धन्यवाद आ. राजेश मैम, आपने अपना बहुमूल्य समय दिया, उत्साहवर्धन के शब्द कहे, मेरी सोच-मेरे नजरिये की तारीफ़ की आपने, आपको पसंद आई मेरी कहानी, इसके लिए ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ. आप सबों के प्रेरक वाक्य ही मेरी कलम को और धारदार और स्थापित करने में सहायक होंगे. धन्यवाद!!
,'केवल दो किलोमीटर पीछे हुए एक्सीडेंट का वो बेचारा पेशेंट साइकिल वाला था ना और ये कार वाला, क्या ये अंतर मैं नहीं समझती'
आदरणीय राजेश जी, इस अच्छी लघुकथा के उपर्युक्त वाक्य में 'ना' शब्द कहीं गलती से तो नहीं आ गया? क्यूंकि यहाँ पर मुझे अर्थ की स्पष्टता में थोड़ी उलझन महसूस हुई- हो सकता है ये मेरी समझ की अपनी कमी हो.
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Rajesh kumari's Comments
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आदरणीया राजेश कुमारी जी दोहा प्रस्तुति पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का तहे दिल से शुक्रिया।
धन्यवाद आ. राजेश मैम, आपने अपना बहुमूल्य समय दिया, उत्साहवर्धन के शब्द कहे, मेरी सोच-मेरे नजरिये की तारीफ़ की आपने, आपको पसंद आई मेरी कहानी, इसके लिए ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ. आप सबों के प्रेरक वाक्य ही मेरी कलम को और धारदार और स्थापित करने में सहायक होंगे. धन्यवाद!!
आदरणीया
बिंदु नं 0 2 को ही समझना था i 'कहते है गोपाल' का उल्लेख कर आपने मेरे भ्रम का सटीक निवारण किया i आपका स्नेह यूँ ही बना रहे i सादर i
महनीया
आपसे सदा सीखता रहता हूँ i इसी जिज्ञासा में आपकी निम्न टिप्पणी पर भी अपनी शंका का निवारण चाहूँगा i
शैलि ,वैलि में गच्चा खा गए आदरणीय :))) और पकडे भी गए ...... स्वीकार है आदरणीया
अंग्रेजो ने किया वात-आवरण कसैला----रोले में विषम इसे कुछ और स्पष्ट करें महनीया
चरण का गुरु लघु से होना है आपका किया =लघु गुरु
कुण्डलिया का आरम्भ का शब्द और अंत का शब्द भी एक ही होना मेरे संज्ञान में अब यह बाध्यता अब
चाहिए समाप्त हो गयी है
स म्म्मान आदरणीया i
आपको सपरिवार ज्योति पर्व की हार्दिक एवं मंगलमय शुभकामनाएं...
जन्मदिन की आपको ढेरों शुभकामनायें आदरणीया राजेश दीदी
हे माँ श्वेता शारदे , सरस्वती वन्दना (उल्लाला छंद पर आधारित )
इस रचना के feature होने के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीया राजेश जी।
सादर,
विजय निकोर
आदरणीया राजेश कुमारी जी साधुवाद गज़ल पर दाद के लिये .
अनुरोध स्वीकार करके आपने मुझे उपकृत किया मैम, नमन
आपकी मित्रता से हार्दिक प्रसन्नता हुई। आभार आपका...
सादर
राजेश जी, समझाने का बहुत बहुत शुक्रिया!
,'केवल दो किलोमीटर पीछे हुए एक्सीडेंट का वो बेचारा पेशेंट साइकिल वाला था ना और ये कार वाला, क्या ये अंतर मैं नहीं समझती'
आदरणीय राजेश जी, इस अच्छी लघुकथा के उपर्युक्त वाक्य में 'ना' शब्द कहीं गलती से तो नहीं आ गया? क्यूंकि यहाँ पर मुझे अर्थ की स्पष्टता में थोड़ी उलझन महसूस हुई- हो सकता है ये मेरी समझ की अपनी कमी हो.
'खो गए हैं ख़्वाब के वो सब जजीरे तीरगी में
गर्दिशों में डगमगाती कश्तियाँ हम देखते हैं
क्या ख़बर तेज़ाब की शीशी कहाँ किस हाथ में हो
रोज शोलों में झुलसती तितलियाँ हम देखते हैं '
- बहुत खूब राजेश जी, आपकी गज़लगोई में क्या खूब निखार आया है.
Happy birthday, respected Raj ji.
Vijay Nikore
आदरणीया . अपने दोस्तो की सुची मे मुझे शमिल करने के लिये धन्यवाद
thnxs ji
कोटि धन्यवाद !
सदस्य टीम प्रबंधनDr.Prachi Singh said…
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीया राजेश कुमारी जी.
मंच पर आपकी कमी सच में खलती है, इस बार महोत्सव में भी आपकी झलक तक न मिल पायी...जिसे सबने महसूस किया. आपका कश्मीर प्रवास कैसा रहा ?
अब अपनी सुन्दर सुन्दर रचनाओं से इस कमी को आप जल्दी ही पूरा करें... सस्नेह सादर.
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