For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बताई बात मिलने की अगर तूँने जमाने को
बचेगा पास मेरे क्या बताओ फिर गँवाने को


न दिल को लगने पाएगा ये गम जुदाई का
तुम्हारी याद जो होगी हमें हँसने-हँसाने को


लगी सूंघने दुनिया तेरी खुशबू हवाओं में
लिखी जब गयी चिट्ठी किताबों में छुपाने को


किया फौलाद जैसा दुखों ने पालकर तन से
खुशी एक ही काफी हमें जी भर रूलाने को

गिरे अनमोल मोती जो सुख की कड़ी टूटी
सहेजे दामनों ने हैं नयन में फिर सजाने को

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 431

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 19, 2013 at 6:23pm

प्रस्तुति के लिए धन्यवाद.

मेहनत करें. ग़ज़ल के मूलभूत नियमों की ओर सचेष्ट हों. .. शुभ-शुभ

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 19, 2013 at 6:27am

सभी प्रबुद्ध जानो का हार्दिक धन्यवाद ,

आप लोगों का इसी प्रकार स्नेह मिलता रहे यही कामना है .भाई वीनस जी आपका मार्गदर्शन सरआंखों पर . भविष्य में इस प्रकार कि त्रुटि नहीं होने पायेगी . निवेदन है कि इसके लिए कोई उपयुक्त शब्द हो तो सुझाएँ . 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 18, 2013 at 4:49pm

सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई ..वाकी आदरणीय वीनस जी ने स्पस्ट कर दिया है 

Comment by Abhinav Arun on November 18, 2013 at 7:03am

आ. श्री लक्ष्मण जी सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनायें !!

Comment by वीनस केसरी on November 18, 2013 at 3:12am

बताई बात मिलने की अगर तूँने जमाने को
बचेगा पास मेरे क्या बताओ फिर गँवाने को

सुन्दर प्रयास है भाई जी ...
ग़ज़ल के मूल नियमों पर खरी उतरने के लिए इस रचना को अभी और आंच दिखानी होगी ..

लगी सूंघने दुनिया यहाँ कुत्तों सी खुशबू को
लिखी जब गयी चिट्ठी किताबों में छुपाने को

दुनिया कुत्तों सा सूंघने लगी
घटिया उपमा देना ग़ज़ल की जबान के एतबार से ऐब मन गया है ... इससे अपनी रचनाओं को बचाईये ..

सादर
शुभकामनाएं


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 17, 2013 at 8:15pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , सुन्दर भावों और विचारों से सजी आपकी रचना के लिये आपको बधाई !!!!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 17, 2013 at 7:16pm

धामी जी

कल्पना के बहुवर्णी चित्र है

ऐसे ही लिखते रहें  i   स्नेह  i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 17, 2013 at 5:37pm

भाव अच्छे हैं, प्रयास के लिये बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

.तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो जो मुझ में नुमायाँ फ़क़त तू ही तू हो. . ये रौशन ज़मीरी अमल एक…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 171 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई श्यामनाराण जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"वाहहहहहह गुण पर केन्द्रित  उत्तम  दोहावली हुई है आदरणीय लक्ष्मण धामी जी । हार्दिक…"
Tuesday
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
Tuesday
Shyam Narain Verma commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उस के नाम पे धोखे खाते रहते हो
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और ज्ञान वर्धक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service