For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कल्पना रामानी
  • Female
  • India
Share on Facebook MySpace

कल्पना रामानी's Friends

  • seemahari sharma
  • harivallabh sharma
  • Mukesh Verma "Chiragh"
  • sudhir kumar soni
  • kalpna mishra bajpai
  • sandhya singh
  • savitamishra
  • Pradeep Kumar Shukla
  • vinay tiwari
  • गिरिराज भंडारी
  • Madan Mohan saxena
  • D P Mathur
  • salman ahmad khan {Advocate}
  • Priyanka singh
  • Usha Taneja
 

कल्पना रामानी's Page

कल्पना रामानी's Blog

नवगीत//कल्पना रामानी//

माँ

ज़िक्र त्याग का हुआ जहाँ माँ!

नाम तुम्हारा चलकर

आया।

 

कैसे तुम्हें रचा विधना ने

इतना कोमल इतना स्नेहिल!    

ऊर्जस्वित इस मुख के आगे

पूर्ण चंद्र भी लगता धूमिल।

 

क्षण भंगुर भव-भोग सकल माँ!

सुख अक्षुण्ण तुम्हारा   

जाया।

 

दिया जलाया मंदिर-मंदिर

मान-मनौती की धर बाती।

जहाँ देखती पीर-पाँव तुम  

दुआ माँगने नत हो जाती।

 

क्या-क्या सूत्र नहीं माँ…

Continue

Posted on October 1, 2014 at 9:30am — 9 Comments

गज़ल//कल्पना रामानी

फूल हमेशा बगिया में ही, प्यारे लगते।

नीले अंबर में ज्यों चाँद-सितारे लगते।

 

बिन फूलों के फुलवारी है एक बाँझ सी,

भरी गोद में  माँ के राजदुलारे लगते।

 

हर आँगन में हरा-भरा यदि गुलशन होता,

महके-महके, गलियाँ औ’ चौबारे लगते।

 

दिन बिखराता रंग, रैन ले आती खुशबू,

ओस कणों के संग सुखद भिनसारे लगते।

 

फूल, तितलियाँ, भँवरे, झूले, नन्हें बालक,

मन-भावन ये सारे, नूर-नज़ारे लगते।

 

मिल बैठें, बतियाएँ…

Continue

Posted on September 27, 2014 at 10:51am — 22 Comments

हर खुशी तुमसे पिता //गजल// कल्पना रामानी

घर-चमन में झिलमिलाती, रोशनी तुमसे पिता

ज़िंदगी में हमने पाई, हर खुशी तुमसे पिता

 

छत्र-छाया में तुम्हारी, हम पले, खेले, बढ़े

इस अँगन में प्रेम की, गंगा बही तुमसे पिता

 

गर्व से चलना सिखाया, तुमने उँगली थामकर 

ज़िंदगी पल-पल पुलक से, है भरी तुमसे पिता

 

 याद हैं बचपन की बातें, जागती रातें मृदुल

ज्ञान की हर बात जब, हमने सुनी तुमसे पिता

 

प्रेरणा भयमुक्त जीवन की, सदा हमको मिली

नित नया उत्साह भरती, हर घड़ी…

Continue

Posted on September 15, 2014 at 9:30pm — 10 Comments

हिन्दी के सम्मान में//दोहे//कल्पना रामानी

देवों से हमको मिला, संस्कृत का उपहार।

देवनागरी तब बनी, संस्कृति का आधार।

 

युग पुरुषों ने तो रचे, हिन्दी में बहु छंद।

पर नवयुग की पौध ने, किए कोश सब बंद।

 

वेद ऋचाओं का नहीं, हुआ उचित सम्मान।

हिन्द पुत्र भूले सभी, हिन्दी का…

Continue

Posted on September 5, 2014 at 6:30pm — 8 Comments

Profile Information

Gender
Female
City State
नवी मुंबई-महाराष्ट्र
Native Place
उज्जैन-मध्य प्रदेश
Profession
कवयित्री/लेखिका/गृहिणी
About me
गृहस्थ जीवन से फुर्सत पाकर उम्र के सातवें दशक में अचानक मन लेखन की ओर उन्मुख हुआ। फिर कंप्यूटर द्वारा इन्टरनेट से जुड़ना, सीखने और लिखने का सिलसिला शुरू हुआ। यह सब वेब पत्रिका 'अभिव्यक्ति अनुभूति'की संपादक पूर्णिमा वर्मन जी के मार्गदर्शन में सीखा। वही मेरी प्रेरणा स्रोत और साहित्यिक गुरु हैं। अब शेष जीवन साहित्य सेवा को समर्पित कर चुकी हूँ। प्रकृति प्रेम, मानवीय संवेदनाएँ और सकारात्मक सोच के साथ देश प्रेम और परहित के लिए लिखना ही मेरा उद्देश्य है।

Comment Wall (17 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 11:48pm on February 22, 2014, kalpna mishra bajpai said…

आप ने मुझे मित्र रूप में स्वीकार किया अहो भाग्य हमारे !! धन्यवाद कल्पना जी... 

At 7:25pm on December 12, 2013, Priyanka singh said…

शुक्रिया मैम .....

At 1:01pm on August 20, 2013,
सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी
said…

कल्पना जी , बहुत खूब !! रक्षा बन्धन पर आपकी गज़ल बहुत अच्छी लगी !!

At 10:49pm on August 19, 2013, annapurna bajpai said…
adarniya kalpana di apaka hardik abhar . apke sanidhy me bahut kuch sikhne ko milega . sadar .
At 4:01pm on August 10, 2013, SANDEEP KUMAR PATEL said…

आपका सादर स्वागत है आदरणीय 

स्नेह और आशीष बनाये रखिये 

At 11:01am on July 22, 2013,
सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari
said…

आदरणीया कल्पना जी मेरे मित्र समूह में आपका स्वागत है |

At 5:04pm on July 9, 2013, वेदिका said…

आदरणीया कल्पना जी! आपका बहुत बहुत शुक्रिया!

आपने मुझे खुश रहने को और लिखने की प्रेरणा दी!

आपका स्नेह और आशीष   बनाये रखिये!!  

At 11:12am on July 9, 2013, डॉ नूतन डिमरी गैरोला said…

कल्पना रमानी दी ... आपको हार्दिक धन्यवाद ... और जन्मदिन पर शुभकामनाएं 

At 8:23am on June 6, 2013,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

आदरणीया कल्पना जी, जन्मदिन की हार्दिक बधाइयाँ.. .

शुभ-शुभ

At 4:17pm on May 7, 2013, Abhinav Arun said…

आदरणीया कल्पना रामानी जी शीर्षक :- ग़ज़ल (कितनी भला कटुता लिखें)
रचना की उत्कृष्टता के दृष्टिगत आपको ओ बी ओ द्वारा 
 "महीने की सर्वश्रेष्ट रचना पुरस्कार" प्रदान किये जाने हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें !!

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर आपने सर्वोत्तम रचना लिख कर मेरी आकांक्षा…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे... आँख मिचौली भवन भरे, पढ़ते   खाते    साथ । चुराते…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"माता - पिता की छाँव में चिन्ता से दूर थेशैतानियों को गाँव में हम ही तो शूर थे।।*लेकिन सजग थे पीर न…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
17 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service