For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दर्द भूख का यारो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

मौत   बेटियों   को  बस,  दाइयाँ  समझती  हैं

पीर  के  सबब  को  सब  माइयाँ  समझती  हैं

**

सोच  आज  तक  भी जब,  है  गुलाम जैसी ही

मुल्क  की  अजादी  क्या, बेडि़याँ  समझती हैं

**

दो  बयाँ  भले  ही  तुम  देश  की  तरक्की के

हर खबर है सच कितनी सुर्खियाँ समझती हैं

**

आप   के  बयानों  में    खूब   है  सफाई  पर

बेवफा  कहाँ  तक  हो,   पत्नियाँ  समझती हैं

**

दोष  तुम  निगाहों   को  बेरूखी  की  देते  हो

कान  कौन  भरता  है  बालियाँ  समझती  हैं

**

पायलों को छमछम  की आदतें  जनम से ही

कब  किसे  रिझाना  है  चूडि़याँ  समझती  हैं

**

जिश्म  को  बिछाया  है लाल के  बिलखने से

दर्द   भूख   का  यारो   रोटियाँ   समझती  हैं

**

क्या कहें ‘मुसाफिर’ को चुप रहा सफर में गर

मौन  क्यों जुबाँ  है ये  तल्खियाँ  समझती हैं

**

212   1222  212  1222

**

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 643

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 27, 2014 at 5:25pm

आ० लक्ष्मण धामी जी 

मैं मतले में काफिया निर्धारण पर अटक गयी ..आपने काफिया 'आइयाँ' लिया है पर हमकवाफी शब्द 'इयाँ' पर हैं....

अश'आर सुन्दर हुए हैं 

हार्दिक बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 23, 2014 at 3:42am

एक अच्छी ग़ज़ल पर मेरी दाद लीजिये. आदरणीय 

आपकी ग़ज़ल इस माह के तरही मुशायरे में सम्मिलित हो सकती थी. खैर..

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on May 21, 2014 at 10:47am

आदरणीय लक्ष्मण जी, गज़ल का हर अश'आर उम्दा है. इस लाजवाब गज़ल के लिए बधाइयाँ................


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 20, 2014 at 9:43pm

आदरणीय लक्ष्मणजी बह्र क्या खूब निभाया है आपने बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by vijay nikore on May 20, 2014 at 11:42am

//

//पायलों को छमछम  की आदतें  जनम से ही

कब  किसे  रिझाना  है  चूडि़याँ  समझती  हैं//

इस अच्छी गज़ल के लिय बधाई, आदरणीय।

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 19, 2014 at 9:16pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब अच्छी ग़ज़ल कही है , खूब सारी बधाइयाँ ॥

Comment by Meena Pathak on May 19, 2014 at 8:45am

क्या बात है .. दिली दाद कबूल करें | सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 19, 2014 at 8:39am

जिश्म  को  बिछाया  है लाल के  बिलखने से

दर्द   भूख   का  यारो   रोटियाँ   समझती  हैं............बहुत मार्मिक, बधाई आदरणीय लक्ष्मण जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 18, 2014 at 12:42pm

sundar ghazal likhi hai ...bahut- bahut badhaai. 

Comment by coontee mukerji on May 16, 2014 at 11:52pm

पायलों को छमछम  की आदतें  जनम से ही

कब  किसे  रिझाना  है  चूडि़याँ  समझती  हैं...क्या नज़ाकत है.....बहुत बहुत बधाई...सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
6 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
10 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
11 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service