For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक नया कलाम : भलाई के नाम....

कर भला कर भला गर भला कर सके....
नफरतो को मिटा गर भला कर सके....

नाउम्मीदी भरा कोई जब भी मिले....
आस उसको बंधा गर भला कर सके....

जब कभी कोई अंधा दिखे राह में....
पार उसको लगा गर भला कर सके....

हाथ फैलाए जब कोई भूखा दिखे....
भूख उसकी मिटा गर भला कर सके....

तन किसी का खुला देख ले गर कभी....
पेरहन कर अता गर भला कर सके....

जिंदगी की मिटा दें हर इक तीरगी....
दीप ऐसे जला गर भला कर सके....

राज हर इक कदम आंसुओं को यहाँ....
मुस्कुराना सिखा गर भला कर सके....

Views: 678

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 23, 2012 at 7:55pm

अच्छे शे'र निकाले हैं , दाद कुबूल करें |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 20, 2012 at 3:35pm

इस भली-भली सी ग़ज़ल में सारे शे’र भले-भले से हैं.

बधाई

Comment by Yogi Saraswat on May 19, 2012 at 4:15pm

हाथ फैलाए जब कोई भूखा दिखे....
भूख उसकी मिटा गर भला कर सके....

तन किसी का खुला देख ले गर कभी....
पेरहन कर अता गर भला कर सके....

बहुत सटीक लफ़्ज़ों में एक सार्थक सन्देश देती ग़ज़ल ! बधाई

Comment by Shayar Raj Bajpai on May 16, 2012 at 10:01pm

बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरमा MAHIMA SHREE जी....

Comment by MAHIMA SHREE on May 16, 2012 at 9:02pm

हाथ फैलाए जब कोई भूखा दिखे....
भूख उसकी मिटा गर भला कर सके....

तन किसी का खुला देख ले गर कभी....
पेरहन कर अता गर भला कर सके....

जिंदगी की मिटा दें हर इक तीरगी....
दीप ऐसे जला गर भला कर सके....

सन्देश देती आपकी गजल बहुत ही खुबसूरत बन पड़ी है .. बहुत -२ बधाई आपको



Comment by Shayar Raj Bajpai on May 16, 2012 at 8:10pm

शुक्रिया जनाब राज तोमर जी....

Comment by Raj Tomar on May 16, 2012 at 7:47pm

बहुत अच्छा. :)

Comment by Shayar Raj Bajpai on May 16, 2012 at 7:05pm

SHAILENDRA KUMAR SINGH 'MRIDU' ji SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR  ji... Rekha Joshi  ji....Bhawesh Rajpal ji.... आशीष यादव ji.... योगराज प्रभाकर ji.... SANDEEP KUMAR PATEL ji.... Arun Kumar Pandey 'Abhinav'  ji.... डॉ. सूर्या बाली "सूरज"  ji.... Aap sabhi ko tah-e-dil se shukriya.... aap sabhi ke itne sunder comments se mai dhanya ho gaya.... meri mehnat sarthak huyi..... Lakh lakh shukriya....

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 16, 2012 at 4:50pm

बाजपाई जी बहुत उम्दा ग़ज़ल प्रशतुत की है आपने  ! दाद कबूल करें ! बहुत अच्छे अश'आर हैं ! कमाल का रदीफ़ निकाला है आपने ! मज़ा आ गया !

Comment by Abhinav Arun on May 16, 2012 at 3:59pm

हाथ फैलाए जब कोई भूखा दिखे....
भूख उसकी मिटा गर भला कर सके....

तन किसी का खुला देख ले गर कभी....
पेरहन कर अता गर भला कर सके....

वाह राज जी आपकी सीख देती इस रचना के सन्देश को गाँठ बाँध लिया जाए तो दुनिया की सूरत बदल जाए हार्दिक बधाई इस रचना के लिए !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service