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ABHISHEK TIWARI
  • Male
  • NOIDA UP
  • India
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ABHISHEK TIWARI's Discussions

अयोध्या मसले का हल क्या है ?
14 Replies

अयोध्या मसले का हल क्या है ? क्या अदालत का फ़ैसला ही अंतिम फ़ैसला होगा ?24 सितंबर का दिन एक ऐतिहासिक फ़ैसले की घड़ी होगी हिन्दुस्तान के इतिहास मे|क्या सरकार इस फ़ैसले के विरोध मे उठनेवाली लहर को रोक…Continue

Started this discussion. Last reply by आशीष यादव Oct 1, 2010.

फ्रेंडशिप डे का मतलब
6 Replies

फ्रेंडशिप डे का मतलब क्या होता है ? क्या मुझे विस्तारपूर्वक कोई बताएगा?मेरे समझ मे ये नही आता की आख़िर हम त्योहार की तरह ये अँग्रेज़ों की बनाई हुई परंपरा को हिन्दुस्तान मे क्यों ढो रहे हैं?, ये भी…Continue

Started this discussion. Last reply by Girraj Kishore Sharma Aug 24, 2010.

आई पी एल की ज्वाला
5 Replies

कहते मक्का कोलकाता को ,लगता कुंभ है मुंबई मेकाला कैसे हो सफेद येहोती सभा है दुबई मे ,रुपयो की इस मधुशाला मेआओ आज रसपान कर लेंIPL की महाकुंभ मेआओ आज स्नान कर लें1-कहाँ पवार हैं कहाँ मनोहर,कहाँ गयी…Continue

Started this discussion. Last reply by Rash Bihari Ravi Apr 26, 2010.

 

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पीठ मे छुरा घोपना किसे कहते हैं?

इस घटना ने मुझे जबरदस्त सबक सिखा दिया ! हुआ यह कि पिछले दिनों मेरे एक जो की किसी ज़माने में मेरे रूममेट हुआ करते थे मेरे घर पधारे ! उनको मेरे शहर में ही नौकरी मिली थी, लेकिन नया होने की वजह से उनको रहने का कोई ठिकाना अभी तक नहीं मिल पाया था ! क्योंकि उनसे पुरानी जान पहचान थी तो मैं उन्हे अपना समझकर अपने कमरे की चाबी सौंप कर अपने काम पर निकल गया ! लेकिन उस मित्र ने इस पल का भरपूर इस्तेमाल करते हुए मेरे कंप्यूटर की हार्ड डिस्क ही बदल डाली| इस बात का आभास मुझे कल ही हुआ जब मैंने कंप्यूटर ठीक करवाने… Continue

Posted on October 20, 2010 at 1:30pm — 4 Comments

रूठ गयी मुझसे प्रेयसी

आज पीने चला था जाम मैं,

प्रियतम ने प्याला थमा दिया|

चला था मैं इश्क लड़ाने,

उन्होने नज़रें झुका लिया|

कल्पना के हाथों से स्वयं

दो जाम बना दिया||

बड़ी नशीली आँखें उनकी,



मेरे मन मानस पर छा गयी|

श्यामल अंगूर की कोमल कलियों,

बीच शीशा लेकर आ गयीं|

नीर रसों के स्वाद ने मुझे

मधुघट की राह दिखा दिया|

मृदुल हथेली की चाहत ने,

उसे मादक द्रव्य बना दिया ||

एक बार ही तो था माँगा,

प्रेयसी, के…
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Posted on August 12, 2010 at 11:00am — 4 Comments

जीने की चाह

आज मेरे दिल को बहुत बड़ा सदमा लगा है, मुझे एक पल को लग रहा है की मेरी ज़िंदगी अब किसी काम की नही है मगर दूसरे ही पल अनेक तरह के सवाल मन मे उठने लगते हैं, आज मुझे एक बात का अहसास हो गया की अगर आपकी पहुँच नही है उपर तक तो आप बिल्कुल शुन्य हैं,इस धरती पर आपकी सुनने वाला कोई नही है ,आज मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ है,एकबारगी तो मन आत्महत्या तक सोचने लगा था मगर मैने उसे समझाया,की नही ऐसा मत कर , ये काम तो कयरों का है, मगर ये दिल उस वाक्य को सुनकर एक अजीब सी उलझन मे है,समझ मे नही आ रहा है की क्या करूँ क्या… Continue

Posted on July 19, 2010 at 8:05pm — 2 Comments

रुँधे गले से मेरा नाम ले गयी

वो सफ़र की घड़ी

वो मुहब्बत की छड़ी

वो श्वेत मुस्कान की लड़ी

जैसे मानो दुनिया ही खड़ी



ऐसी अदा दिखलाके वो

जाने कहाँ गुम हो गयी

मुझे तन्हा छोड़ के गयी

मुझे बेसहारा कर के गयी..



उसका नज़रें चुराना

शर्म से पलकें झुकाना

हर अदा को छुपाना

जैसे खुद ही को झुठलाना



इतना करके भी वो खुद को रोक ना सकी

जैसे रुँधे गले से मेरा नाम ले गयी

खुद को झुठलाके वो खुद ही गुम हो गयी



वो अंजानी नगर

वो अनचाहा सफ़र

वो… Continue

Posted on May 22, 2010 at 4:32pm — 5 Comments

Comment Wall (6 comments)

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At 7:30pm on March 3, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 3:58pm on August 28, 2010, Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह said…
स्वागत है दोस्त ... :)
At 10:05pm on July 31, 2010, Admin said…
आदरणीय अभिषेक तिवारी जी , आप बहुत ही बढ़िया समीक्षा लिख रहे है बधाई स्वीकार करें साथ ही निवेदन है कि फ़िल्म से सम्बंधित बातो को लिखने हेतु पूर्व से ही एक ग्रुप बनाया गया है "फिल्मो की बाते" इस बेहतरीन समीक्षा को आप उक्त ग्रुप मे ही पोस्ट कर दे तथा यहाँ से डिलीट कर दे ,
सुविधा हेतु मैं ग्रुप का लिंक भी दे रहा हूँ ,http://www.openbooksonline.com/group/philmokibaat
धन्यवाद ,
At 11:34pm on March 17, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…

At 11:44am on March 9, 2010, ABHISHEK TIWARI said…
hi thanks a lot ,
At 8:31am on March 9, 2010, Admin said…

 
 
 

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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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