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रिश्ते बहुमूल्य निधि

सामाजिक प्राणी होने के नाते हम सभी रिश्तों से घिरे रहते हैं। रिश्ते सामाजिक व्यवस्था का मूल आधार होते हैं। रिश्ते हमें आपस में बांधे रहते हैं। हमारे रिश्ते जितने मज़बूत होते हैं सामजिक ढांचा उतना ही मज़बूत बनता है।

प्रेम संबंधों को सबल बनाता है। स्वस्थ संबंधों के लिए आवश्यक है की हमारे बीच एक दूसरे के लिए आदर तथा आपसी समझबूझ हो। एक दूसरे के हित लिए अपने निजी स्वार्थों का त्याग रिश्तों को दीर्घायु बनाता है। रिश्ते हमें बहुत कुछ…

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Added by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on April 2, 2013 at 8:00pm — 9 Comments

यादों की बारिश..! (गीत)

यादों की बारिश हो रही है, पलपल ऐसे..!

सूखी नदी में हो, झरनों की हलचल जैसे..!

१.

दिल का चमन शायद, गुलगुल हो न हो मगर,

ख़्वाब होगें ज़रूर गुलज़ार, हो मलमल जैसे..!

सूखी नदी में हो, झरनों की हलचल…

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Added by MARKAND DAVE. on April 2, 2013 at 12:30pm — 4 Comments

जन सेवा

जन सेवा

देख गरीबी भारत की,

फफक फफक मैं रो पड़ा,

क्यों अभिमान करूँ अपने पर,

अपने से ही , पूंछ पड़ा ।

शर्म नहीं आती क्यों उसको,

बड़ा आदमी कहता जो खुद…

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Added by akhilesh mishra on April 2, 2013 at 11:30am — 8 Comments

चलिये शाश्वत गंगा की खोज करें- द्वितीय खंड (4)

गंगा, (ज्ञान गंगा व जल  गंगा) दोनों ही अपने शाश्वत सुन्दरतम मूल  स्वभाव से दूर पर्दुषित  व  व्यथित,  हमारी काव्य कथा  नायक 'ज्ञानी' से संवादरत हैं। 

 

अब यह सर्वविदित है कि मनुष्य की तमाम विसंगतियों, मुसीबतों, परेशानियों   का कारण उस का ओछा ज्ञान है जिसे वह अपनी तरक्की का प्रयाय मान रहा है. इसी ओछे ज्ञान से मानव को निकालना और सही व ज्ञानोचित अनुभूति का…
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Added by Dr. Swaran J. Omcawr on April 1, 2013 at 7:56pm — 16 Comments

जागोगे तुम?

कुम्हार सो गया

थक गया होगा शायद

 

मिट़टी रौंदी जा रही है

रंग बदल गया

स्याह पड़ गयी

 

चाक घूम रहा है

समय चक्र की तरह…

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Added by बृजेश नीरज on April 1, 2013 at 5:17pm — 26 Comments

हार्दिक शुभ कामनाएं

हार्दिक शुभ कामनाएं 
------------------------
 दूजा वर्ष था ओ बी ओ 
तब से हुआ संग 
श्वेत श्याम  ज्ञान मेरा 
हुआ रंगा  रंग 
ग्यानी गुण जन सब  बसे 
ये सोने की खान 
शिक्षण पद्धति बहुत  भली 
जान सके तो जान 
.हार्दिक शुभ कामनाएं 
प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 
1-4-2013

Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 1, 2013 at 5:00pm — 11 Comments

हाय जनता

हाय जनता 
----------------

प्रतिष्ठान के मालिक ने 

होली मिलन मनाया 

सभासद सांसद सहित  
मेरा भी न्योता आया 
हारे जीते नेता सब आये 
उपलब्धि के  गीत थोथे गाये 
संघर्ष बहुत किया भारी 
तब आयी जीतन की बारी 
विकास क्षेत्र का कर दूंगा 
बदले में वोट केवल  लूँगा 
करतल ध्वनी हुई भारी 
टूटी…
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Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 1, 2013 at 4:20pm — 10 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
अप्रैल फूल(हास्य व्यंग्य )

फूलों  को तू सूंघ मत, आज अप्रैल फूल|

हो सकता है फूल में, हो मिर्ची की धूल||

 

तू देख वतन पश्चिमी, कितने होते…

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Added by rajesh kumari on April 1, 2013 at 3:00pm — 19 Comments

ओ बी ओ तृतीय वर्षगाँठ को समर्पित : 'मत्तगयन्द' सवैया

'मत्तगयन्द' सवैया : 7 भगण व अंत में दो दीर्घ

जात न पात न भेद न भाव न रूप न रंग न डोर दिवारें.

एक धरा यह प्रेम भरी जँह प्रेम लिए हम आप पधारें,

सीख सिखाय रहे सबहीं यँह ज्ञान भरें अरु लेख निखारें,

देश विदेश मिलाय दिए जन मेल…

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Added by अरुन 'अनन्त' on April 1, 2013 at 2:33pm — 17 Comments

ओ बी ओ - शुभकामनाएं

ओबीओ का आज यह, दिवस बहुत है खास,
वर्षगांठ है तीसरी, सफल रहा प्रयास,

सफल रहा प्रयास, बना प्रीत संग धागा,

हमें मिला यह मंच, हमरा…

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Added by अरुन 'अनन्त' on April 1, 2013 at 1:00pm — 16 Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
आज का दिन पावन है .. .

ओबीओ  परिवार सम,  शारद  के  सब भक्त 

’सीख-सिखाना’-अर्चना, भाव गहन हों व्यक्त

भाव गहन हों व्यक्त, आज का दिन पावन है

नदिया  धारे   धार,   जिये  नित  परिवर्तन है…

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Added by Saurabh Pandey on April 1, 2013 at 10:30am — 33 Comments

शुभकामनाएं.

बीते इसके साथ में, माह दिवस अरु साल,

छंद ‘चित्र से काव्य तक’, लगता बहुत कमाल,

लगता बहुत कमाल, गजब के छंद सुनाता,

छ्न्दोत्सव आगाज, महोत्सव सबको भाता,…

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Added by Ashok Kumar Raktale on April 1, 2013 at 8:08am — 13 Comments

काम काजी महिलाएं और पूजा का कार्यक्रम !

अभी हाल में मुझे एक उच्च मध्यम वर्ग के यहाँ पूजा (सत्य नारायण भगवान की पूजा) में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ! बड़े अच्छे ढंग से तैयारियां की गयी थी. सफाई सुथराई का भी पूरा पूरा ख्याल रखा गया था. उम्मीद यह थी कि पूजा में बैठने वाले यजमान और उनकी श्रीमती बिना कुछ खाए पूजा में बैठेगें ... पर यह क्या ? सुनने में आया कि सत्यनारायण भगवान की कथा में यह बाध्यता नहीं है. फिर क्या, सभी लोगों ने जमकर इडली और बड़े खाए पंडित जी भी सहभागी बने. उसके बाद पूजा के क्रिया-कलाप प्रारंभ हुए. पंडित जी को कहा गया…

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Added by JAWAHAR LAL SINGH on April 1, 2013 at 6:04am — 22 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
उद्गार

लब पे ये मुस्कान जैसे चंद्रमा हो,

तारक खचित अम्बर में तुम अनुपमा हो –

विश्व के सुकुमार पलकों पर सुभगे,

स्वप्नवत तुम मधुर कोई कल्पना हो.

*****

जागो जगाओ विश्व को दो निज आलोक,

कलुष भेद तम दूर हटें जागे त्रिलोक,

बाहु में शक्ति, हृदय में भक्ति लिए सुकुमारी,

निर्भीक बढ़ो जीवन पथ पर बेरोक-टोक.

****

माटी का कण तृण गंध तुम्हारे साथ है,

उन्मुक्त समीरण मंद तुम्हारे साथ है,

जीवन उपवन में खिली हुई ऐ नवल कलि,

रोम-रोम में रग-रग में भगवान…

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Added by sharadindu mukerji on April 1, 2013 at 1:30am — 11 Comments

ढक दिया जाता है नकाब से चेहरा !

 Portrait of young beautiful happy indian bride with bright makeup and golden jewelry - stock photo Close-up portrait of the female face in blue sari. Vertical photo - stock photo

 

सजा औरत को देने में मज़ा  है  तेरा  ,

क़हर ढहाना, ज़फा करना जूनून है तेरा !

दर्द औरत का बयां हो न जाये चेहरे से ,

ढक दिया जाता है नकाब से  चेहरा  !

बहक न जाये औरत सुनकर बगावतों की खबर ,

उसे बचपन से बनाया जाता है बहरा !

करे न पार औरत हरगिज़ हया की चौखट ,

उम्रभर देता है मुस्तैद होकर मर्द पहरा !

मर्द की दुनिया में औरत होना है गुनाह ,

ज़ुल्म का सिलसिला आज तक नहीं ठहरा…

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Added by shikha kaushik on March 31, 2013 at 9:02pm — 9 Comments

ओ बी ओ की तीसरी वर्षगाठं पर - दोहे -लक्ष्मण लडीवाला

मुझे आज ही ज्ञात हुआ की 1 अप्रैल 2013 को ओबीओ की

तीसरी वर्ष गाँठ है। तीन वर्षो में इस मंच ने मुझ जैसे सैकड़ों लेखको को तैयार किया

है | इस अवसर पर दोहों के रूप में सभी सदस्यों में सहर्ष पुष्प समर्पित है ।-

 

बढे साथ का…

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Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 31, 2013 at 9:00pm — 21 Comments

गज़ल

फूलों ने जब खिलना है तशीर मुताबिक

फेलेगी  खुशबु भी तब समीर मुताबिक

कर ले, कह ले, कुछ भी ये हक है तेरा

कलम लिखेगी जब,अपनी जमीर मुताबिक

यूँ तो सपने हजारों तेरे मन में हें, 

याद करेंगे लोग पर तदबीर मुताबिक

साथ निभाएँगे कब तक पंख जो मंगवें, 

तुम कब उड़ोगे न खुद की जमीर मुताबिक

शख्स जिसका उम्र भर घर ना हुआ था अपना

ऐसा मिलेगा  जब भी  तो  फकीर मुताबिक

चाल ढाल मेरी भी मुझ को समझ ना आई

चलता रहाँ…

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Added by मोहन बेगोवाल on March 31, 2013 at 6:30pm — 10 Comments

प्रेम का रूप

क्या प्रेम मात्र एक भ्रम है,
जिसका न कोई नियम है।
या है प्राणों की विकलता,
जिस पर न सधा संयम है।
जीवन का जो प्रकाश बना,
फिर वही अँधेरा बनता है।
न्यौछावर करके तन-मन सब 
विवशता का छत्र तनता है।
देता है न दिखाई कुछ भी,
जब सम्मुख प्रेम उपस्थित हो।
मन क्यों चंचल हो जाता है,
क्यों आत्मा में न केन्द्रित…
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Added by Savitri Rathore on March 31, 2013 at 5:03pm — 4 Comments

कारगिल युद्ध पर उसे गर्व है? (घनाक्षरी)

कारगिल हार के जो, हार पे ही गर्व करे,
हार जूतियों का उस नीच को पिन्हाइये।
एक से न काम चले, जूता एक और मिले,
भाई एक जोड़ी मेरा, पूरा करवाइये॥
पाक पाप धूर्तबाज, कल बल छल बाज,
कपटी से शांति बात, भूल मन जाइये।
अफजल कसाब ज्यों, मनुजता के शत्रु को,
फांसी पर चढ़ाओ या, तोप से उड़ाइये॥

Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 31, 2013 at 4:47pm — 12 Comments

मैं

कितनी निराशा ,कितनी असफलता, 
कितना अँधेरा छुपाये बैठी हूँ।
कितनी ख़ुशी,कितनी आशा ,
कितनी हँसी छुपाये बैठी हूँ।
कितना ग़म,कितना दुःख,
कितना दर्द छुपाये बैठी हूँ।
कितने इरादे,कितना जोश,
कितना जूनून छुपाये बैठी हूँ।
कितनी गहराई,कितनी शिद्दत,
कितना द्वन्द छुपाये बैठी हूँ।
कितनी खूबसूरती,कितना आकर्षण,
कितनी दिलकशी छुपाये बैठी हूँ।
कितनी हिम्मत,कितनी…
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Added by Monika Dubey on March 31, 2013 at 4:08pm — 2 Comments

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