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निराशा को आशा बनाता रहेगा(गजल)/सतविन्द्र कुमार राणा

122 122 122 122
बिना बात बातें बनाता रहेगा
शरारत से सब को छकाता रहेगा।

निराशा को आशा बनाता रहेगा
तेरा दिल ये तुझको सिखाता रहेगा।

हमेशा ही मन काला जिसका रहा है
वो नजरें सभी से चुराता रहेगा।

मजा जिसको आता चिढ़ाने में सबको
चढ़ाता रहेगा गिराता रहेगा।

नहीं भूल ये,नूर तुझमें बसा है
तू तारों सा ही टिमटिमाता रहेगा।

फरेबों में जिसकी चली जिंदगानी
वो हरदम किसी को सताता रहेगा।

रहे जुल्म होते जो जनता पे देखे
वो आवाज अपनी उठाता रहेगा।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 5, 2017 at 9:24pm
आदरणीय गिरिराज भंडारी सर,प्रयास को समय देकर सराहने के लिए तहेदिल शुक्रिया,सादर नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 5, 2017 at 9:23pm
आदरणीय विजय निकोरे सर सादर हारदिक आभार,सादर वन्दन

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Comment by गिरिराज भंडारी on February 3, 2017 at 10:01am

आदरणीय सतविन्द्र भाई , अच्छी ग़ज़ल कही आपने , हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by vijay nikore on February 3, 2017 at 9:45am

गज़ल अच्छी लगी। हार्दिक बधाई।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 3, 2017 at 7:38am
आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी प्रयास की सराहना के लिए हार्दिक आभार,नमन
Comment by Mohammed Arif on February 2, 2017 at 10:04pm
आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के लिए मुबारक़बाद क़ुबूल करें ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 2, 2017 at 8:26pm
आदरणीय लक्ष्मण सर सादर नमन,हौंसलाफ़ज़ाई के लिए हार्दिक आभार
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 2, 2017 at 11:45am

ऑ० भाई सतविंदर जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई .

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 1, 2017 at 11:33am
आदरणीय समर कबीर जी सादर नमन,अनुमोदन कर प्रयास को मान देने के लिए तहेदिल शुक्रिया!
Comment by Samar kabeer on January 31, 2017 at 10:16pm
जनाब सतविन्दर कुमार जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

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