For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उनकी यादों की ....

उनकी यादों की ....

ये
कैसे उजाले हैं

रात
कब की गुजर चुकी
दूर तलक
आँखों की
स्याही बिखेरते
तूफ़ां से भरे
आरिज़ों पर ठहरे
ये
कैसे नाले हैं

शब् के समर
आँखों में ठहरे हैं

लबों की कफ़स में
कसमसाते
संग तुम्हारे जज़्बातों के
लिपटे
कुछ अल्फ़ाज़
हमारे हैं

हर शिकन
चादर की
करवटों की ज़ुबानी है

जुदा होकर भी
अब तलक
ज़िंदा हैं हम
ख़ुदा कसम
ये
ज़हन में
उनकी यादों की
हम पर
मेहरबानी है

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 541

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on November 14, 2017 at 2:30pm

आदरणीय  लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी सृजन आपकी मधुर प्रशंसा का आभारी है।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 8, 2017 at 4:10pm

सुंदर रचना प्रस्तुति के लिए बधाई श्री सुशील सरना जी 

Comment by Sushil Sarna on November 7, 2017 at 9:13pm

आदरणीय बृजेश जी सृजन आपकी मधुर प्रशंसा का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on November 7, 2017 at 9:13pm

आदरणीय मो.आरिफ साहिब , आदाब ... सृजन को मन मुदित करती प्रशंसा से अलंकृत करने का दिल से आभार। 

Comment by Sushil Sarna on November 7, 2017 at 9:13pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब ... सृजन के भावों को आत्मीय मान देने एवं अनमोल सुझाव का दिल से आभार।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 6, 2017 at 8:57pm
वाह आदरणीय वाह क्या शानदार कविता हुई बधाई..
Comment by Mohammed Arif on November 6, 2017 at 8:14am
आदरणीय सुशील सरना जी आदाब, बेहतरीन ख़्यालातों की फुलवारी । हर शब्द रूपी फूल अपनी महक बिखेर रहा है । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Samar kabeer on November 5, 2017 at 9:55pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,उम्दा कविता लिखी,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
'लबों की क़फ़स में'-"लबों के क़फ़स में"
'मेहरबानी'-"मह्रबानी"
Comment by Sushil Sarna on November 5, 2017 at 5:00pm

आदरणीय   SALIM RAZA REWA    साहिब सृजन के भावों को आत्मीय स्नेह देने का दिल से आभार। 

Comment by SALIM RAZA REWA on November 5, 2017 at 4:23pm
आ. ख़ूबसूरत रचना के लिए बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
22 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service