For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-17 (विषय: विरासत)

आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के पिछले 16 आयोजनों की अपार सफ़लता के बाद "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक 17  में आपका हार्दिक स्वागत हैI प्रस्तुत है:
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-17
विषय : "विरासत"
अवधि : 30-08-2016 से 31-08-2016 
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 30 अगस्त 2016 लगते ही खोल दिया जायेगा)
.
अति आवश्यक सूचना :-
१. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
२. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
३. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
४. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
५. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी लगाने की आवश्यकता नहीं है।
६. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
७. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
८. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
९. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं। रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें।
१०. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें।
११. रचना/टिप्पणी सही थ्रेड में (रचना मेन थ्रेड में और टिप्पणी रचना के नीचे) ही पोस्ट करें, गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी बिना किसी सूचना के हटा दी जाएगी I
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 15886

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

बहुत उम्दा लघुकथा. बधाई आद्रन्य्य जानकी वाही जी.

वाह आदरणीया जानकी जी । अलग अंदाज़ की कथा हुई है । बहुत बहुत बधाई सखी ।

बहुत ही सुन्दर ओर मार्मिक लघु कथा हुई है, बहुत बहुत बधाई आपको आ 

संघर्ष की विरासत

बड़ा जीवट था। अपने खेत से बहुत प्यार करता था। दिन भर मेड़ों पर ही पड़ा रहता। आज जहाँ धरती पेट भर अनाज नहीं देती, वहाँ ये पागल सोना उगाने की बात करता था। इसी वजह से एक बार लड़के ने पिता पर चिल्लाते हुए उनको सनकी  कह दिया था। बेटे के उस  व्यवहार से छाती पर बज्र गिरने जैसा महसूस किया था उन्होंने। वह पिता के साथ खेत में काम करने को तैयार नहीं हुआ इसलिये घर छोड़ शहर चला गया। वैसे तो अब गाँव में अधिकतर घरों में बुजूर्ग ही बचे रह गये थे क्योंकि बच्चों को पढ़ लिख कर बाबू बनना था। कई घरों के तालों में जंग - जाले तक लगे हुए है। राख ,गोबर से खेत को दिन भर पटाता , इस बुढ़ापे में अकेले सुबह से शाम तक खटता ,मरता रहता। उसके बेटे के बारे में बात करो तो आक्रोश से भर उठता था। उसके खेत में गेहूँ की जगह इस बार अलग ही प्रकार की फसल बोई गई थी।
"बूढ़ा अनाप- शनाप बोयेगा तो खायेगा क्या?" उस दिन भी कुछ मजदूरों को कटाक्ष करते हुए सुना था उसने।
पिछले कई हफ्तों से कुछ लोग उसके खेत में उगे अजीबो गरीब झाड़ियों को देखने आ रहे थे। गाँव के लोग छिटक कर दूर से ही कौतुहलवश कान लगाये रहते थे।
"यहाँ की मिट्टी में सोना उगा कर चमत्कार कर दिया आपने रामधारी जी ! " खेत की पगडंडी पर खड़े उस अफसर-सा दिखाई देने वाले ने लगभग चिल्ला कर ही कहा था ।
" एक नई कोशिश की है आयुर्वेद की सम्पदा को बचाने की।"
" जी, हाँ, तभी तो इन दुर्लभ जड़ी - बुटियों के खरीदी के लिये विदेशी सप्लायर आये है। कृपया पहले इनसे मिल लीजिये।"
सामने गोरी चमड़ी को खड़ा देख झट से अपनी मटमैली धोतीे में उसने हथेली को रगडा़ और हाथ आगे बढ़ा दिया।
" ग्लैड टू मीट यू ! मीडिया में आपके बारे में बहुत सुना है।"
"थैंक्स,फॉर दिश अप्रीसियेशन "जबाब देते हुए उसकी निगाहें पगडंडी पर अटक गई।

शहर से लौटता हुआ बेटा ! चेहरा चमक उठा। सरसराती हुई हवा के गुजरने से उसका ध्यान सामने गया जहाँ नदी के किनारे तटस्थ विश्वास का वटवृक्ष अपने विस्तार से नई पौध को जीना सिखा रहा था।

मौलिक और अप्रकाशित

विरासत को आयुर्वेद और नई पीढ़ी से जोड़ते हुए बेहतरीन शिल्पबद्ध सकारात्मक संदेश देती प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई आपको आदरणीया कान्ता राय जी।

वाह, बहुत खूब ! बहुत ही उम्दा लघुकथा हुई है आ० कान्ता रॉय जी, बधाई स्वीकार करेंI  

हमारी सोच की एक ये सबसे बड़ी त्रासदी है कि हमारी किसी चीज़ की जब विदेशों में भी पहचान होने लगती है तभी हमें भी उसके गुणों का ख्याल आता है  ये बात योग और आयुर्वेद पर भी लागू होती है .  बहुत प्रभावशाली कथ्य उभारा है आपने अपनी इस रचना में   हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीया कांता जी  

अपना ख़ून ,अपना बेटा इतना बेगाना भी हो सकता है कितना दुखद है एक पिता के लिये संवेदनशील कथा के लिये बधाई आपको आद०कांता राय जी ।

आदरणीया कान्ता रॉय जी, आपने बहुत बढ़िया कथा लिखी है. // नदी के किनारे तटस्थ विश्वास का वटवृक्ष अपने विस्तार से नई पौध को जीना सिखा रहा था।// जैसी पंचलाइन ने कथा के प्रभाव को दुगुना कर दिया है. इस शनदार प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई. सादर 

वाह. बहुत ही शानदार कथ्य और कथा ।हार्दिक बधाई आपको इस सुंदर कथा के लिए।नमन

मोहतरमा  कांता    साहिबा    ,  प्रदत्त विषय को परिभाषित करती और सन्देश देती  सुन्दर   लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं 

 खूबसूरत कथ्य के साथ खूबसूरत प्रस्तुति , बधाई ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
1 hour ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
3 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service