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मै आदरणीय अखिलेश जी का शब्द चुराना चाहूंगी 'कालजयी रचना ' किताबों के बीच का द्वन्द और शतरंज ,क्या खूब कथ्य उकेरा है आपने ,बधाई आपको इस रचना पर आदरणीया राजेश कुमारी जी
प्रिय प्रतिभा जी ,मिथिलेश जी की बात का अनुमोदन करके आपने मेरा उत्साह कई गुना बढ़ा दिया है आपका दिल से प्रभूत आभार |
पुनः आभार दीदी मेरे कथन के अनुमोदन के लिए
आदरणीया प्रतिभा जी
अखिलेश = मिथिलेश
आदरणीय अखिलेश सर आज भी आयोजन में उपस्थित नहीं है.
प्रिय रश्मि जी ,आपका दिल से बहुत बहुत शुक्रिया एवं शुभकामनायें
लेखनी में लेखिका ने जैसे प्राण फूंक दिए हो , किताबों का अपने -अपने अस्तित्व के लिए शतरंजी बिसात और खेल शुरू शह -मात का। हर पुस्तक बेमिसाल होता है. पुस्तक जो धरोहर है हमारे साहित्य संस्कृति की , लेकिन वहाँ भी लाइक और कमेंट का गेम लगता है शुरू हो गया है शायद फेसबुक की ही तरह। अबकी बार लाइब्रेरी जाउंगी तो जरा देखूंगी नज़र टिका कर उन पुस्तकों की ओर भी एकबार , जिनको मैं नहीं लाती हूँ अपने घर तक। क्या वो भी इसी तरह उपेक्षित तो नहीं महसूस करती होंगी जब मैं करीब से गुजर जाती होउंगी उनको अनदेखा करके? इस बार कम से कम अपना हाथ जरूर लगाऊँगी उनको ,क्यूंकि उपेक्षित होने का दर्द बहुत गहरा होता है। नमन आपको आदरणीय राजेश कुमारी जी इस सुन्दरतम और सार्थक रचना के लिए।
आ० कांता रॉय जी ,आपके द्वारा लघु कथा की इतनी सुन्दर विवेचना और अनुमोदन पढ़कर दिल बाग़ बाग़ हो गया जब कलम चलती है तो चल अचल मूर्त अमूर्त सबके लिए उसकी भावनाएं एक सी ही होती हैं चूंकि आप एक संवेदनशील लेखिका हैं तो पुस्तकों के प्रति मेरे इन भावों को दिल से महसूस कर रही हैं ...मेरा लिखना सार्थक हो गया आपका दिल से बहुत बहुत आभार |
आदरणीय राजेश जी, प्रतीकों के स्टीक सम्प्रेषण ने आपकी कथा को अतिरिक्त कला-सौन्दर्य प्रदान किया है। प्रतीकात्मक लघुकथा लिखने के लिए अतिरिक्त कौशल की आवश्यकता है जो आपमें कूट-कूट कर भरा हुआ है। अपनी आकारगत विशिष्टता व अपने प्रभाव के कारण लघुकथा पाठक के मन-मस्ितष्क को झंकृत करने की क्षमता रखती है परन्तु आपकी कथा शब्द सीमा का अतिक्रमण करती मालूम होती है। कालदोष के बारे आदरणीय योगराज सर आपको संकेत दे चुके हैं, भविष्य में इसके प्रति अधिक सर्तकता रखिएगा। सादर शुभकामनाएं ।
आ० रवि प्रभाकर जी ,आप जैसे कहानीकार से समीक्षा पाकर ये लघु कथा स्वतः धन्य हो गई है ,ये बात भी सही है की इस को कहानी की केटेगरी में रखना ही उपयुक्त होगा क्यूंकि काल खंड इस कहानी की डीमांड है जिसको चाह कर भी मैं दूर नहीं कर पाई पोस्ट करते वक़्त ये मैं सोच भी रही थी |खैर आगे से इस बात का पूर्ण ध्यान रखूँगी की लघु कथा के हर मानक को संतुष्ट कर सकूँ |आपका दिल से बहुत बहुत आभार |
प्रिय जानकी जी ,आपका बहुत- बहुत आभार |
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