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भोजपुरी साहित्य Discussions (246)

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कइसे होई गंगा पार

जिनिगी भर बस पाप कमइला कइसे करबा गंगा पार जुलुम सहे के आदत सभके के थामी हाथे हथियार केहू नाही बनी सहाई बुझबा जब खुद के लाचार काम न कर…

Started by आशीष यादव

5 Aug 19, 2020
Reply by आशीष यादव

होली -गीत

अइसन मौसम आइल बा मनवा अब फगुआइल बा।1 खिल रहल बा कली गुलाबी भौंरा खूब अगराइल बा।2 टहले के मिलल तब निमन नाहीं तब गभुआइल बा।3 कर रहल मनुहार गु…

Started by Manan Kumar singh

0 Dec 19, 2017

भोजपुरी

हमनी के भोजपुरी भाषा के संबंध में एतने जानी ले जा कि एकरा अंदर एतना क्षमता बा कि उ कवनो विषय या विधा पर आपन विचार व्यक्त करें में तनिकांे क…

Started by indravidyavachaspatitiwari

0 Oct 30, 2017

सदस्य टीम प्रबंधन

भोजपुरी नवगीत : फेर भइल बा चाक्का जाम // -सौरभ

फेर भइल बा चाक्का-जाम दलित-गरीबन के उकसावत !   बचवन के मन में छटपट्टी कोरा आँखिन में अचकच बा बूढ़ आँखि के सोझा सबकुछबिला रहल, झुठहीं मचमच बा…

Started by Saurabh Pandey

0 Jul 19, 2017

भोजपुरी गजल -उठि के नारी सक्ति सकार कइलs

फाइलातुन फाइलुन फऊल फेलुन  कहँवा से आइके जगार कइल जिनगी में साँइ से उजार कइल जिनगी से अइसन करार कइल सिनुरा वीरांगना पुछार कइल पँउआ बढ़त…

Started by PRAMOD SRIVASTAVA

5 Oct 25, 2016
Reply by Saurabh Pandey

भोजपुरी लधुकथा -नउटंकी।

"कइसन कइसन नउटंकी करेलीसन"  असपताल मां दरद के मारे कँहरत आ छटपटात उछलत मेहरारू के देखि बोली बोलली भउजी। "जवना के नउटंकी कहतारू नू ईहो भागिय…

Started by PRAMOD SRIVASTAVA

2 Oct 12, 2016
Reply by PRAMOD SRIVASTAVA

अकिल अझुराइल

आम असो आइल बा  खूब बउराइल बा  काँच बने चटनी त  सतुआ घोराइल बा  मावस ना बारी मा  बिजुरी बराइल बा  हाथ, हाथी, सायकिल  सभे अगराइल बा  जाति…

Started by PRAMOD SRIVASTAVA

6 Oct 4, 2016
Reply by PRAMOD SRIVASTAVA

करकट नर-कट

आप   कहीं   माई कहीं   बापू सँगे लुगाई धोती हटि पतलून त  खदरा कमरि, रजाई  खदरा कमरि, रजाई बदल संस्कृति  परिपाटी  जाति पाति भेदे नही      प…

Started by PRAMOD SRIVASTAVA

4 Sep 23, 2016
Reply by PRAMOD SRIVASTAVA

लगाव गाँछि

आव अपना दुअरा लगाव गाँछि नीम क सुधरि जाई हावा पानी घरवा जमीन क पितरन के दिनवा भुलाई ना जुगाड़ से हरियाली  देत उनकर नाम दिन चीन्ह क  लरिक…

Started by PRAMOD SRIVASTAVA

3 Sep 23, 2016
Reply by PRAMOD SRIVASTAVA

गीत भोजपुरी

राजा जी की बगिया में, सुगवा सुगीनिया में-2 लागल बावे प्रेमवा के डोर, ए सुगी मार ना हनि हनि ठोर-2 फुलवा लोरहन गइलीं जनक-दुलारी। ओही बगिया प…

Started by रामबली गुप्ता

1 Sep 20, 2016
Reply by PRAMOD SRIVASTAVA

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Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
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"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
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दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
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"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
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२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
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गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
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शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
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