For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रिय मित्रों,

                 मैंने हिन्दी के बहुत ब्लॉग देखें हैं,परन्तु यही बात मुझे हर जगह खलती है कि लेखक एवम पाठक ,ब्लोगों अथवा साईटस् पर सक्रिय और नियमित नहीं होते !कुछ अपवादों  को छोड़कर, जिनमे लेखक ही अधिकांश हैं, वही नियमित हैं, बाकि मेहमान की भांति कभी कभी ही प्रकट होते हैं !उदाहरस्वरुप इस साईट पर ११०० से अधिक सदस्य हैं परन्तु अगर सक्रियता और नियमितता देखी जाए तो ४० के करीब  ही सक्रिय होंगे जो ब्लॉग को रोज पढते अथवा लिखतें हैं ! फिलहाल हिन्दी ब्लॉगजगत में सब जगह यही हाल है कि लोग अथवा सदस्य सक्रिय नहीं होते, इसलिए यदि कोई अच्छा लिखे भी तो उसकी उम्मीद टूटती है कि पढ़ने वाला कोई इक्का- दुक्का ही मिलेगा ! इसलिए इस साईट के सदस्य के नाते मेरा सभी सदस्यों से विनम्र निवेदन है कि आप सब पढ़ने लिखने के लिए सक्रिय हो जाएँ और यदि अधिक नहीं तो दिन-रात में इस कार्य के लिए कम से कम एक घंटा नियमित रुप से समय निकालें ! यदि ऐसा होता है तो लेखक और पाठक दोनों को बड़ी संतुष्टि मिलेगी और ज्ञानार्जन  भी होगा यानि विचारविमर्श के माध्यम से हर व्यक्ति कुछ न कुछ जरुर सीखेगा ! धन्यवाद !

Views: 5816

Reply to This

Replies to This Discussion

ये लो सुनीता को भी मेरी वाली प्राब्लम..वही कथा. अरे यही..यही तो मेरा रोना है कि फेसबुक पर जाने का कोई समय निश्चित नहीं होता और ना ही कोई टापिक. वहाँ कुछ भी बिना सोचे समझे लिख दो. किन्तु ओ बी ओ के महोत्सव का और उस पर कमेन्ट देने का समय निर्धारित होता है जिसे अगर किसी मजबूरी से मिस कर दिया तो बस गया. और फिर साथ में डांट खाने का भी डर लगता है ( गणेश, योगराज जी, सौरभ जी, अम्बरीश जी से...और अब आश्विनी जी से भी..हा हा हा ) अपने पर झुंझलाहट तो होती है लेकिन क्या करें जब दिमाग थकान से भरा हो तो सोचने की शक्ति भी नष्ट हो जाती है. और शर्मिंदगी को भी कोने में छुपाना पड़ता है. मजबूरी का नाम...????? 

 

शन्नो दीदी अपना ओ बी ओ भी २४x७ है, समय आधारित इवेंट्स तो कुछ ही है जो विशेष आकर्षण हेतु है बाकी और भी है ओ बी ओ पर बहुत कुछ, ब्लॉग और फोरम पर तो आप हमेशा सक्रिय रह सकती है |

ओ बी ओ तो एक परिवार है और शिकायत भी अपनों से ही किया जाता है | शेष रूचि लेने पर है समय प्रबंधन स्वतः हो जाता है |

हाँ, गणेश...भविष्य में पूरी कोशिश करूँगी अपनी तरफ से :) खचरा गाड़ी में धक्का लगाने के लिये धन्यबाद (हा हा हा)  

मुझमें एक बहुत कमी है के मैं electronic  medium से ज्यादा बातें नहीं कर पाता, चाहे मोबाइल कॉल, चैटिंग या पोस्ट ही क्यूँ न हो.. साहित्य में मुझे रुचि है लेकिन मैंने न तो ज्यादा शायरों को पढ़ा है और न ही ज्यादा लेखको को. रियल लाइफ में friend circle  न होने की वजह से...मुझे लगता है के जब तक दो व्यक्ति आंखें न मिलाएँ, गुफ्तगू complete  नहीं होती..ऐसा ख्याल personal  हो सकता है. हाँ जब कोई इवेंट होती है तो में उसमें भाग ज़रूर ले लेता हूँ.. जैसे इस बार मैंने भाग तो लिया लेकिन weekend  पर घर में मेहमान आ गए फिर मैं न तो कमेन्ट कर पाया और न ही अपनी रचना पूरी कर पाया जिसका मुझे अब तक अफ़सोस है...रमेश जी आपके हिसाब से में किस cetegory  में आता हूँ...?

इमरान,

माफ करना for poking my nose in ur comment पर आपको सक्रियता की श्रेणी में ही आना चाहिये. मजबूरियत तो अलग बात है. हमें भी कभी-कभी मजबूरों का क्लब ज्वाइन करना पड़ता है. वीकेंड पर अपने संग भी यही बिजी होने की प्राब्लम हो जाती है ज्यादातर. 

सर यहाँ पर तो वही पूरी तरह से  सक्रीय हो सकता जिनके पास ज्ञान का  अथाह भंडार हो या फिर तपश्वी हो. अज्ञानी या अदना  लोग को सक्रीय होने ही नहीं दिया जाता. अगर आप कोई बात कहेंगे तो उसे  बतकूचन कहकर  टाल दिया जायेगा. किसी बात पर माफ़ी मांगने पर मजबूर होना पड़ेगा. आपको अहंकारी कहा जा सकता है. यहाँ तक की आपकी औकात भी पूछी जा सकती है, जयादा नहीं कहूँगा नहीं तो जानबबूझ कर मुझे असक्रिय कर दिया जायेगा ऐसा मै नहीं कहता  ओ बी ओ  मेरे लिए आस है |

परम आदरणीय भाई बृज भूषण जी ! शायद आप यह चाहते हैं ! कि आप अस्तरीय रचनाएँ पोस्ट करते रहे और उन पर सिर्फ वाहवाही मिलती रहे| जबकि नियमों में साफ़ साफ़ लिखा है गैर-स्तरीय रचनाओं को बगैर किसी भी सूचना के अविलम्ब मिटा दिया जायेगा ! आप की रचना मिटाई तो नहीं गयी अपितु आपको सुझाव दिया गये कि इसे फिर से देख लें ! यह ओ बी ओ का सहयोग है .......आपने कहा कि आपको उसमें कोई गलती नहीं नज़र आ रही कृपया कमियां इंगित करें ..आप इतने विद्वान हैं फिर भी आप अपनी वर्तनी तक की त्रुटियों को भी परख नहीं पाये ........यहाँ तक कि जब आपको कमियां बताई गयीं तो आपको वह समझ में ही नहीं आयीं.........मेरे भाई !  दूसरों को दोष देना बहुत आसान है और खुद से निपटना बड़ा मुश्किल ......यहाँ तक कि आप अक्सर पूरे के पूरे ओ बी ओ को ही पक्षपात के कठघरे में खड़ा कर देते हैं !
देखिये आपने कब किससे क्या-क्या कहा है .........
http://openbooksonline.com/forum/topics/mahautsav11?commentId=51702...
http://openbooksonline.com/forum/topics/mahautsav11?commentId=51702...
http://openbooksonline.com/forum/topics/mahautsav11?commentId=51702...

एक तरफ आप  सभी से सरेआम मुआफी मांगते हैं तो दूसरी ओर पूरे के पूरे ओ बी ओ पर इल्जाम लगाकर उसे कठघरे में खड़ा कर देते हैं
यहाँ देखिये ........
//आदरणीय  ,

                 श्री संचालक महोदय 

 

   मुझे खेद  है  मैंने आज अपनी गलिती न स्वीकारते हूए आवेश मे वशीभूत होकर आपलोगों श्री सौरभ पाण्डेय   श्री अम्बरीश जी परम आदरणीय योगराज जी को भी  भला बुरा कह दीया सही कहा जाये तो ये गलती क्षमा  प्रार्थी नहीं है  | सच कहू तो साहित्य का मुझे कोई ज्ञान नहीं है थोडा सा मोह है बस बस वही खीच लाता नहीं तो मुझमे कोई ऐसी क्षमता नहीं जो वाद विवाद क़र सकू |

 

  अपनी गलतियों को स्वीकारते हूए क्षमा चाहत हूँ अज्ञानी हू इसके आलावा क़र भी क्या सकता | हो सके तो जो गलती हुई है सुधार क़र दी जाय |

 

                                                        आसा है , स्नेह बनाये रखेंगे |

 

                                                                                                        क्षमा प्रार्थी

 

                                                                                                                                   -बृज भूषण चौबे //
http://openbooksonline.com/forum/topics/mahautsav11?commentId=51702...
रही बात ओ बी ओ के सहयोग की तो देखिये आप ने  रूप घनाक्षरी के नाम पर यहाँ पर क्या रचा है ......
http://openbooksonline.com/forum/topics/mahautsav10?id=5170231%3ATo...
//रूप घनाक्षरी
राखी जब बहना ने
बांधी भाई  कलाई पे
कही न जात मन मे
होत जो उल्लास है ,

बंधन ना है ये छोटा
न धागा बस रेशम
ये तो रिश्ता एसा जो
हर रिश्तों मे खास है ,

बहन की है प्रार्थना
भाई विरवान बने
करे जग की रक्षा ये
मन मे  यही आस है ,

द्रौपदी पुकारे बिच
सभा मे झुकाए सिर
आकर बचाए लाज
जो  मथुरा निवास है ,

नेह मे बंधा राहे ये
पावन रिश्ता सदा
भाई -बहना के लिए
खास सावन मास है !!!.........बृज
//

यह रहा आपके प्रति ओ बी ओ का सहयोग ...... जिसके अंतर्गत आपका उत्साहवर्धन व मार्ग दर्शन किया गया

//खूबसूरत रचना बृज भाई, बधाई आपको,


कृपया ध्यान दे, रूप घनाक्षरी का विधान निम्नलिखित है .....

रूप-घनाक्षरी :-  ३२ वर्णों वाला एक प्रकार का मुक्तक दंडक छंद जिसके प्रत्येक चरण में आठ-आठ वर्णों पर यति होती है। इसके अंत में लघु होना आवश्यक है।//

उपरोक्त कविता भी निम्नलिखित रूप में सुधारी गयी जिसके लिए आपने धन्यवाद के दो शब्द भी कहना आवश्यक नहीं समझा !

//राखी बाँधी बहना ने, भैया की कलैया पे जो
कैसे कहें मन के है,  उल्लास आस-पास.

बंधन ना है ये छोटा, रेशम न धागा बस,
मेरी प्यारी बहिना तो, सबसे ही खास-ख़ास.  ,

बहिना की प्रार्थना है, भैया वीर्यवान बने,
जगत  की रक्षा करे, मन मे ये आस-आस.

नेह मे बंधा रहे ये,  बंधन पवित्र बड़ा,   
भाई बहिना के लिए, सावन सा मास-मास..

अतिरिक्त पंक्तियाँ
द्रौपदी पुकारे बीच, सभा मे झुकाए शीश,
आकर बचाए लाज, मथुरा निवास-वास..//


http://openbooksonline.com/forum/topics/mahautsav10?commentId=51702...

अब आप अपना आकलन स्वतः ही करें !
मित्र भाव से सीखिए, मिलकर साधें ज्ञान.
ओबीओ सम मीत नहिं, मत करिए अपमान..
ओ बी ओ परिवार का एक अंग होने के नाते आप अनुज की भाँति हम सभी के प्रिय हैं ! हम सभी आपके शुभाकांक्षी ही हैं !
ईश्वर आपका मार्ग प्रशस्त करे !

 

जिस दिल में श्रद्धा नहीं,  ना मन में विश्वास ..

सीखन को आकुल नहीं, फिर तो सब बकवास.

 

इस लिंक को अवश्य देख लें -

http://openbooksonline.com/profiles/message/show?id=717453840&f...

 

.

आदरणीय सौरभ जी आपका सुझाया हुआ उपरोक्त लिंक अब मौजूद नहीं है...... इस लिए देख नहीं पा रहा !

 

कहाँ से चले थे कहाँ आ गए हम !! इस सक्रियता और असक्रियता के चक्कर में खटास बढ़ न जाए कहीं ...  :-}}}

 

आदरणीय अरुण जी, खटास न बढ़े इसके लिए मानसिक बीमार लोगो को हम प्रश्रय नहीं दे सकते, ओ बी ओ की उदारता को कायरता नहीं समझा जाना चाहिए, कोई जब चाहे तब हमारे सदस्यों को कुछ भी कह जाए यह संभव नहीं है, हम सभी दिन रात मेहनत कर के इस ओ बी ओ को खड़ा किये है और जब परिवार हमने बनाया है तो झाड़ू भी लगाना आता है | 

इज्जत प्रतिष्ठा से कोई समझौता नहीं ....Never

ji इसके लिए एडमिन ji की ओर से यथा समय हस्तक्षेप ज़रूरी है .. और वो हो भी रहा है !! अच्छा है !! सहमति और साधुवाद !!

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों की प्रशंसा व उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"लोग समझते शांति की, ये रचता बुनियाद।लेकिन बचती राख ही, सदा युद्ध के बाद।८।.....वाह ! यही सच्चाई है.…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"दोहे******करता युद्ध विनाश है, सदा छीन सुख चैनजहाँ शांति नित प्रेम से, कटते हैं दिन-रैन।१।*तोपों…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"स्वागतम्"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , आपका चुनाव अच्छा है , वैसे चुनने का अधिकार  तुम्हारा ही है , फिर भी आपके चुनाव से…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"एक अँधेरा लाख सितारे एक निराशा लाख सहारे....इंदीवर साहब का लिखा हुआ ये गीत मेरा पसंदीदा है...और…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
Thursday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service