For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये दुनिया धर्मशाला है (ग़ज़ल )

हैं  कपड़े  साफ  सुथरे  से , पड़ा  काँधे  दुशाला  है
शहर  में भेडि़यों  ने आ, बदल  अब  रूप  डाला है


कहानी  रोज  पापों की, उघड़  कर  सामने  आती
किसी ने  झूठ  बोला था, ये  दुनिया  धर्मशाला है

समझ के आम जैसे ही, आमजन चूसे जाते नित
बनी ये सियासत अब, महज भ्रष्टों  की  खाला है


मथोगे गर मिलेगा नित, यहाँ अमृत भी पीने को
है सिन्धु सम जीवन, कहो मत विष का प्याला है

किया सुबह  शाम झगड़ा , रखी वाणी  में दुत्कारें
'मुसाफिर' हमने ही सुख को, दिया घर निकाला है

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
मौलिक व अप्रकाशित


Views: 687

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 27, 2013 at 1:05am

मतला और पहला शेर कहन और शिल्प की जिस ऊँचाई पर हैं बाद के शेर उतने ही फैल गये हैं. इन दोनों के लिए तो खूब बधाई कह रहा हूँ.
आप १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ के वज़्न पर अपने अन्य शेर के मिसरे भी कस डालिये.
हार्दिक धन्यवाद

Comment by MAHIMA SHREE on December 25, 2013 at 8:34pm

मथोगे गर मिलेगा नित, यहाँ अमृत भी पीने को
है सिन्धु सम जीवन, कहो मत विष का प्याला है

किया सुबह  शाम झगड़ा , रखी वाणी  में दुत्कारें 
'मुसाफिर' हमने ही सुख को, दिया घर निकाला है.... वाह आदरणीय धामी जी .बहुत ही बढिया .. बधाई प्रेषित है ..

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 25, 2013 at 12:59pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई जी भाव पक्ष बेहद शानदार है बह्र में मुझे गड़बड़ी लग रही है, मेरे हिसाब से आपने इसे १२२२,  १२२२,१२२२,१२२२, के वज्न पर बाँधा है इस लिहाज से आपने शहर की मात्रा 12 गिनी है भाई जी शहर की मात्रा २१ होती है. एक इस्लाह से आप बेहतरीन ग़ज़ल कह सकते हैं बस थोडा सा ध्यान दीजिये ग़ज़ल की बातें जरुर पढ़िए.

Comment by coontee mukerji on December 24, 2013 at 10:36pm

मथोगे गर मिलेगा नित, यहाँ अमृत भी पीने को
है सिन्धु सम जीवन, कहो मत विष का प्याला है............बहुत सुंदर.

Comment by annapurna bajpai on December 24, 2013 at 6:30pm

आ0 लक्ष्मण जी धामी जी सूंडआर के लिए शुभकामनायें , अनुरोध है कि बह्र भी साथ मे लिख दिया करें ताकि पढ़ने मे सुविधा रहे । सादर

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 24, 2013 at 11:29am

अच्छी ग़ज़ल के लिए साधुवाद i

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 24, 2013 at 11:01am

भाई गिरिराज जी, भाई शिज्जु शकूर जी तथा भाई श्याम नारायण जी , उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ,

आशा है , मार्गदर्शन भी करते रहेंगे .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 23, 2013 at 10:33pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , सुन्दर गज़ल कही है , अपको अनेकों बधाइयाँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 23, 2013 at 8:51pm

आदरणीय लक्ष्मण जी इस ग़ज़ल के लिये बधाई स्वीकार करें

Comment by Shyam Narain Verma on December 23, 2013 at 4:29pm
बहुत सुंदर भाव, बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service