For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियों

सादर वन्दे,


समय कितनी तेज़ी से गुज़र जाता है - पता ही नहीं चलता. अब देखिए न, देखते ही देखते "ओबीओ लाईव महा उत्सव" के १४ आयोजन मुकम्मिल भी हो चुके और १५ वे अंक के आयोजन का समय भी आ पहुंचा. पिछले १४ कामयाब आयोजनों में रचनाकारों में १४ विभिन्न विषयों बड़े जोशो खरोश के साथ और बढ़ चढ़ कर कलम आजमाई की. जैसा कि आप सब को ज्ञात ही है कि दरअसल यह आयोजन रचनाकारों के लिए अपनी कलम की धार को और भी तेज़ करने का अवसर प्रदान करता है, इस आयोजन पर एक कोई विषय या शब्द देकर रचनाकारों को उस पर अपनी रचनायें प्रस्तुत करने के लिए कहा जाता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में ओपन बुक्स ऑनलाइन पेश कर रहा है:

.

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक  १५   

विषय - "तलाश"  
आयोजन की अवधि रविवार ८ जनवरी २०१२ से मंगलवार १० जनवरी २०१२ 
..

"तलाश" महज़ एक शब्द ही नहीं अपितु एक विस्तृत विषय भी है और एक विचारधारा भी. आज के में कौन ऐसा होगा जो किसी न किसी चीज़ की तलाश में न हो ? कोई सुख की तलाश में है तो कोई शांति की, कोई सफलता की तलाश में तो कोई सुकून की. कोई रौनक की तलाश में है तो कोई एकांत की, अंधेरों को रौशनी की तलाश है तो तारों को चाँद की. कोई पाँव तलाश कर रहा है तो कोई जूते. यानि "तलाश" शब्द का दायरा इतना वसीह और बहु-आयामी है कि एक रचनाकार इसे हर रंग और हर ढंग से इसको परिभाषित कर सकता है. तो आईए मित्रों ! वर्ष २०१२ के पहले "ओबीओ लाईव महा उत्सव" अंक-*१५ में, उठाइए अपनी कलम और रच डालिये कोई शाहकार रचना. मित्रो, बात बेशक छोटी कहें मगर वो बात गंभीर घाव करने में सक्षम हो तो आनंद आ जाए.

.

महा उत्सव के लिए दिए विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते है | उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम निम्न है:

.

  1. तुकांत कविता
  2. अतुकांत आधुनिक कविता
  3. हास्य कविता
  4. गीत-नवगीत
  5. ग़ज़ल
  6. हाइकु
  7. व्यंग्य काव्य
  8. मुक्तक
  9. छंद  (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका इत्यादि)

 .

अति आवश्यक सूचना :- "OBO लाइव महा उत्सव" अंक- १५ में सदस्यगण  आयोजन अवधि में अधिकतम तीन स्तरीय प्रविष्टियाँ  ही प्रस्तुत कर सकेंगे | नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा गैर स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटा दिया जाएगा, यह अधिकार प्रबंधन सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी |


(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो रविवार ८ जनवरी लगते ही खोल दिया जायेगा )


यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign up कर लें |


"महा उत्सव"  के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...

"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

मंच संचालक

धर्मेन्द्र शर्मा (धरम)

Views: 12563

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

मोहिनी जी

बहुत सुन्दर और संवेदनशील रचना के लिए

हार्दिक बधाई स्वीकारे

सर्वप्रथम ह्रदय से साधुवाद स्वीकार करें मोहिनी जी ................... मर्म को स्पर्श कर रही आपकी यह कविता न सिर्फ शिल्प , शैली, रचना - विधान एवं तकनीक के मद्देनज़र सर्वोतम है, बल्कि भाव एवं भावना के लिहाज़ से भी सर्वोतम है

//मन तलाशता है ,

उन बुजुर्गों को जो घर की शान होते थे

आज मिलते हैं गंगाघाट पर या किसी वृद्धाश्रम में |

उस जननी को जो घर संवारते -सवांरते  संस्कार भी देती थी

आज.............................. अजन्मी ही मिलती है कूड़ेदान में |//

मन तलाशता है ,

उन बुजुर्गों को जो घर की शान होते थे

आज मिलते हैं गंगाघाट पर या किसी वृद्धाश्रम में |

उस जननी को जो घर संवारते -सवांरते  संस्कार भी देती थी

आज.............................. अजन्मी ही मिलती है कूड़ेदान में |//

आदरणीया मोहिनी जी! आपकी यह रचना हृदय को स्पर्श कर गयी ! बहुत बहुत बधाई आपको !

bahot sundar bhavabhivyakti hai, kya kehne

बधाई हो मोहिनी जी

अत्यंत संवेदन शील पंक्तियाँ है ....एकदम ह्रदय को झकझोर देने में काबिल .....मोहिनी जी आपके इस सार्थक रचनाकर्म को नमन| 

आदरणीया मोहिनी जी, संवेदना से परिपूर्ण और ऐसे विषय पर लिखी रचना जिसे बहुत कम लोग छू पाते है | बधाई स्वीकारे |

उन मानवीय संवेदनाओं को जो रिश्तों की नींव होती थीं

आज कहीं खो गई हैं  ,जीवन की आपाधापी में |

उस आस्था और विश्वास को जो जीवन को मधुरता देते थ

आज उन्हें देश निकाला दे दिया है मानव मन ने |

बहुत खूब

सीधी-सपाट भाषा में सुस्पष्ट शब्द-भाव. बधाई मोहिनी जी.

किन्तु, एक अनुरोध,  पंक्तियों में नैराश्य न आने दें.  चीज़ें इतनी संपृक्त नहीं हुई हैं.. . :-))))

दोहे

|

आँखे अपनी हैं खुलीं, खोज रही चंहु ओर |

जाने क्यों दिखता नहीं, नजरों से ही भोर |१|

|

खेत तलाशे नेह को, माटी मांगे स्वेद |

बरखा ढूंढे बीज सब, करे नहीं वो भेद |२|

|

पनघट को पनिहारिनें, पनघट मीठे गीत |

गोकुल गलियाँ ढूंढ़ती, कांकर मटकी प्रीत |३|

|

गायें गोचर खोजतीं, गोचर कोमल दूब |

घर घर खोजे सांवरा, माखन खाए खूब |४|

|

कोयलिया की तान हो, अमुवा चाहे नित्य |

मनवा भूखा ढूंढ़ता, सरस, सहज साहित्य |५|

|

सावन सूखे पेड़ को, पेड़ खगों के साज |

जंगल रोकर ढूंढ़ता, हरियाली को आज |६|

|

नैया ढूंढे नाखुदा, नदिया बोले नाव |

शहरों में खोजें कहा, भोले भाले गाँव |७|

|

दिनकर ढूंढे ताल को, ताल खिला, दे फूल |

योग और सहयोग ही, खुशियों की हैं मूल |८|

|

यौवन मांगे नौकरी, नौकर करे न काम |

सब के सब ही ढूंढ़ते, अपने अपने राम |९|

|

मधुर बोल नीची नजर, जीवन का आधार |

विनम्रता को ढूंढ़ता, गुरुता का सन्सार |१०|

|

बाट बाट में खोजता, फिरता है अविराम |

अंदर क्यूँ झांके नहीं, जहां बसे घनश्याम |११|

|

_______________________________

- संजय मिश्रा 'हबीब'

  गागर में सागर भरा है संजय मिश्रा हबीब जी |  खूबसूरत दोहे तलाश किये हैं आपने ,बधाई 

आदरणीय मोहिनी जी उत्साहित हुआ... सादर आभार.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"ओबीओ का मेल चेक करें "
29 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर सादर नमन....दोष तो दोष है उसे स्वीकारने और सुधारने में कोई संकोच नहीं है।  माफ़ी…"
46 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"भाई बृजेश जी, आपको ओबीओ के मेल के जरिये इस व्याकरण सम्बन्धी दोष के प्रति अगाह किया था. लेकिन ऐसा…"
58 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय धामी जी स्नेहिल सलाह के लिए आपका अभिनन्दन और आभार....आपकी सलाह को ध्यान में रखते हुए…"
2 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय गिरिराज जी उत्साहवर्धन के लिए आपका बहुत-बहुत आभार और नमन करता हूँ...आपसे आदरणीय नीलेश…"
2 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय नीलेश जी सर्व प्रथम रचना पटल पे उपस्थिति के लिए आपका हार्दिक आभार....वैसे ये…"
2 hours ago
Admin posted discussions
13 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
14 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
" आदरणीय सुशील सरना जी सादर, जीवन के सत्य पर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और मार्गदर्शन के लिए आभार। कुछ सुधार किया है…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service