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आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार छियासठवाँ आयोजन है.

 

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

21 अक्तूबर 2016 दिन शुक्रवार से 22 अक्तूबर 2016 दिन शनिवार तक


इस बार पिछले कुछ अंकों से बन गयी परिपाटी की तरह ही दोहा छन्द तो है ही, इसके साथ पुनः कुकुभ छन्द को रखा गया है. - 

दोहा छन्द और ताटंक छन्द

 

ताटंक छन्द पर आधारित रचनाओं के लिए बच्चन की मधुशाला का उदाहरण ले सकते हैं. 

 

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.

इन छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना करनी है. 

प्रदत्त छन्दों को आधार बनाते हुए नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.  

[प्रस्तुत चित्र अंतरजाल से प्राप्त हुआ है]

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो दोनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.   

 

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

दोहा छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

  

ताटंक छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

 

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आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 21 अक्तूबर 2016 दिन शुक्रवार से 22 अक्तूबर 2016 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  5. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  6. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  7. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष :

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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

सत्य कहा यह निज दुनिया में, खोई नन्ही बाला है,

छंद–छंद उसके साहस का , चित्रण भी कर डाला है,

सुंदर रचनाएं हैं सारी,  खूब बधाई स्वीकारें,

लेकिन कर्फ्यू को हम ‘करफ्यू’, बोलो कैसे उच्चारें ||.... :)

आदरणीया राजेश कुमारी जी सादर, प्रदत्त चित्र पर सुंदर छंदों को लिए बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.

 

ताटंक छंद

..............

  

द्वार बंद हैं सभी नगर के, बाहर तो बर्बादी है।

खामोशी शमसान सी हुई, ये कैसी आजादी है॥

मिले सुरक्षा तब होता है, खाना पढ़ना सोना भी।

अगवा हो या मर जायें तो, बाहर आकर रोना भी॥

 

चलते पढ़ते सोच रही है, कब तक यूँ ही जीना है।

खेल कूद ना संग सहेली, बीते सात महीना है॥

बड़ी उम्र की सखियाँ कोई, बाहर कभी न आती है।

खिड़की से यदि झाँके भी तो, डांट उसे पड़ जाती है॥

 

बच्चों के मन में सवाल है, क्यों ऐसी वीरानी है।

गंध शहर की बारूदी क्यों, हर दिन यही कहानी है॥

दूध पिलाकर पाकिस्तानी, समर्थक को न पालेंगे।

पैलेट न मिर्ची गन से अब, हम गोली से मारेंगे॥

............................................................

मौलिक एवं अप्रकाशित 

आप चित्र को बाँध चले हो,सुन्दर सुन्दर भावों में
हालत हो जाती है कैसी,इन कश्मीरी गाँवों में
बहुत बधाई हम देते हैं पुलकित मन का कोना है
सखियाँ शब्द तो बहु वचन है 'है'को तो हैं होना है।

आदरणीय सतविंद्र भाईजी

ताटंक का जवाब ताटंक से ... अति सुंदर । रचना को समय देने और विशेष रूप से छंद बद्ध प्रशंसा के लिए आपका हृदय से धन्यवाद आभार।

आदरणीय अखिलेश भाई जी, यह दूसरी रचना चित्र की नायिका के मनोभावों को सुन्दरता से अभिव्यक्त करती साझा हुई है. यह आपके भावजन्य सोच का ही सुखद परिणाम है. हार्दिक बधाई स्वीकार करें, आदरणीय.

अंतिम छन्द की अंतिम दोनों पंक्तियों में गेयता को लेकर तनिक और प्रयास की आवश्यकता प्रतीत हो रही है. 

दूध पिलाकर पाकिस्तानी, नहीं समर्थक पालेंगे। 

पैलेट गन या मिर्ची गन क्या, अब गोली हम मारेंगे ..  ..

देखिये ऐसा करने से गेयता सहज हुई दिख रही है ? वैसे, बच्ची की सोच से उभरी यह ललकार तो बहुत ही आग्रही है ! यानी, बच्ची सोचे सीधा अटैक ! .. :-। 

सादर

आदरणीय सौरभ भाईजी

आपकी प्रतिक्रिया से मन प्रसन्न और उत्साहित है। ताटंक पर मेरा प्रयास सार्थक हो गया। हृदय से धन्यवाद आभार।

आदरणीय अंतिम छंद की चौथी पंक्ति में आपके सुझाव पूरी तरह मान्य है [ 24 कैरेट ] । तीसरी पंक्ति में नहीं समर्थक कुछ खटक रहा है। तीन विकल्प हैं .....

1... दूध पिलाकर अब ना कोई, पाक समर्थक पालेंगे।

2... अब ना पाक समर्थक कोई. दूध पिलाकर पालेंगे।

3... अब ना कोई राष्ट्र विरोधी, पाक समर्थक पालेंगे।

आपको पुनः कष्ट दे रहा हूँ  समर्थन या कोई और सुझाव के लिए।

सादर

हमने तो आपके ही पंक्ति को विधान के अनुसार कर दिया था. आप द्वारा प्रस्तुत सभी विकल्प सही है. तीसरा वाला अधिक सही है. 

 मोहतरम जनाब अखिलेश    साहिब  , प्रदत्त चित्र को परिभाषित करते सुन्दर ताटंक  छंदों के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं 

आदरणीय तस्दीक भाई

 रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हृदय से धन्यवाद आभार।

आदरणीय बड़े भाई , आपकी दूसरी रचना ताटंक चाद भी बहुत अच्छी हुई है । आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

दूध पिलाकर नही समर्थक , पाकिस्तानी पालेंगे -- ऐसा करें तो गेयता सही लग रही है , देखियेगा ।

प्रिय भाई गिरिराज

रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए हृदय से धन्यवाद आभार।  सुझाव अच्छा है , तीन विकल्प भी हैं

जनाब अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी आदाब,आपकी ये प्रस्तुति भी बहुत दमदार रही,प्रदत्त चित्र पर बढ़िया छन्द रचना हुई है,दिल से बधाई स्वीकार करें ।

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