For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मोबाइल पर मेल का नोटिफिकेशन देख मोहन की आँखें चमक उठीं।शायद पायल का मेल हो।जल्दी से मेल खोला..हाँ ,ठीक 17 दिन बाद पायल का मेल था।अक्सर मेल नोटिफिकेशन देख खिल जाता है मोहन लेकिन अक्सर मायूसी ही हाथ लगती।खैर देखूं तो सही क्या लिखा है...अपने चश्मे को ठीक करता हुआ मोहन मेल पढ़ने लगा।"56 को हो गईं हूँ मैं और आप भी 60-65 तो होंगे ही,अब तो बता दो क्या मायने रखती हूँ मैं?और क्यों?" पिछले 40 सालों से ये सवाल कई बार पूछा था पायल ने लेकिन "कुछ सवालों को लाजबाब रहने दो" कह कर हर बार टाल गया मोहन।पर आज!!अनायास ही आँखों में जानी पहचानी नमी तैर गई।वो चाह के भी इस सवाल को टाल नहीं पा रहा था।पिछले चालीस सालों से पता नहीं सांसें फेफड़ों को ढो रही थी या फेफड़े साँसों को अब लगता है दौनों ही थक चुके हैं।डा. ने भी आखिर हाथ खड़े कर दिए..पता नहीं कितने दिन बाकी हैं? हालाँकि बाहर से कभी पता नहीं चला कि वो इतना बीमार है।कांपते हाथों से लिखता चला गया वो "प्यार करता हूँ आपसे,तब से जब पहली बार आपको देखा था और तब तक जब तक सांसें चल रही हैं और शायद उसके बाद भी।कभी आप से कह न सका क्योंकि आपके काबिल था ही नहीं बस मेरी हर पूजा में यही प्रार्थना थी कि आप खुश रहो"।मेल सेंड कर फोन रखा ही था की घंटी बज उठी।किसका फोन है??कहते हुए मोहन ने फ़ोन रिसीव करते हुए कान से लगाया..कुछ क्षणों की ख़ामोशी और फिर उस ख़ामोशी को चीरती हुई सिसकियाँ जो धीरे धीरे बढ़ती ही जा रही थीं...बर्षों से आँखों में तैरती नमी आखिर आज तटबंध तोड़ मोहन को अंदर तक शीतल करती चली गई।कुछ भी नहीं था सिवाय निःशब्दता के...शायद यही प्रेम की पराकाष्ठा है।
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 811

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 27, 2018 at 11:47am

रचना को ह्रदय से महसूस करने के लिए ह्रदय से आभार आदरणीय डा. आशुतोष जी सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 27, 2018 at 11:46am

उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय महेंद्र कुमार जी सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 27, 2018 at 11:45am

रचना पटल पे आपकी शिरक़त के लिए शुक्रिया आदरणीय सुरेन्द्र जी सादर

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 26, 2018 at 6:17pm

आदरणीय ब्रिजेस जी भावुक करती यह रचना बढ़िया लगी ..चालीस सालों तक यह सिलसिला चला यह निश्चित रूप से प्रेम ही था ..इस रचना के लिए ढेर सारी बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by Mahendra Kumar on June 26, 2018 at 10:11am

बढ़िया लघुकथा है आदरणीय बृजेश जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर। 

Comment by नाथ सोनांचली on June 25, 2018 at 7:41pm

आद0 बृजेश कुमार ब्रज जी सादर अभिवादन। बढिया लघुकथा के लिए बधाई कुबूल कीजिये। सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 25, 2018 at 5:49pm

आपके सुन्दर मनोहारी शब्दों से मन प्रसन्नता से भर गया आदरणीय सुशील जी..सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 25, 2018 at 5:48pm

आपकी टिप्पड़ी से  अति उत्साह का संचार हुआ है आदरणीय समर जी...सादर

Comment by Sushil Sarna on June 25, 2018 at 2:51pm

वाह आदरणीय बृजेश जी बहुत ही सुंदर,भावपूर्ण,अंतर्वेदना की पराकाष्ठा को दर्शाती एक प्रभावशाली लघुकथा। हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

Comment by Samar kabeer on June 25, 2018 at 11:13am

जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
7 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service