For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उम्र के पन्नों पर ...

उम्र के पन्नों पर.... 

उम्र के पन्नों पर
कितनी दास्तानें उभर आयी हैं
पुरानी शराब सी ये दास्तानें
अजब सा नशा देती हैं
हर कतरा अश्क का
दास्ताने मोहब्बत में
इक मील का पत्थर
नज़र आता है
रुकते ही
वक़्त
ज़हन को
हिज़्र का वो लम्हा
नज़्र कर जाता है
जब
किसी अफ़साने ने
मंज़िल से पहले
किसी मोड़ पर
अलविदा कह दिया

नगमें
दर्द की झील में नहाने लगे
किसी के अक्स
आँखों के समंदर
सुखाने लगे
हर लफ्ज़ पे
शिकन उभरने लगी
अपनी हंसी
लबों को
अजनबी लगने लगी
अब
सिर्फ़ तन्हाईयाँ है
रूठे अफ़साने हैं
उम्र दराज़
पन्ने हैं
सूखे हुए
कुछ ज़ख्म पुराने हैं
ख़्वाबीदा आँखों में
करवटें लेते
कुछ
पुराने अफ़साने हैं

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 494

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on June 11, 2018 at 12:13pm

आदरणीय सतविन्द्र कुमार राणा जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on June 11, 2018 at 12:13pm


आदरणीय बृजेश कुमार ब्रिज जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on June 11, 2018 at 12:13pm


आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on June 10, 2018 at 1:42pm

उत्तम सर्जना ,हार्दिक बधाई 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 9, 2018 at 3:00pm

बहुत ही खूब कविता लिखी है आदरणीय..

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 9, 2018 at 2:19pm

आ. भाई सुशील जी , सुंदर रचना हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Sushil Sarna on June 9, 2018 at 12:36pm

आदरणीय Mahendra Kumar जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on June 9, 2018 at 12:35pm

आदरणीय  narendrasinh chauhan जी सृजन को मान देने का दिल से आभार।

Comment by Mahendra Kumar on June 9, 2018 at 9:59am

बहुत बढ़िया कविता है आदरणीय सुशील सरना जी. ज़िन्दगी को उम्र के पन्नों के माध्यम से ख़ूब बयान किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by narendrasinh chauhan on June 8, 2018 at 7:17pm

बहोत खूब 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
8 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service