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Janki wahie
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TEJ VEER SINGH left a comment for Janki wahie
"जन्म दिन की हार्दिक बधाई एवम शुभ कामनायें आदरणीय जानकी वाही जी।"
Apr 17, 2020
TEJ VEER SINGH left a comment for Janki wahie
"जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवम असीमित शुभ कामनाँयें आदरणीय जानकी वाही जी।"
Apr 17, 2019

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Female
City State
Noida
Native Place
Pithoragarh
Profession
Service

Janki wahie's Blog

रानी (लघुकथा )जानकी बिष्ट वाही

"बेचारी ?"

सामने वाली झुग्गी में इस नई ब्याही को।पति रोज काम पर जाते बाहर से ताला ठोक जाता है जैसे उसकी दिल की रानी को कोई चोर न ले जाय पीछे से।

छुटकी, बड़की को देख फिस्स से हँस दी।

" उसकी नज़र से देखा जाय तो ये मेहरारू ही उसका धन है।गज़ब की सुंदर जो है ।"

बड़की ने हँसी में साथ दिया।



वे दोनों रोज उसकी खूबसूरत पनीली बड़ी-बड़ी आँखें छुपकर देखने का मोह नहीं छोड़ पाती हैं ।जब से वह आई है उनका नीरस जीवन सरस हो उठा है। वर्ना सारा दिन यूहीं निकल जाता है जब से पढ़ाई… Continue

Posted on September 30, 2017 at 1:04am — 4 Comments

रानी (लघुकथा )जानकी बिष्ट वाही

"बेचारी ?"

सामने वाली झुग्गी में इस नई ब्याही को।पति रोज काम पर जाते बाहर से ताला ठोक जाता है जैसे उसकी दिल की रानी को कोई चोर न ले जाय पीछे से।

छुटकी, बड़की को देख फिस्स से हँस दी।

" उसकी नज़र से देखा जाय तो ये मेहरारू ही उसका धन है।गज़ब की सुंदर जो है ।"

बड़की ने हँसी में साथ दिया।



वे दोनों रोज उसकी खूबसूरत पनीली बड़ी-बड़ी आँखें छुपकर देखने का मोह नहीं छोड़ पाती हैं ।जब से वह आई है उनका नीरस जीवन सरस हो उठा है। वर्ना सारा दिन यूहीं निकल जाता है जब से पढ़ाई… Continue

Posted on September 30, 2017 at 1:04am

हौसला ( लघुकथा -जानकी बिष्ट वाही )

गोधूलि बेला में भी जब वह नौजवान उस चट्टान से नहीं उठा तो तो मेरा मन आशंकित हो उठा।साँझ तेजी से कालिमा के आगोश में समा रही थी और सागर की उत्ताल लहरें पागलों की तरह उस नौजवान के पाँवों से कुछ नीचे चट्टानों पर अपना सिर पटक रही थीं।

जब भी मैं कभी उदास या खुश होता हूँ तो यहाँ आकर सागर को निहारना मुझे सुक़ून देता है।



अब मैं घर जाना चाहता है पर उस नौजवान की भावभँगिमा मेरे पाँवों की बेड़ी बन मुझे रोक रही है।



"छोड़ो ,मुझे क्या? होगा कोई ? मैंने क्या सारी दुनिया का ठेका ले रखा… Continue

Posted on September 23, 2017 at 1:19pm — 18 Comments

पिछड़ा आदमी **( लघुकथा---जानकी बिष्ट वाही। )

" लगता है कोई छोटा सा स्टेशन है ये ? क्यों रुकी होगी ? सुपर फ़ास्ट ट्रेन तो रूकती नहीं ऐसे स्टेशनों पर?"



एसी.कोच में देश-विदेश की राजनीति ,अर्थव्यवस्था ,फ़िल्मी दुनिया , फैशन ,रेप भ्रूण हत्या, स्त्री विमर्श, जेनरेशन गैप , किसान आत्महत्या ,अराजकता , तलाक अन्तरिक्ष मिशन और आरक्षण पर से होती गरमागरम बहस से थक चुके अनुज ने खिड़की से बाहर का ज़ायज़ा लेते हुए कहा।पर किसी ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया सिवाय मोनिता के,वह उत्सुकता से बाहर देखने लगी।



छुट्टियों में घर लौटते… Continue

Posted on July 28, 2017 at 2:40pm — 4 Comments

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At 10:03am on April 17, 2020, TEJ VEER SINGH said…

जन्म दिन की हार्दिक बधाई एवम शुभ कामनायें आदरणीय जानकी वाही जी।

At 5:57pm on April 17, 2019, TEJ VEER SINGH said…

जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवम असीमित शुभ कामनाँयें आदरणीय जानकी वाही जी।

At 9:23am on January 28, 2016, Madanlal Shrimali said…
आ.जानकी वाही जी ...आपकी लघुकथा "मायरा" को ओबीओ में "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
At 12:55pm on January 27, 2016, kanta roy said…

दिल से ढेरों बधाई आपको आदरणीया जानकी जी, आपकी सार्थक लघुकथा "मायरा " को इस प्रतिष्ठित  मंच " obo " की "महीने की सर्वश्रेष्ठ " रचना का सम्मान पाने हेतु।  वाकई आपने बेहतरीन लघुकथा सृजित की है।  मुग्ध हूँ ।  

At 4:44pm on January 16, 2016,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीया जानकी बिष्ठ वाही जी.
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी लघुकथा "मायरा" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |

आपको प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
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आपका
गणेश जी "बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक 
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 3:41am on July 16, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

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At 4:54pm on July 13, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…
ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है।
 
 
 

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