For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Janki wahie
  • Noida,UP
  • India
Share on Facebook MySpace
 

Janki wahie's Page

Latest Activity

TEJ VEER SINGH left a comment for Janki wahie
"जन्म दिन की हार्दिक बधाई एवम शुभ कामनायें आदरणीय जानकी वाही जी।"
Apr 17, 2020
TEJ VEER SINGH left a comment for Janki wahie
"जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवम असीमित शुभ कामनाँयें आदरणीय जानकी वाही जी।"
Apr 17, 2019

Profile Information

Gender
Female
City State
Noida
Native Place
Pithoragarh
Profession
Service

Janki wahie's Blog

रानी (लघुकथा )जानकी बिष्ट वाही

"बेचारी ?"

सामने वाली झुग्गी में इस नई ब्याही को।पति रोज काम पर जाते बाहर से ताला ठोक जाता है जैसे उसकी दिल की रानी को कोई चोर न ले जाय पीछे से।

छुटकी, बड़की को देख फिस्स से हँस दी।

" उसकी नज़र से देखा जाय तो ये मेहरारू ही उसका धन है।गज़ब की सुंदर जो है ।"

बड़की ने हँसी में साथ दिया।



वे दोनों रोज उसकी खूबसूरत पनीली बड़ी-बड़ी आँखें छुपकर देखने का मोह नहीं छोड़ पाती हैं ।जब से वह आई है उनका नीरस जीवन सरस हो उठा है। वर्ना सारा दिन यूहीं निकल जाता है जब से पढ़ाई… Continue

Posted on September 30, 2017 at 1:04am — 4 Comments

रानी (लघुकथा )जानकी बिष्ट वाही

"बेचारी ?"

सामने वाली झुग्गी में इस नई ब्याही को।पति रोज काम पर जाते बाहर से ताला ठोक जाता है जैसे उसकी दिल की रानी को कोई चोर न ले जाय पीछे से।

छुटकी, बड़की को देख फिस्स से हँस दी।

" उसकी नज़र से देखा जाय तो ये मेहरारू ही उसका धन है।गज़ब की सुंदर जो है ।"

बड़की ने हँसी में साथ दिया।



वे दोनों रोज उसकी खूबसूरत पनीली बड़ी-बड़ी आँखें छुपकर देखने का मोह नहीं छोड़ पाती हैं ।जब से वह आई है उनका नीरस जीवन सरस हो उठा है। वर्ना सारा दिन यूहीं निकल जाता है जब से पढ़ाई… Continue

Posted on September 30, 2017 at 1:04am

हौसला ( लघुकथा -जानकी बिष्ट वाही )

गोधूलि बेला में भी जब वह नौजवान उस चट्टान से नहीं उठा तो तो मेरा मन आशंकित हो उठा।साँझ तेजी से कालिमा के आगोश में समा रही थी और सागर की उत्ताल लहरें पागलों की तरह उस नौजवान के पाँवों से कुछ नीचे चट्टानों पर अपना सिर पटक रही थीं।

जब भी मैं कभी उदास या खुश होता हूँ तो यहाँ आकर सागर को निहारना मुझे सुक़ून देता है।



अब मैं घर जाना चाहता है पर उस नौजवान की भावभँगिमा मेरे पाँवों की बेड़ी बन मुझे रोक रही है।



"छोड़ो ,मुझे क्या? होगा कोई ? मैंने क्या सारी दुनिया का ठेका ले रखा… Continue

Posted on September 23, 2017 at 1:19pm — 18 Comments

पिछड़ा आदमी **( लघुकथा---जानकी बिष्ट वाही। )

" लगता है कोई छोटा सा स्टेशन है ये ? क्यों रुकी होगी ? सुपर फ़ास्ट ट्रेन तो रूकती नहीं ऐसे स्टेशनों पर?"



एसी.कोच में देश-विदेश की राजनीति ,अर्थव्यवस्था ,फ़िल्मी दुनिया , फैशन ,रेप भ्रूण हत्या, स्त्री विमर्श, जेनरेशन गैप , किसान आत्महत्या ,अराजकता , तलाक अन्तरिक्ष मिशन और आरक्षण पर से होती गरमागरम बहस से थक चुके अनुज ने खिड़की से बाहर का ज़ायज़ा लेते हुए कहा।पर किसी ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया सिवाय मोनिता के,वह उत्सुकता से बाहर देखने लगी।



छुट्टियों में घर लौटते… Continue

Posted on July 28, 2017 at 2:40pm — 4 Comments

Comment Wall (7 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 10:03am on April 17, 2020, TEJ VEER SINGH said…

जन्म दिन की हार्दिक बधाई एवम शुभ कामनायें आदरणीय जानकी वाही जी।

At 5:57pm on April 17, 2019, TEJ VEER SINGH said…

जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवम असीमित शुभ कामनाँयें आदरणीय जानकी वाही जी।

At 9:23am on January 28, 2016, Madanlal Shrimali said…
आ.जानकी वाही जी ...आपकी लघुकथा "मायरा" को ओबीओ में "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
At 12:55pm on January 27, 2016, kanta roy said…

दिल से ढेरों बधाई आपको आदरणीया जानकी जी, आपकी सार्थक लघुकथा "मायरा " को इस प्रतिष्ठित  मंच " obo " की "महीने की सर्वश्रेष्ठ " रचना का सम्मान पाने हेतु।  वाकई आपने बेहतरीन लघुकथा सृजित की है।  मुग्ध हूँ ।  

At 4:44pm on January 16, 2016,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीया जानकी बिष्ठ वाही जी.
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी लघुकथा "मायरा" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |

आपको प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |
शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक 
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 3:41am on July 16, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

स्वागत अभिनन्दन 

ग़ज़ल सीखने एवं जानकारी के लिए

 ग़ज़ल की कक्षा 

 ग़ज़ल की बातें 

 

भारतीय छंद विधान से सम्बंधित जानकारी  यहाँ उपलब्ध है

|

|

|

|

|

|

|

|

आप अपनी मौलिक व अप्रकाशित रचनाएँ यहाँ पोस्ट कर सकते है.

और अधिक जानकारी के लिए कृपया नियम अवश्य देखें.

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतुयहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

 

ओबीओ पर प्रतिमाह आयोजित होने वाले लाइव महोत्सवछंदोत्सव,  तरही  मुशायरा  व लघुकथा गोष्ठी में आप सहभागिता निभाएंगे तो हमें ख़ुशी होगी. इस सन्देश को पढने के लिए आपका धन्यवाद.

At 4:54pm on July 13, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…
ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है।
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
4 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
14 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
21 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
21 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service