For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Shyam Mathpal
Share on Facebook MySpace

Shyam Mathpal's Friends

  • सुनील प्रसाद(शाहाबादी)
  • vijay nikore
 

Shyam Mathpal's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Udaipur
Native Place
Udaipur
Profession
Retired- Writing
About me
I do write poems.

Shyam Mathpal's Photos

  • Add Photos
  • View All

Shyam Mathpal's Blog

तमन्ना

तमन्ना

इस चमन की सुमन खिलते रहें

सुख दुःख में हम मिलते रहें

लाख कोशिश करे हमें तोड़ने की

हम जुड़े हुवे हम जुड़ते रहें

इंद्रधनुषी रंग छाते रहें

खुशियों के गीत गाते रहें

लहू के रंग फैलायें न कोई

हम जगे हुवे हम जगते रहें

पक्षियों का कलरव गूंजता रहे

पर्वतों को गगन चूमता रहे

आँधियाँ चाहे चले जोर से

हम अडिग हुवे हम अडिग रहें

झरने कल कल झरते रहें

विकास पथ पर बढ़ते रहें

भूल से भी न रोके कोई

हम अजये विजयी रहें

हिम शिखर…

Continue

Posted on April 3, 2015 at 7:30pm — 5 Comments

सच

हर फूल खुश्बू नहीं देता,हर कली  फूल नहीं बनती           

हर चमकता रात  में तारा नहीं होता ,हर चमकता पत्थर हीरा नहीं होता

जरा संभल के मेरे दोस्त हर बात सच्ची नहीं होती

हर मीठा स्वर अच्छा नहीं होता, हर खड़ी जीज सहारा नहीं होती,

हर खून का रिश्ता अपना नहीं होता ,हर दोस्त सच्चा नहीं होता .

जरा सभंल........

हर रात काली नहीं होती,हर दिन उजाला नहीं होता,

हर रात दिवाली नहीं होती, हर रोज होली नहीं होती.

जरा संभल......

हर लाल कपड़ा कफ़न नहीं…

Continue

Posted on March 26, 2015 at 8:44pm — 14 Comments

आज़ादी

मन के कमरे में कैद हमारे भाव विचार

बने वाणी के मोती ,कलम की बहती धार

सुवासित हो फ़िज़ा ,पढ़े सुने संसार

बुने सतरंगी सपने,बरसे प्यार की फुहार

डूबे खुश्बुओं में ,सुगन्धित हो बहार

खुशिओं के फूटे झरने ,भीगें बार -बार

मिले जीने की उमंग,सपना हो साकार

भूल सारे गम ,नव अंकुर का आधार

चाहतों की संतुष्टि ,आशीष से सरोबार

खुले परिचय के द्वार ,जुड़ा नया परिवार

धन्य हो गए हम ,दिलों के जुड़े तार

भूल जोड़ बाकी का गणित ,मिला जीने का…

Continue

Posted on March 18, 2015 at 11:50am — 12 Comments

क्षणिकाएँ

प्रणाम      

 

देश के वीरों को प्रणाम

उन शहीदों को सलाम

हमारे कल के लिए नव कोपलों का बलिदान

माताओं ने किये बेटे कुर्बान

बहिनों ने दिया सुहाग का दान

सदियों सदा याद रखेगा हिंदुस्तान

 

संतान

 

देश के लिए जान दे

देश भक्ति का ज्ञान दे

राष्ट्र भाषा को मान दे

माँ ऐसे संतान दे.

 

आंसू

 

आंसुओं को यों ही पीते रहे

होंठों…

Continue

Posted on March 16, 2015 at 4:00pm — 18 Comments

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 3:14pm on March 17, 2015, Shyam Narain Verma said…

आदरणीय ,

अगर कमेंट भी हिंदी लिपि में करें तो और बेहतर रहेगा |

सादर

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
yesterday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service