For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"पंडित जी, अब ज़रा गायत्री बिटिया को बुला लो, डाक पावती की इंट्री वग़ैरह करवा दो हमारे मोबाइल में!" कड़क चाय की आख़री घूंट हलक़ में डालते हुए पोस्टमेन नज़ीर भाई ने कहा।
"इस उम्र में तुम्हारा काम भी मॉडर्न हो गया, भाईजान!" पंडित जी ने चुटकी लेते हुए बिटिया को पुकारा और कहा, "इनको तो बहुत टाइम लगेगा! गायत्री तुम ही कर दो इन्ट्री!"
डाक-विभाग के मोबाइल पर डाक के विवरण भरवाने के साथ ही मंदिर का प्रसाद लेकर नज़ीर भाई विदा लेते हुए साइकल तक पहुंचे ही थे कि पंडित जी की घूरती निगाहों पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा -"मुझे घूर रहे हो पंडित जी या मेरी साइकल को?"
"सब कुछ देख रहा हूं नज़ीर भाई! असली हिन्दुस्तान देख रहा हूं तु्म में और तुम्हारी ज़िन्दगी में!" पंडित जी ने उन पर और उनके पूरे साजो-सामान पर नज़रें टिकाते हुए कहा।
"असली हिन्दुस्तान!" नज़ीर भाई कुछ चौंक से गये।
"वर्षों से वही ग़रीबी, वही मेहनत, वही पुरानी साइकल और बैग वग़ैरह! फ़र्क सिर्फ़ इतना कि तुम भी डिज़ीटल हो गये!"
"नये 'एप' संग हमें मोबाइल थमा कर हमारे काम भले डिज़ीटल करवा दिए जायें, ग़रीबी भले दूर न हो, लेकिन असली हिन्दुस्तान तुम मेंं और हम में क़ायम रहे पंडित जी, बस!" हमेशा की तरह चेहरे पर मुस्कान लाते हुए नज़ीर भाई डाक लिए अपनी साइकल पर आगे चल पड़े।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 570

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 17, 2017 at 6:47pm
Waaaaaaaah shaaaaàndar ahsaas ki sundr abhivyaktì. ..haardik badhaaèeeeeeeeeee sir
Comment by vijay nikore on December 16, 2017 at 5:32pm

लघु कथा के माध्यम कितना बड़ा सच कहा है आपने ! //  "वर्षों से वही ग़रीबी, वही मेहनत, वही पुरानी साइकल और बैग वग़ैरह "// बहुतों के पास मोबिल आ गया है, पर असली इनसान फिर भी वही है... सरल, स्नेही, मेहनतीे,सच्चे "किसान" का दिल ... //। लघु कथा बहुत ही अच्छी लगी। हार्दिक बधाई, आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी।

Comment by Samar kabeer on December 16, 2017 at 4:59pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब, बढ़िया लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 16, 2017 at 11:35am

डिजिटल पर सुन्दर कटाक्ष आ शेख उस्मानी जी 

Comment by TEJ VEER SINGH on December 14, 2017 at 7:20pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी। बहुत शान्दार संदेश देती और साथ ही चुटीला कटाक्ष करती लघुकथा।

Comment by Neelam Upadhyaya on December 14, 2017 at 4:33pm

आदरणीय उस्मानी जी, डिजिटलाइजेशन के बावजूद हमारी सामाजिक स्थिति में तो बहुत अंतर नहीं आया है । बहर लघु कथा के लिए बधाई ।

Comment by नाथ सोनांचली on December 14, 2017 at 1:48pm

हम आधुनिक हो गए पर हमारे हालात आज भी वैसे ही, बेहतरीन लघुकथा लिखा आपने शेख शहज़ाद उस्मानी साहब।सादर अभिवादन संग बहुत बहुत बधाई।

Comment by Mohammed Arif on December 14, 2017 at 8:01am

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,

                                असली भारत ग़रीबी और संसाधनविहीन ही है । आजकल डिजीटल के नाम पर लोगों की जटिलताएँ काफी बढ़ गई है । देश में विकास और डिजीटल का हौव्वा खड़ा किया जा रहा है । आम जनता परेशान हैं । देश की सदियों पुरानी साम्प्रदायिकता को ख़त्म करने का प्रयास नवोदितों द्वारा किया जा रहा है । आज भी हम भले ही आधुनिक जीज़ों का इस्तेमाल कर रहे हो मगर ग़रीबी तो जस की तस बनी हुई है । ग़रीबी मिटाने का स्वांग रचा जा रहा है । ग़रीब और ग़रीबी के नाम पर वोट माँगे जा रहे हैं ।

                             लाजवाब, सशक्त और प्रभावशाली लघुकथा के लिए दीली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।... मतले पर…"
21 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ, कुछ सुझाव पेश…"
32 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service