For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अयोध्या मसले का हल क्या है ?

अयोध्या मसले का हल क्या है ? क्या अदालत का फ़ैसला ही अंतिम फ़ैसला होगा ?24 सितंबर का दिन एक ऐतिहासिक फ़ैसले की घड़ी होगी हिन्दुस्तान के इतिहास मे|क्या सरकार इस फ़ैसले के विरोध मे उठनेवाली लहर को रोक पाने मे सक्षम हो पाएगी ? या फिर बातचीत से भी इसका हल निकल सकता है ?अगर बातचीत इसका हाल है तो क्या कोई भी पक्ष अपनी दावेदारी छोड़ने पर तैयार होगा ? आपलोगों के जवाब का इंतजार रहेगा|क्या हम वाकई धर्मनिरपेक्ष देश का प्रतिनिधित्व करते हैं?हम क्या हमारे धर्म के खिलाफ होने वाले फ़ैसले को सह पाएँगे ?आख़िर ये धर्म की इतनी बड़ी लड़ाई कब ख़त्म होगी ?आप इस इंतजार की घड़ी का कितनी बेसब्री से इंतजार कर रहे है?आपलोगों को क्या लगता है की वहाँ मंदिर बनना चाहिए या मस्जिद ?

Views: 1532

Attachments:

Reply to This

Replies to This Discussion

abhishek bhai aap bahut hi badhiya baat uthaaye. log apna apna bichar de to thik rahega. ab badi musibat hai. koi apna chhodne ko taiyar nahi. mai to kahta hu ki kuchh aisa kare ki mandir aur masjid dono hi bana diya jaay. yah ek misaal bhi ho sakti hai. mandir me masjid aur masjid me mandir. waha dono dharm ke log jaay.
आपका इस चर्चा मे भागीदार बनने के लिए धन्यवाद आशीष भाई , अगर अदालत का फ़ैसला ऐसा आता है तो इससे बड़ी खुशी की बात कुछ और नही होगी , धन्यवाद
hoihe wahi jo ram rachi rakha ko kari tarak badhawahi sakha,
यह तो सत्य है कि निर्णय चाहे जो भी आये एक पक्ष को असंतुष्ट तो होना ही है| मुझे इस सन्दर्भ में अवध के ही बाशिंदे और मकबूल शायर मुनव्वर राणा साहब का इस व्यर्थ कि राजनीति से होने वाले नुकसान से क्षुब्ध होकर काफी पहले का दिया हुआ बयान याद आता है| उनका कहना था कि आप विवादित क्षेत्र में मंदिर बना लें और बदले में मुस्लिम समुदाय को १० मुस्लिम विश्विद्यालय भी बनाकर दें|
कुछ ऐसी ही मध्यमार्गी नीतियों से ही इस मसले का हल निकल सकता है|
मैं कोई राजनीति का जानकार तो नही हूँ, मगर इतना समझ मे आता है की किसी भी विवाद के बिना इस फ़ैसले को पचा पाना किसी भी पक्ष के लिए उतना आसान नही होगा .आपकी बात से मैं भी बिल्कुल सहमत हूँ की विवादित क्षेत्र के आसपास दोनो समुदायों को मंदिर और मस्जिद बनाने पर राज़ी कर लिया जाए तो ज़्यादा बेहतर होगा , आख़िर कब तक हम आपस मे लड़ते रहेंगे ,
हिन्दुस्तान जैसे मुल्क में, जहां 'मज़हब' और 'सियासत' एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, वहाँ इस संजीदा मसले का हल निकालना, बड़ा ही मुश्किल काम है. यहाँ लोग धर्म के नाम पर ही जीते हैं और धर्म के लिए ही एक-दूसरे के खून के प्यासे भी हो जाते हैं. अब चाहे जो भी हो और जैसे भी हो, पर ये मज़हबी सियासत बंद होनी चाहिए. आखिर कब, हम लोग 'कौम' और 'मज़हब' जैसे लफ़्ज़ों से परे हटकर एक इंसान की तरह जीना सीखेंगे ..?? वैसे मेरे हिसाब से आशीष यादव जी की बात सही है. वहाँ मंदिर और मस्जिद दोनों ही बना दिए जाने चाहिए. ताकि अपने फायदे के लिए 'ऊपर वाले' को भी 'भगवान् ' और 'खुदा' के तौर पर बांटने वालों की साज़िश नाकाम हो जाए और सबके सामने एक मिसाल पेश हो..
अभिषेक भाई इस संवेदनशील मुद्दे को ओपन बुक्स ऑनलाइन के मंच से उठाने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद,उच्च न्यालय से जो भी फैसला आएगा उसके बाद दूसरा पक्ष जरूर उच्चतम न्यालय मे अपील करेगा यह तय है और फिर तारीख पर तारीख और यह मसला कुछ वर्षो के लिये टल जायेगा और राजनितिक पार्टियों को रोटी सेकने का मौका,
मेरे समझ से इस मसले का हल दोनों पक्षों के आपसी समझौते से ज्यादा बेहतर तरीके से हो सकता है |
आपकी बात भी बिल्कुल सही है गणेश भैया की फ़ैसला चाहे जो भी आए दूसरा पक्ष सर्वोच न्यायालय की शरण मे ज़रूर जाएगा |मगर उसके बाद भी एक दिन ऐसा आएगा जिस दिन इस पर अंतिम फ़ैसला आएगा |मेरा सवाल तब का है की आख़िर इस मसले का हाल क्या है ?जबकि दोनो पक्ष आपसी समझौते को तैयार नही हैं |आख़िर क्या हम अभी भी लड़ते रहेंगे?
मै राना जी की सोच को नमन करती हूँ और भारतवर्ष की बेहतरी के लिए ऐसी और सोच की मंगल कामना करती हूँ.
चर्चा मे भागीदार बनने के लिए धन्यवाद, हम भी यही दुआ करते हैं
आइये कुछ अलग सोचें इस तथ्य के मद्देनज़र कि फैसला जो भी आये दूसरे पक्ष को नाराजगी होगी ही. मेरे ख्याल से वहाँ एक भव्य "मेमोरिअल टावर" बना दिया जाए जो आने वाली पीढ़ियों को मानव धर्म का सन्देश दे और बताये कि कभी यह स्थान भीषण तोड़ फोड ,आगजनी ,और फसादों की जड़ था .टावर से सटी ज़मीन पर चिड़िया घर या स्टेडियम भी बना सकते हैं.दोनों पक्षों को उनकी इबादत गाह के लिए इस स्थान से ५ किलो मीटर दूर अलग अलग एक समान आकार की ज़मीन दे दी जाए .
जूंठे बेर तो शायद वह खा लेगा ..
झूंठा अहसास उसे न भायेगा ...
दिल अगर साफ़ है तो वह रह लेगा
नफरत की कालिख में वो कैसे आएगा ...
ओ मंदिर-मस्जिद के लिए लड़ने वालों!
दिल के मंदिर का भी कुछ ख्याल करो ....
खुदा को वहां तक बुलाओ तो...
दिल से नफरत का अहसास भी मिटाओ तो ...
प्रेम से बैठोगे तो बनेगी शायद...
आपस का विश्वास भी बनाओ तो ...
अबतो सुप्रीम कोर्ट ने भी चाहा है
बैठ कर बात आगे बढाओ तो....

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service