For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हैरत नहीं अगर कोई नाकाम हो गया- ग़ज़ल

221 2121 1221 212

जो होना था फ़रेब का अंजाम हो गया

इक मुह्तरम जहान में बदनाम हो गया

 

आफ़ाक़ के सफर में नहीं मिलती मंज़िलें

हैरत नहीं अगर कोई नाकाम हो गया

 

जलने लगे चराग सितारे चमक उठे

दीदारे ताबे हुस्न सरे शाम हो गया

 

बेदार शब तमाम जला चाँद अर्श पर

जाहिर जुनूने इश्क़ सरे बाम हो गया

 

तेरी मुहब्बतों से मुनव्वर किया दयार

आलम फ़रोज़ शम्स को आराम हो गया

 

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 639

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 1, 2015 at 10:45am
अच्छे अश’आर हुए हैं आ. शिज्जू जी, दाद कुबूल करें
Comment by Shyam Mathpal on March 31, 2015 at 8:16pm

आ0 भाई शिज़्जू जी,

सुंदर ग़ज़ल. हार्दिक बधाई,

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 31, 2015 at 5:10pm
जलने लगे चराग सितारे चमक उठे

दीदारे ताबे हुस्न सरे शाम हो गया


इस शेर पे दिल बाग़ बाग़! मंजर बार बार दिमाग में कौधता है!सुन्दर गजल पर दिली दाद क़ुबूल फ़रमाए आदरणीय!
Comment by नादिर ख़ान on March 31, 2015 at 1:01pm

 जनाब शिज्जु साहब गज़ल का हर शेर लाजवाब है, दिल को छू  रहा है। हमारी तरफ से इस बेहतरीन गजलगोई के लिए मुबारकबाद ....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 31, 2015 at 9:33am

रचना की सराहना के लिए मैं आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूँ

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 31, 2015 at 6:11am

आ0 भाई शिज़्जू जी, सुंदर ग़ज़ल हुई है, हार्दिक बधाई,

Comment by Hari Prakash Dubey on March 30, 2015 at 7:39pm

जो होना था फ़रेब का अंजाम हो गया

इक मुह्तरम जहान में बदनाम हो गया...बहुत बढ़िया  

आफ़ाक़ के सफर में नहीं मिलती मंज़िलें

हैरत नहीं अगर कोई नाकाम हो गया..........बहुत खूब ,हार्दिक बधाई आदरणीय शिज्जु सर ! सादर 

Comment by Shyam Narain Verma on March 30, 2015 at 4:55pm
बहुत सुन्दर गजल।  ढेरों दाद कुबूल करें। सादर
Comment by Samar kabeer on March 30, 2015 at 11:20am
जनाब शिज्जु "शकूर" जी,आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं |
Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 30, 2015 at 11:04am

बहुत ख़ूब..... अच्छे तरही मुशायरे की एक पहचान ये भी है ...कि उसी काफिये और बहर पर एक दो और भी अच्छी ग़ज़ले बन जाती हैं.
एक शेर आपको दिए जाता हूँ ..
परवरदिगार तेरे करम से हुई ग़ज़ल  
तूने किया कमाल मेरा नाम हो गया.
.
सादर  
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
11 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
52 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
57 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"मौजूदा जीवन के यथार्थ को कुण्डलिया छ्ंद में बाँधने के लिए बधाई, आदरणीय सुशील सरना जी. "
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  ढीली मन की गाँठ को, कुछ तो रखना सीख।जब  चाहो  तब …"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"भाई शिज्जू जी, क्या ही कमाल के अश’आर निकाले हैं आपने. वाह वाह ...  किस एक की बात करूँ…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपके अभ्यास और इस हेतु लगन चकित करता है.  अच्छी गजल हुई है. इसे…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई , क्या बात है , बहुत अरसे बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ा रहा हूँ , आपने खूब उन्नति की है …"
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधकह दूँ मन की बात या, सुनूँ तुम्हारी बात ।क्या जाने कल वक्त के, कैसे हों…See More
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" posted a blog post

ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है

1212 1122 1212 22/112मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना हैमगर सँभल के रह-ए-ज़ीस्त से गुज़रना हैमैं…See More
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service