For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- जुमलों के तरकश ने तीर उछाले हैं ( दिनेश कुमार 'दानिश' )

22--22--22--22--22--2

जुमलों के तरकश ने तीर उछाले हैं
अच्छे दिन क्या सचमुच आने वाले हैं

नागनाथ और साँपनाथ में फ़र्क नहीं
तन उजले लेकिन मन इनके काले हैं

साँपों को भी दूध पिलाते हैं अक्सर
ज़ह्नों पर हम सब के कैसे ताले हैं

रोटी की फिर देखो बंदरबाँट हुई
कुछ भूखों के मुँह से छिने निवाले हैं

राहनुमा की शक़्ल में रहज़न हैं सारे
रात की आहट से ही डरे उजाले हैं

बारिश से बचते हैं जब तक रँगे सियार
शेर को भी तब तक जीने के लाले हैं

ना मुमकिन है 'दानिश' जी बोलो किसने
सागर की मौजों पर पहरे डाले हैं

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 670

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on January 7, 2017 at 10:04pm
आदरणीय दिनेश कुमार "दानिश"साहिब,बहुत प्रासंगिक ग़ज़ल,बहुत सरल ढंग से गंभीर बातें कह गये हैं आप । भई क्या कहने !बधाई ! बधाई!! बधाई!!!
Comment by vijay nikore on January 7, 2017 at 9:47pm

 गज़ल अच्छी लगी। हार्दिक बधाई।

Comment by रामबली गुप्ता on January 7, 2017 at 6:49am
भाई दिनेश जी मन खुश कर दिया आपकी इस ग़ज़ल ने। हर शेर के लिए दिल से बधाई लीजिये

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 6, 2017 at 1:56pm

बहुत खूब , आदरनीय , अच्छी सामयिक गज़ल कही है , हार्दिक बधाई ।

Comment by Mahendra Kumar on January 4, 2017 at 10:35pm
आदरणीय दिनेश जी, बहुत ही शानदार ग़ज़ल कही है आपने। सभी शेर बेहतरीन हैं। मेरी तरफ से ढेर सारी बधाई प्रेषित है। सादर।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 4, 2017 at 10:07pm
वाह बेहतरीन...
Comment by Samar kabeer on January 4, 2017 at 9:15pm
जनाब दिनेश कुमार'दानिश'जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by Sushil Sarna on January 4, 2017 at 8:40pm

जुमलों के तरकश ने तीर उछाले हैं

अच्छे दिन क्या सचमुच आने वाले हैं

नागनाथ और साँपनाथ में फ़र्क नहीं

तन उजले लेकिन मन इनके काले हैं

आदरणीय दिनेश जी वर्तमान को जीती इस खूबसूरत ग़ज़ल की पेशकश पर हार्दिक बधाई स्वीकारें।

Comment by नाथ सोनांचली on January 4, 2017 at 2:18pm
पता नहीं कैसे एकही cooment तीन बार प्रकाशित हो गयी, अगर इसे हटाया जा सकता है तो एक को छोड़ और को हटा दिया जाए, सादर
Comment by नाथ सोनांचली on January 4, 2017 at 2:17pm
आदरणीय दिनेश जी सादर अभिवादन, वर्तमान राजनेताओ और जुम्लेबाजियो पर बेहतरीन गजल कही आपने, वैसे तो हर शैर दमदार है, फिर भी
नागनाथ और साँपनाथ में फ़र्क नहीं
तन उजले लेकिन मन इनके काले हैं

हम साँपों को दूध पिलाते दानिस्ता
ज़ह्नों पर हम सब की आख़िर ताले हैं

क्या खूब हुए है, दाद के साथ मुबारकबाद कबूल फरमाएं।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
1 hour ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
3 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service