For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

काँच पत्थर से भले टकरा गया। (ग़ज़ल- बलराम धाकड़)

2122 2122 212

काँच पत्थर से भले टकरा गया।
ज़िंदगी का फ़लसफ़ा समझा गया।

फ़िर सियासत में हुई हलचल कहीं,
मीडिया के हाथ मुद्दा आ गया।

सारी दुनिया एक कुनबा है अगर,
आयतन रिश्तों का क्यों घटता गया?

इक बतोलेबाज की डींगें सुनीं,
आदमी घुटनों के ऊपर आ गया।

फिर किसी औरत का दामन जल गया,
फ़िर किसी का कोई बचपन खा गया।

ज़लज़ले के बाद की तस्वीर में,
देखकर फ़ानी जहां घबरा गया।

वासिते उसके मेरे दिल में दबीं,
लाख गिरहें थीं मगर सुलझा गया।

शुक्रिया! ऐ ज़िंदगानी के चलन,
शायरी के मायने समझा गया।

क्यों किराए की इमारत पर गुमां?
मौत आई, रूह का क़ब्ज़ा गया।

नौकरी पूरी हुई, कुर्सी गई,
शुहरतें रुख़सत हुईं, रुतबा गया।

~मौलिक/अप्रकाशित।

~ बलराम धाकड़ ।

Views: 953

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 3, 2018 at 12:38pm

आ. भाई बलराम जी, सादर अभिवादन । सुंदर गजल हुयी है हार्दिक बधाई ।

Comment by TEJ VEER SINGH on November 3, 2018 at 12:07pm

हार्दिक बधाई आदरणीय बलराम जी। बेहतरीन गज़ल।

क्यों किराए की इमारत पर गुमां?
मौत आई, रूह का क़ब्ज़ा गया।

Comment by Samar kabeer on November 3, 2018 at 11:56am

जनाब बलराम धाकड़ जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

5वें शैर में तक़ाबुल-इ-रदीफ़ के बारे में जनाब निलेश जी बता चुके हैं ।

'शायरी के मायने समझा गया'

इस मिस्ररे में "मायने" कोई शब्द ही नहीं है,देखियेगा ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on November 3, 2018 at 8:49am

आदरणीय बलराम धाकड़ जी सादर नमस्कार, शुभ प्रभातम, बहुत सुंदर गजल , आनंद आ गया , बधाई आपको 

Comment by राज़ नवादवी on November 3, 2018 at 6:00am

आदरणीय बलराम धाकड़ जी, आदाब. सुन्दर गजल की प्रस्तुति पे दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ. 

क्यों किराए की इमारत पर गुमां?
मौत आई, रूह का क़ब्ज़ा गया।

बहुत खूब. सादर. 

Comment by Balram Dhakar on November 2, 2018 at 8:49pm

आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी, आपको ग़ज़ल अच्छी लगी, मैं अनुग्रहीत हुआ।

सादर।

Comment by Balram Dhakar on November 2, 2018 at 8:48pm

आपका बहुत बहुत शुक्रिया, आदरणीय नीलेश जी, ग़ज़ल में शिरक़त और हौसला अफजाई का।

आपके सुझाव अनुसार शायद तक़ाबुल ए रदीफ़ हो रहा है, बदलाव का प्रयास करता हूँ।

वैसे आपकी हौसला अफजाई और सुझाव के तरीके के लिए आपको भी बहुत बहुत बधाई।

सादर।

Comment by Gurpreet Singh jammu on November 2, 2018 at 8:23pm

वाह वाह आदरणीय बलराम धाकड़ जी , क्या शानदार  ग़ज़ल कही है आपने,  आनंद आ गया पढ़कर । बधाई स्वीकार करें 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 2, 2018 at 6:39pm

आज फिर बलराम धाकड़ छा गया 
उस का ये अंदाज़ सब को भा गया ...
.
पाँचवा जो शेर है उस में मियाँ
ऐब छोटा सा रादीफ़ी आ गया ..
बधाई  
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागत है"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
Thursday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Apr 14

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service