For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की - मुझ को कहा था राह में रुकना नहीं कहीं

मुझ को कहा था राह में रुकना नहीं कहीं
सदियों को नाप कर भी मैं पहुँचा नहीं कहीं.
.
ज़ुल्फ़ें पलक दरख़्त सभी इक तिलिस्म हैं
इस रेग़ज़ार-ए-ज़ीस्त में साया नहीं कहीं.
.
तुम क्या गए तमाम नगर अजनबी हुआ
मुद्दत हुई है घर से मैं निकला नहीं कहीं.
.
अँधेर कैसा मच गया सूरज के राज में
जुगनू, चराग़ कोई सितारा नहीं कहीं.
.
खेतों को आस थी कि मिटा देगा तिश्नगी
गरजा फ़क़त जो अब्र वो बरसा नहीं कहीं.
.
ये और बात है कि अदू को चुना गया
गरचे वो मेरे सामने टिकता नहीं कहीं.
.
हमने भी “नूर” जंग लड़ी रात के ख़िलाफ़
पर सुब’ह अपने नाम का चर्चा नहीं कहीं.  
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित  

Views: 918

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 28, 2018 at 8:44am

शुक्रिया आ. महेंद्र जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 28, 2018 at 8:44am

शुक्रिया आ. बृजेश जी 

Comment by Mahendra Kumar on October 26, 2018 at 11:57am

बेहद उम्दा ग़ज़ल है आदरणीय निलेश सर। हर शेर ख़ूबसूरत। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 25, 2018 at 1:22pm

आदरणीय नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है...सादर

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 25, 2018 at 12:59pm

शुक्रिया आ. बलराम जी 

Comment by Balram Dhakar on October 24, 2018 at 10:58pm

आदरणीय नीलेश भाई बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें। बेहद खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने। शानदार।

सादर।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 24, 2018 at 1:35pm

शुक्रिया आ. अजय जी, लक्ष्मण जी.
शुक्रिया आ. समर सर 

Comment by Samar kabeer on October 24, 2018 at 11:40am

//लेकिन इस ग़ज़ल ने आपका 'वेट' और बढ़ा दिया है.//

सहमत हूँ जनाब अजय तिवारी जी से,इसे कहते हैं:-

'काम का काम है,अंगड़ाई की अंगड़ाई है'

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 24, 2018 at 9:20am

आ. भाई नीलेश जी, उम्दा गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Ajay Tiwari on October 24, 2018 at 7:54am

'वेट loss का टारगेट भी  पूरा हुआ'

लेकिन इस ग़ज़ल ने आपका 'वेट' और बढ़ा दिया है. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service