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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-32 (विषय: सुबह का भूला)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के पिछले 31 अंकों में हमारे साथी रचनाकारों ने जिस उत्साह से इसमें हिस्सा लिया और इसे सफल बनाया, वह सच में हर्ष का विषय हैI कठिन विषयों पर भी हमारे लघुकथाकारों ने अपनी उच्च-स्तरीय रचनाएँ प्रस्तुत कींI विद्वान् साथिओं ने रचनाओं के साथ साथ उनपर सार्थक चर्चा भी की जिससे रचनाकारों का भरपूर मार्गदर्शन हुआI इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है:
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-32
विषय: "सुबह का भूला"
अवधि : 29-11-2017 से 30-11-2017 
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अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि भी लिखे/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
5. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
6. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
7. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
8. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
9. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
10. गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI    
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

आपकी मुक्तकंठ प्रशंसा और ज़र्रानवाज़ी का हृदय से आभारी हूँ आ. शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी. शीर्षक पर मैंने भी काफी विचार किया था. यदि आपके ज़हन में इससे बेहतर कोई शीर्षक आता है तो अवश्य साझा कीजिएगा. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. सादर.

जनाब महेन्द्र कुमार जी आदाब,प्रदत्त विषय को सार्थक करती उम्दा लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

सादर आदाब आ. समर कबीर सर. लघुकथा को पसन्द करने के लिए आपका आभारी हूँ. बहुत-बहुत धन्यवाद. सादर.

स्त्रियों और भारत माँ की दयनीय दशा करने के लिए जिम्मेदार माँ के ये भटके हुए  बेटे ही है, जो दुर्दशा कर रहे है | बहुत सुंदर और मार्मिक लघुकथा के लिए बधाई श्री महेंद्र कुमार जी | किन्तु ये सुबह के भूले शीर्षक में अंतर्गत आती है क्या ? विशेषज्ञ ही बताएँगे |

हार्दिक आभार आ. लक्ष्मण रामानुज जी. यह लघुकथा प्रदत्त शीर्षक के अन्तर्गत इसलिए आती है कि इसमें एक माँ अपने बेटों का यह सोचते हुए इन्तज़ार कर रही है वह कि भटके (भूले) हुए हैं और शाम तक लौट आएँगे. उम्मीद है बात स्पष्ट हुई होगी. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. सादर.

जनाब महेंद्र कुमार साहिब ,प्रदत्त विषय पर सुन्दर लघुकथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं

बहुत-बहुत शुक्रिया आ. तस्दीक़ अहमद जी. सादर आभार.

भाई महेंद्र कुमार जी, लाजवाब कथा हुयी है. पूरा द्रिध्य आँखों के सामने घूमता हुआ नज़र आया. विद्वानों का मत है कि यदि लघुकथा लिखी हुई या कही हुई न लगे बल्कि घटती हुई लगे तो माना जाना चाहिए कि वह एक सफल रचना है. उस लिहाज़ से यह कथा बेहद प्रभावशाली हुई है जिस हेतु मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें.

बहुत-बहुत शुक्रिया सर. लघुकथा आपको अच्छी लगी, लेखन सार्थक रहा. //विद्वानों का मत है कि यदि लघुकथा लिखी हुई या कही हुई न लगे बल्कि घटती हुई लगे तो माना जाना चाहिए कि वह एक सफल रचना है.// आपकी इस बात का मैं भविष्य में पूरा ध्यान रखूँगा. इस मूल्यवान मन्त्र और लहुकथा पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभारी हूँ. बहुत-बहुत धन्यवाद. सादर.

बेहतरीन प्रस्तुति । हार्दिक बधाई स्वीकारें ।

सादर आभार आ. शशि जी. धन्यवाद.

बहुत ही बढ़िया लघुकथा हुई है आदरणीय महेंद्र जी| बेहतरीन शिल्प और चित्रण हुआ है, बधाई स्वीकारें आदरणीय| 

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