For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहर ... २२२ २२२ २२ 

वो जब से सरकार हुए हैं

सब कितने लाचार हुए हैं

जन सेवा अब नाम ठगी का

सपनोँ के व्यापार हुए हैं

धोखे देते बन के साधू

ऐसे ठेकेदार हुए हैं

मज़हब के भी नाम पे देखो

कितने अत्याचार हुए हैं

जो थे अब तक झुक कर चलते

वो अबकी खुददार हुए हैं

 

मौलिक  एवं अप्रकाशित 

Views: 909

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shyam Narain Verma on December 26, 2013 at 5:54pm
इस भाव पूर्ण गजल के लिए बधाई आपको । 
Comment by Abhinav Arun on December 26, 2013 at 11:13am

अहा ! इसे कहते हैं सादगी में क़यामत का असर ...गज़ब का कलाम हर शेर कामयाब ज़िन्दाबाद ...आज के दौर की आईना ग़ज़ल के लिए दिली मुबारकबाद आ. महिमा श्री जी आपकी कीर्ति चतुर्दिक फैले , नव वर्ष की मंगल कामनाएं !!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 26, 2013 at 11:07am

धोखे देते बन के साधू

ऐसे ठेकेदार हुए हैं.........वर्तमान समय में यही सब हो रहा है

जो थे अब तक झुक कर चलते

वो अबकी खुददार हुए हैं........अवसरवादियों पर कटाक्ष

कटु सत्यता ली हुयी, लाजवाब गजल पर बधाई स्वीकारें आदरणीया महिमा जी

 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 26, 2013 at 6:47am

आदरणीया महिमा जी,

बहुत सुन्दर गज़ल कही है आपने ,अनेकों बधाइयाँ

Comment by ajay sharma on December 25, 2013 at 10:15pm

jo ab tak jhukkar chalte the 

vo sare khuddar huye hain  / ............bhi ho  sakta tha .....

wah wah wah...... 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 25, 2013 at 10:05pm

वाह आदरणीया महिमा जी बेहतरीन रवां ग़ज़ल हुई है बहुत बहुत बधाई आपको इस रचना के लिये

Comment by coontee mukerji on December 25, 2013 at 9:22pm

जो थे अब तक झुक कर चलते

वो अबकी खुददार हुए हैं...........वाह क्या बात है.

 .......


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 25, 2013 at 8:31pm

आदरणीया महिमा जी , बहुत सुन्दर गज़ल कही है आपने , आपको अनेकों बधाइयाँ ॥

Comment by MAHIMA SHREE on December 25, 2013 at 8:15pm

आभार आदरणीय अनुराग जी .. सादर 

Comment by Anurag Singh "rishi" on December 25, 2013 at 8:09pm

सुन्दर ग़ज़ल हेतु बधाई
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service