For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सूर्य उगाने जैसा हो- गीत

जीवन की सूनी राहों में,

मधु बरसाने जैसा हो.

अबकी बार तुम्हारा आना

सचमुच आने जैसा हो.

 

धूप कुनकुनी खिले माघ में,

भीगा-भीगा हो सावन.

बादल गरजें जिसकी छत पर,

बारिश हो उसके आँगन.

 

हो सबकी हर भोर सुनहरी,

संध्या मधुर सुहानी.

देखें मीठे सपने, जिनमें,

सब कुछ पाने जैसा हो.

 

सत्ता के हर गलियारे में,

रहे झूँठ पर पाबन्दी.

सच का हो विस्तार निरंतर,

चाल न हो पाये मंदी.

 

सिंहासन तक जो भी जाये,

दिल की गलियों से गुजरे

भले एक हो उसका वादा,

मगर निभाने जैसा हो

 

नेह-नीर से मन की बगिया,

रहे हमेशा हरी-भरी.

दूर तलक भी नजर न आये,

नफरत भागे डरी-डरी.  

 

खुशियों से झोली भरने को,

हर मानव का कर्म यहाँ.

अन्धकार से भरी गली में,

सूर्य उगाने जैसा हो.

"मौलिक और अप्रकाशित"

Views: 801

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 19, 2018 at 3:49pm

आदरणीया KALPANA BHATT ('रौनक़')  जी दिल से शुक्रिया आपका 

Comment by रक्षिता सिंह on June 19, 2018 at 7:15am

आदरणीय बसंत जी नमस्कार! 

हिन्दी के सुन्दर शब्दों से रची बहुत ही अनुपम रचना...

हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।।

Comment by gumnaam pithoragarhi on June 18, 2018 at 8:36pm

शानदार गीत के लिए बधाई.........

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 18, 2018 at 7:51pm

सुंदर गीत लिखा है आपने आदर्निया बसंत कुमार जी, बधाई स्वीकारें|

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 18, 2018 at 3:37pm

आदरणीय समर कबीर जी दिल से शुक्रिया आपका 

Comment by Samar kabeer on June 18, 2018 at 2:34pm

जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,बहुत सुंदर गीत लिखा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 18, 2018 at 1:07pm

आभार आदरणीया नीलम उपाध्याय जी आपका 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 18, 2018 at 1:06pm

आभार आदरणीय Ajay Kumar Sharma जी आपका 

Comment by Neelam Upadhyaya on June 18, 2018 at 12:38pm

आदरणीय बसंत कुमार जी, नमस्कार । बहुत ही बढ़िया रचना । प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ।

Comment by Ajay Kumar Sharma on June 18, 2018 at 10:48am

वाह बहुत सुन्दर रचना.

बधाई स्वीकार करें....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service