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फाइलातुन फाइलुन फऊल फेलुन 

कहँवा से आइके जगार कइल

जिनगी में साँइ से उजार कइल

जिनगी से अइसन करार कइल

सिनुरा वीरांगना पुछार कइल

पँउआ बढ़त रहल अधुना क चहला

मथवा सहलाइ होसियार कइल

पतिया पँवरि परदेस से  पहुन का

कहलस की सोलहो सिंगार कइल

सुगना पठवत विदेसिया पहुनवा

चितवा चोराइ बेकरार कइल

मनवा चहत पिय रीति मिलन करि के

सँसवा से साँस सोहनार  कइल

जिनगी  खेवात ना अँसुअन बहले 

उठि के नारी सक्ति सकार कइल

-प्रमोद श्रीवास्तव 

मौलिक और अप्रकाशित 

सोहनार -सुहावना, मनभावन  ;  जगार- जागरण ;    उजार--उजियारा;   पँवरि -तैर कर; चहला -कीचड़; पुछार -पोंछाई

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Replies to This Discussion

आदरणीय गुरूवर सौरभ पाण्डेय जी, 

राउर सनेह सीख सुझाव क आसरा निहारत ।

प्रस्तुति के अनुमोदन के लिए सादर आभार ।

भाव पक्ष से सोझ एह गजल के शैल्पिकता प हम रउआ से सहयोग चाहब. तनिका तक्तीह कऽ के बतावल जाव जे गजल के मिसरा कइसे सर्हियावल गइल बा. तब हम एक हाली फेरु से एह प्रस्तुति प आइब. 

सादर

आदरणीय गुरूवर सौरभ पाण्डेय जी, 

क्षमा परथना कs संगे गल्ती सुधारल चाहत बानी। बह्र फइलातुन फाइलुन फऊल फेलुन/फइलुन होई। फाइलातुन  लिखा गइल रहल ह।दुसरके शेर कs पहिलके मिसरा में शब्द "अइसन"  लिखा गइल बा ऊ "अइसने" होई।

फइलातुन  फाइलुन  फऊल   फेलुन/फइलुन 

1 1 2 2     2 1 2   1 2 1    2 11/1111

कहँवा से/ आइ के/ जगार/ कइलs

जिनगी में/ साँइ से/ उजार/ कइलs

जिनगी से/ अइसने/ करार/ कइलs

सिनुरा वी/रांगना/ पुछार/ कइलs

पँउआ बढ़/त रहल अ/धुना क/ चहला

मथवा सह/लाइ हो/सियार/ कइलs

पतिया पँव/रि परदे/स से  प/हुन का

कहलस की/ सोलहो /सिंगार/ कइल s

सुगना पठ/वत विदे/सिया प/हुनवा

चितवा चो/राइ बे/करार/ कइलs

मनवा चह/त पिय री/ति मिलन/ करि के

सँसवा से/ साँस सो/हनार/  कइलs

जिनगी  खे/वात ना/ अँसुअन/ बहले 

उठि के ना/री सक्ति /सकार/ कइलs

-प्रमोद श्रीवास्तव 

सादर ।

अब बुझाइल तऽ, बाकिर रउआ वर्णिकता में छन्द आ गजल के विधान में घालमेल क रहल बानीं. कहवाँ (सही हिज्जे त ईहे होखे के चाहीं) के मात्रा ११२ ना हो के २२ होखी. असहीं जिनिगी के मात्रा ११२ ना होके २२ होखी. एही तरी, सिनुरा, पँउआ, मथवा, पतिया, कहलस, सुगना, चितवा, मनवा, सँसवा, उठि के एह सभ के मात्रा भार २२ होखी.  बहर के मात्रा-भार वाचिक परम्परा के अनुसार होला. एही वाचिक परम्परा के अनुसार भोजपुरी भासा चलेले. 

एह मंच पर गजल के लेके बहुत सुगढ़ आलेख बाड़न सऽ. रउआ से निहोरा बा, पहिले एक हाली रउआ उन्हनीं के देख जाईं. गजल के अभ्यास में आवत ढेर कठिनाई से निजात मिल जाई.. 

जै जै 

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