For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्वप्न धुंध... 

असहनीय शीत के बावज़ूद
मैं देर तक
उसे महसूस करती रही
अपने हाथों में बंद
गीले रुमाल को भींचे हुए

धुंध को चीरती हुई
बेरहम ट्रेन आई
मेरे स्वप्न को
साथ लिए
धुंध में खो गई

मैं दूर तक
ट्रेन के साथ साथ
उसका हाथ पकड़े
दौड़ती रही,दौड़ती रही
आंखें
विछोह का भार न सकी
सागर बन छलक पड़ी

बॉय-बॉय करते उसके हाथ से
उसका रुमाल गिर गया
मैं दौड़ी
रुमाल उठाया
चौंकी
उसका गीलापन देखकर
भींच लिया अपने हाथों में
मैंने

अपने अश्क
उस भीगे रुमाल को
समर्पित कर दिए
दो दर्द
गले मिले
आंखें
धुंध को चीरती रहीं
हाथों में भिंचा गीला रुमाल
उसके होने का अहसास
ज़िंदा किये था
मैं अपनी अनियंत्रित साँसों के साथ
धुंध में ग़ुम स्वप्न को ढूंढती
स्वप्न धुंध में खो गयी

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 575

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on January 11, 2018 at 8:20pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहाशीष का दिल से आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on January 11, 2018 at 8:20pm

आदरणीय बृजेश जी आपकी मधुर प्रशंसा से सृजन उपकृत हुआ।

Comment by Sushil Sarna on January 11, 2018 at 8:20pm

आदरणीय समर कबीर, साहिब आदाब, सृजन के भावों की सराहना के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on January 11, 2018 at 8:20pm

आदरणीय सुरेन्द्र सिंह जी आपकी भावों को अलंकृत करती प्रतिक्रिया का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on January 11, 2018 at 8:19pm

आदरणीय मो.आरिफ साहिब, आदाब, सर सृजन को अपनी मधुर प्रतिक्रिया से जीवंत करने का दिल से आभार.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 11, 2018 at 3:00pm

आ. भाई सुशील जी सुंदर कविता हुई है । हार्दिक बधाई।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 10, 2018 at 10:08pm

वाह आदरणीय..बेहतरीन भावपूर्ण कविता..सादर

Comment by Samar kabeer on January 9, 2018 at 11:14pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,बढ़िया कविता हुई, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by नाथ सोनांचली on January 9, 2018 at 11:10am

आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। आपका जवाब नहीं, क्या ख़ूबसुरुरती से हालात बया करते है

रहम ट्रेन आई 
मेरे स्वप्न को 
साथ लिए 
धुंध में खो गई

मैं दूर तक 
ट्रेन के साथ साथ 
उसका हाथ पकड़े 
दौड़ती रही,दौड़ती रही 
आंखें 
विछोह का भार न सकी 
सागर बन छलक पड़ी

बहुत बहुत बधाई आपको। सादर

Comment by Mohammed Arif on January 8, 2018 at 9:05pm

आदरणीय सुशील सरना जी आदाब,

                         कड़कड़ाती ठंड में ठिठुरती अनुभूति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें । कुछ वर्तनीगत अशुद्धियाँ हैं , देखिएगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
7 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
47 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।... मतले पर…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ, कुछ सुझाव पेश…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service