For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भोर होने से पहले ...

भोर होने से पहले ...

वाह
कितनी अज़ीब
बात है
सौदा हो गया
महक का
गुल खिलने से
पहले

सज गयी सेजें
सौदागरों की आँखों में
शब् घिरने से
पहले

बट गया
जिस्म
टुकड़ों में
हैवानियत की
चौख़ट पर
भर गए ख़ार
गुलशन के दामन में
बहार आने से
पहले

वाह
इंसानियत के लिबास में
हैवानियत
कहकहे लगाती है
ज़िंदगी
दलालों की मंडी में
रोज मरती है
जीने की
भोर होने से
पहले

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 883

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on September 4, 2017 at 4:07pm

आदरणीय फूल सिंह जी सृजन पर आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on September 4, 2017 at 4:07pm

आदरणीय महेन्द्र कुमार जी सृजन आपकी मन मुदित करती प्रशंसा का आभारी है। 

Comment by Sushil Sarna on September 4, 2017 at 4:06pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी भाई साहिब सृजन के भावों अपनी आत्मीय स्वीकृति देती प्रतिक्रिया का दिल से आभार। 

Comment by Sushil Sarna on September 4, 2017 at 4:06pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on September 4, 2017 at 4:06pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब ... प्रस्तुति को अपनी सहमति देती प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया का तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on September 4, 2017 at 4:01pm

आदरणीय मो.आरिफ साहिब, आदाब। .. सृजन के भावों पर आपकी मधुर प्रशंसा का हार्दिक आभार।

Comment by PHOOL SINGH on September 4, 2017 at 3:03pm

बहुत ही सुंदर, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Mahendra Kumar on September 3, 2017 at 1:27pm

आ. सुशील सरना जी. बहुत ही सशक्त कविता प्रस्तुत की है आपने. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 2, 2017 at 6:31pm

आदरनीय सुशील भाई , कुछ सोचने को बाद्ध्य करती है ये कविता ... बहुत खूब , हार्दिक बधाई ।

Comment by नाथ सोनांचली on September 2, 2017 at 5:47am
आद0 सुशील सरना जी बहुत ही उम्दा, सोचने को बार बार विवश करती रचना। बधाई इस सृजन पर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted blog posts
5 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service