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Brij bhushan choubey's Discussions (325)

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"सुन्दर सीख भरे दोहे ... स्वप्न साज हैं छेड़िए, इनके नाजुक तार.मंजिल के हो सकेंगे, तभ…"

Brij bhushan choubey replied Apr 9, 2012 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १८(Now closed with 1542 replies)

1542 Apr 10, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"तुम्ही अब बताओ के कैसे निभे? ज़ज्बे बिकतें यहाँ पर हैं  विश्वास के!!! ..सुन्दर ....स…"

Brij bhushan choubey replied Apr 9, 2012 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १८(Now closed with 1542 replies)

1542 Apr 10, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"चलो ठीक है यह भी भाई ,एक गरीब तो कम ही होगा ,जो बदन नही ढंक पाया था ,मरने पर साफ कफन…"

Brij bhushan choubey replied Apr 9, 2012 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १८(Now closed with 1542 replies)

1542 Apr 10, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"आँखों से आंसू ढलतें  है. शायद! ख्वाब पिघलतें हैं!!!!!!!वाह !!"

Brij bhushan choubey replied Apr 9, 2012 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १८(Now closed with 1542 replies)

1542 Apr 10, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"लम्हा लम्हा फिसलती निकल गई जिंदगी जाने कब किसी की खातिर मर पाने की ख्वाहिश ही रही..ब…"

Brij bhushan choubey replied Apr 9, 2012 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १८(Now closed with 1542 replies)

1542 Apr 10, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"सपने बदलते हैं , और इसके बाद लोग हाथ मलते है... बहुत खूब सुन्दर रचना बधाई आपको |"

Brij bhushan choubey replied Apr 9, 2012 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १८(Now closed with 1542 replies)

1542 Apr 10, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"सुन्दर  भावों को दर्शाती एक सुन्दर रचना बहुत बहुत बधाई आपको |"

Brij bhushan choubey replied Apr 9, 2012 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १८(Now closed with 1542 replies)

1542 Apr 10, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"कभी चमके थे उम्मीदों के जो सूरज बनके ,फर्श पे टूटके बिखरे हैं वो सारे सपने।... क्या…"

Brij bhushan choubey replied Apr 9, 2012 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १८(Now closed with 1542 replies)

1542 Apr 10, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"कौन बसायेसपनों की दुनिया?कौन बताये?? नहीं असार सांसों का सिंगार स्वप्निल संसार तम म…"

Brij bhushan choubey replied Apr 9, 2012 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १८(Now closed with 1542 replies)

1542 Apr 10, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"छंद बनो तुम प्रेम प्रीत के मै स्वरलिपि बन जाऊँगी  पढ़ लूँगी तेरे मन की फिर मै भी कुछ…"

Brij bhushan choubey replied Apr 9, 2012 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १८(Now closed with 1542 replies)

1542 Apr 10, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

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शिज्जु "शकूर" commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
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