For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 177 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है |

इस बार का मिसरा जनाब 'निदा फ़ाज़ली' साहिब की ग़ज़ल से लिया गया है |

'हर तरफ़ आदमी का शिकार आदमी'

फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212 212 212 212

बह्र-ए-मुतक़ारिब मुसम्मन सालिम

रदीफ़ --आदमी

क़ाफ़िया:-(आर की तुक)
बहार,इन्तिज़ार,एतिबार,इख़्तियार, बे-क़रार आदि

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन होगी । मुशायरे की शुरुआत दिनांक 28 मार्च दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 29 मार्च दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 28 मार्च दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक...

मंच संचालक

जनाब समर कबीर 

(वरिष्ठ सदस्य)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 970

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

जनाब दिनेश विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

शेष जनाब अमित जी कह चुके हैं ।

आदरणीय कबीर जी आपको सादर प्रणाम। ग़ज़ल तक आकर प्रतिक्रिया देने व महत्वपूर्ण समय देने हेतु आपका आभार आदरणीय।

आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, बधाई स्वीकार करें। अमित जी की इस्लाह से ग़ज़ल और निखर जाएगी। 

आ. दिनेश जी,

सुकूँ संख्या में नहीं मापा जा सकता इसलिए इक सुकूँ कहना दोषपूर्ण है.
बाकी सब अमित जी कह ही चुके हैं..
कई मिसरे और भी कसे जा सकते हैं .
सादर  

दिनेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई, बधाई स्वीकार करें।

बाक़ी सब चर्चा हो ही गई  है। गुनीजनों ने  बहुत बारीकी से सब कह दिया है। विचार करें

पुनः बधाई

आदरणीय दिनेश जी नमस्कार 

अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए 

गुणीजनों ने ख़ूब सुझाव भी दिए जिससे हमें भी सीखने को मिलता है 

सादर 

आ. भाई दिनेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

गर बढ़ाने पे आये वक़ार आदमी 

बेच देगा ज़मीर और प्यार आदमी /1

अजनबी शहर में लाश सड़ती रही 

मिल न पाये थे कांधे को चार आदमी /2

मांगता है अभी चाहता बस अभी 

सब्र पाने को है बेक़रार आदमी /3

इस तरह की हैं मक्कारियाँ अब तलक 

अब न खुद पर करे ऐतिबार आदमी /4

ख़ुद को अशरफ़ वो समझे तो समझा करे 

पर ख़ुदा को लगे ख़ाकसार आदमी /5

कर के नेकी वो झट फ़ेसबुक पर लिखे 

हो गया है बहुत होशियार आदमी /6

दश्त पर्बत समुंदर को ज़ख़्मी किया 

इस ज़मीँ का हुआ है बुख़ार आदमी /7

जंग मक्कारियाँ हिकमतों से करे 

हर तरफ़ आदमी का शिकार आदमी " /8

ग़ुस्ल-ख़ाने में तन्हा ही रोता है 'तल्ख़'

साथ हँसने को हैं यूँ हज़ार आदमी /9

(मौलिक एवम अप्रकाशित) 

आदरणीय संजय जी नमस्कार तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने बधाई स्वीकार करें । दूसरे शेर मे किस घटना का जिक्र है शेर से ये पता नहीं चलता । सादर ।

आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब
ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें।

ख़ुद को अशरफ़ वो समझे तो समझा करे
पर ख़ुदा को लगे ख़ाकसार आदमी /5
ख़ुदा को आदमी ख़ाकसार लगता है ये बात जमी नहीं।

यूँ कह सकते हैं
" सच तो ये है कि है ख़ाकसार आदमी"

कर के नेकी वो झट फ़ेसबुक पर लिखे
हो गया है बहुत होशियार आदमी /6
ये भी कुछ मज़ेदार बात नहीं हुई
यहाँ कारोबार जैसे शब्द से शायद बात बने
नेकियों से लाइक और व्यूज़ बटोरना
मिसाल के लिए
"समझे नेकी को भी कारोबार आदमी"

दश्त पर्बत समुंदर को ज़ख़्मी किया
इस ज़मीँ का हुआ है बुख़ार आदमी /7
बुख़ार की जगह वार क़ाफ़िया से मिसरा

कहने पर विचार करें।
बुख़ार व्यक्ति को ज़ख़्म नहीं देता।

           // शुभकामनाएँ  //

जनाब संजय शुक्ला जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

मतले के ऊला में एक बात क़ाबिल-ए-ग़ौर है कि आदमी का वक़ार ज़मीर बेच कर बढ़ता नहीं घटता है ।

'पर ख़ुदा को लगे ख़ाकसार आदमी'

इस मिसरे पर क़ाफ़िया बदलने की ज़रूरत है क्योंकि "ख़ाकसार" शब्द इंकिसार के लिए बोला जाता है, ग़ौर करें ।

आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की राय क़ाबिल ए ग़ौर है।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
8 hours ago
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service