिन...

बीत जायेंगे फिर
ये दिन गिन-गिन
फिर वही भागम-भाग
...जीविका की फिर वही ताक-धिन
लम्हा-लम्हा भरती
बालों में चांदी
जुड़ते यादों में फिर
अनगिनत पल-छिन
क्या खोया-क्या पाया
उस 'हिसाब' से पहले
हिसाब का 'अभ्यास' कराता
वर्ष का
आखिरी दिन...

© AjAy Kum@r

Added by AjAy Kumar Bohat on December 31, 2010 at 6:08pm — 3 Comments

में तो रुक रुक कर सुना रहा था हाल ए दिल

में तो रुक रुक कर सुना रहा था हाल ए दिल

उनको मेरी हर बात ग़ज़ल सी लगी



में तो दीवानगी में चल पड़ा था उस रस्ते पर

उनको ये कोशिश पहल सी लगी



कोई कमी तो नहीं थी जश्न तब भी था

तुम आये तो महफ़िल मुकम्मल सी लगी



मुफलिसी में गया था… Continue

Added by Bhasker Agrawal on December 31, 2010 at 5:00pm — 3 Comments

ग़ज़ल : ग़ज़ल पर ग़ज़ल क्या कहूँ मैं

बहर : फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन

बहरे मुतकारिब मुसद्दस सालिम…

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Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 31, 2010 at 4:34pm — 4 Comments

आखरी पन्ने -10 (दीपक शर्मा 'कुल्लुवी')

आखरी पन्ने - 10



 

(दीपक शर्मा 'कुल्लुवी')



गतांक - 10 से आगे...



दोस्तों मैं जाते हुए साल 2010 कि बिदाई और आते हुए नव वर्ष 2011 का स्वागत अपनें कुछ भजनों से करना चाहूँगा . खुदा आप सबको ढेर खुशियाँ प्रदान करे वैसे इसी सप्ताह उड़ीसा के मंदिर में घटित शर्मनाक घटना से मन अत्यंत दुखी है जिसमें एक विदेशी महिला को केवल इस बात के लिए मंदिर से…

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Added by Deepak Sharma Kuluvi on December 31, 2010 at 4:00pm — No Comments

वर्ष 2011 में आपके भाग्य में क्या है ?

अंक 1

यह वर्ष बिना किसी उल्लेखनीय बदलाव के आपके लिए तटस्थ साबित होने वाला है !



अंक 2

यह वर्ष आपके लिए बहुत ही सुचारू रहने वाला है !



अंक 3

यह वर्ष आपके लिए बहुत ही सुचारू रहने वाला है !



अंक 4

यह वर्ष आपके लिए नवपरिवर्तन, प्रशासनिक, रोमांच, नेतृत्व के कार्यों में नये आयामों की दृष्टि से बड़ा आशाजनक रहने वाला है !   



अंक 5

यह वर्ष आपके लिए नेतृत्व की इच्छापूर्ति, प्रशासनिक अनुग्रह एवं दान इत्यादि के लिए बहुत अच्छा रहने…
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Added by rajni chhabra on December 31, 2010 at 2:55pm — No Comments

युवा मन की उलझन

मन मे हो रही एक…

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Added by Mayank Sharma on December 31, 2010 at 1:59pm — No Comments

स्वागत है इस नए वर्ष का

मित्र मुबारक हो तुम सबको नया वर्ष आगामी

स्नेह रहे कायम हम सबका गुम जाये गुमनामी

नए कीर्तिमानों का फिर से बने नया इतिहास

ख़ुशी असीमित हो हमसबकी मुख में हो परिहास

सोंचें भी न कोई नेता अब घपले की बात

दुश्मन भी कर सकें न कोई आतंकी आघात ...

आओ स्वागत करें सभी मिल नया वर्ष सुखकारी

टीम भावना से होते हैं सभी काम हितकारी



नया ईस्वी वर्ष 2011 मंगलमय हो

ब्रिजेश त्रिपाठी

Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on December 31, 2010 at 1:00pm — No Comments

पर वो नहीं है

अपनी हालत क्या बताएं तुझे ऐ जिंदगी

सुकून भी है और दर्द भी

पर वो नहीं है..



नज़रों की तो गर्मी है

दिलदारों की भी नरमी है

अपनी आँखों में छुपाये जो

अपने आगोश में डुबाये जो

वो नहीं है..



चाँद सी तन्हाई है

वीरानों सा सन्नाटा

जिगर की गहराई है

पर इनको शबाबों से भर जाये जो

वो नहीं है..



सितारों की भीड़ है

जिंदगी जन्नत बन के आई है

सफ़र में हूँ हवाओं सा

इस सफ़र में साकी साथ निभाये जो

वो नहीं…
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Added by Bhasker Agrawal on December 31, 2010 at 11:25am — No Comments

एक मासूम से अनोखी मुलाकात

रास्ते से गुजर रहा था

  ख्यालों में खोया हुआ

कुछ सपने बुन रहा था…

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Added by Mayank Sharma on December 30, 2010 at 10:31pm — No Comments

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