1222 1222 1222 1222
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सदा सम्मान इकतरफा कहाँ तक फूल को दोगे
तिरस्कारों की हर गठरी कहाँ तक शूल को दोगे /1
उठेगी तो करेगी सिर से पाँवों तक बहुत गँदला
अगर तुम प्यार का कुछ जल नहीं पगधूल को दोगे /2
नदी आवारगी में नित उजाड़े खेत औ बस्ती
कहाँ तक दोष इसका भी कहो तुम कूल को दोगे /3
तुम्हारी सोच में फिरके उन्हें ही पोसते हो नित
सजा तसलीमा रूश्दी को दुआ मकबूल…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 9, 2016 at 11:00am — 12 Comments
Added by Rahul Dangi Panchal on January 24, 2016 at 10:30pm — 14 Comments
Added by जयनित कुमार मेहता on January 17, 2016 at 2:42pm — 7 Comments
1222 1222 1222
बजाहिर जो लगे हैं ग़मगुसार अपना
छिपा लाये हैं फूलों में वो ख़ार अपना
बहुत गर्मी यहाँ मौसम ने दी हमको
जिधर ग़ुज़रे उधर बांटे बुखार अपना
जो लूटे हैं वो वापस क्या हमें देंगे
चलो हम ही कहीं खोजें करार अपना
ज़रा रुकना, उन्हें गाली तो दे आयें
नहीं अच्छा रहे बाक़ी उधार अपना
बुढ़ापा बोलता तो है , सहारा ले
मगर अब भी उठाता हूँ,मैं भार अपना
मै सीरत…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on January 12, 2016 at 7:30am — 19 Comments
2122 ----2122 -----2122 ----212
आप की गलियों के कुछ मंज़र हमें अच्छे लगे
ठोकरें खाते हुए पत्थर हमें अच्छे लगे
सुनके हर्फ़े आरज़ू माथे पे शिकनें पड़ गयीं
हुस्न के बिगड़े हुए तेवर हमें अच्छे लगे
इस तरफ आहो फ़ुग़ाँ और उस तरफ रंगीनियाँ
अहलेज़र से मुफ़लिसों के घर हमें अच्छे लगे
नर्म गद्दों के बजाये सो गए इक टाट पर
फ़ाक़ाकश मज़दूर के बिस्तर हमें अच्छे लगे
वक़्ते रुख़सत ग़म के मारे आगये जो आँख…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on January 10, 2016 at 7:00pm — 17 Comments
1222 1222 1222 1222
कभी इनकार लिख देना कभी इकरार लिख देना|
अगर मुझसे मुहब्बत है तो बस तुम प्यार लिख देना|
कि दिल की बात को दिल में दबाना छोड़कर दिल से,
वफ़ा-उल्फत-मुहब्बत पर भी कुछ अशआर लिख देना।
हमारे राजनेता पर भी थोड़ी बात हो जाए,
डुबाते हैं ये कश्ती को इन्हें बेकार लिख देना|
मेरा महबूब गर तुमसे मेरा जो हाल पूछे तो,
बड़ी संजीदगी से तुम दिले बीमार लिख देना|
तिरंगे में…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on January 3, 2016 at 8:30pm — 11 Comments
122 122 122 12
हमें मत भुलाना नये साल में
मुहब्बत निभाना नये साल में
ख़ुदा से दुआ आप मांगें यही
बढ़े दोस्ताना नये साल में
सुख़नवर फ़क़त तू हि बेहतरनहीं
न यह भूल जाना नये साल में
तुम्हारी ख़ुशी में ख़ुशी है मेरी
न आंसू बहाना नए साल में
खफ़ा हैं कई साल से यार जो
उन्हें है मनाना नए साल में
गये साल पूरी न हसरत हुई
गले से लगाना नये साल…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on January 3, 2016 at 6:00pm — 7 Comments
Added by जयनित कुमार मेहता on January 1, 2016 at 7:56pm — 5 Comments
2122 2122 212
लाएगी इक दिन क़यामत,देखना..
जानलेवा है सियासत, देखना..
काम मुश्किल है बहुत संसार में,
दुसरे इंसाँ की बरकत देखना..
देख लेना खूँ-पसीना भी, अगर
आलिशाँ कोई इमारत देखना..
झाँक कर मेरी निगाहों में कभी,
आपसे कितनी है चाहत, देखना..
देखना हो गर खुदा का अक्स,तो
छोटे बच्चे की शरारत देखना..
'जय' न सिखला दे मुहब्बत,फिर कहो
दो घड़ी करके तो सुहबत देखना..
______________________________…
Added by जयनित कुमार मेहता on December 7, 2015 at 2:30pm — 12 Comments
ख़बर सबकी है ख़ुद से बेख़बर हैं
ख़ुदा जाने के हम कैसे बशर हैं।
असर कलयुग का कुछ ऐसा हुआ है
फकीरों की दुआएं बेअसर हैं।
परिंदे ढूंढते हैं आशियाना
के शहरों में बचे कुछ ही शजर हैं।
हैं आलीशान ज़ाहिर में सभी कुछ
मगर टूटे हुए अंदर से घर हैं।
मिटी इंसानियत आदम बचा है
हज़ारों हो गये ऐसे नगर हैं।
जो दें किरदार की खुशबू सभी को
बहुत कम रह गये ऐसे,मगर हैं।
अंधेरों ने किये दर बंद सारे
उजाले फिर रहे अब दर…
Added by rajinder toki on December 7, 2015 at 11:30am — 3 Comments
2122 1122 1122 22
किसको कितना है मिला माल,न हमसे पूछो।
हाँ! करप्शन का ये जंजाल न हमसे पूछो।
तेरे कारण हुई है, ये जो मेरी हालत है,
अब तुम्हीं आके मेरा हाल न हमसे पूछो।
ज़ेह्न-ओ-दिल से तेरी यादों को मिटा डाला,अब
बीते दिन, गुज़रे हुए साल न हमसे पूछो।
कौन आख़िर ले गया गाँव की पंचायत को,
कहाँ ग़ायब हुए चौपाल, न हमसे पूछो।
जनवरी और दिसंबर के महीने में…
ContinueAdded by जयनित कुमार मेहता on December 4, 2015 at 8:30pm — 17 Comments
अरकान -1222 1222 1222 1222
मुझे सच को कभी भी झूठ बतलाना नहीं आता|
तभी तो मेरे घर भी यार नज़राना नही आता|
अगर तुम प्यार से कह दो लुटा दूँ जान भी अपनी,…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on December 2, 2015 at 11:30pm — 14 Comments
2122 2122 2222
वक्त बनके आ गये हो टल जाओगे
गर्दिशें कर तो अभी ही ढल जाओगे।
बुझ रहे दीये अभी रोशन जो रफ्ता
रोशनी बख्शो नजर में पल जाओगे।
हम बिठा लेते नयन में भूलें सब कुछ
कर भला वरना नजर से चल जाओगे।
आग उर में ले चले तो रौशन कर मग
बेवजह बाँटो तपिश मत जल जाओगे।
छल गये हो बार कितनी पूछो खुद से
सच न हो एक बार फिर अब छल जाओगे।
.
मौलिक व अप्रकाशित@
Added by Manan Kumar singh on December 1, 2015 at 10:00am — 2 Comments
1222 1222 122
कभी है ग़म,कभी थोड़ी ख़ुशी है..
इसी का नाम ही तो ज़िन्दगी है..
हमें सौगात चाहत की मिली है..
ये पलकों पे जो थोड़ी-सी नमी है..
मुखौटे हर तरफ़ दिखते हैं मुझको,
कहीं दिखता नहीं क्यों आदमी है..?
फ़िज़ा में गूँजता हर ओर मातम,
कि फिर ससुराल में बेटी जली है..
सभी मौजूद हों महफ़िल में,फिर भी,
बहुत खलती मुझे तेरी कमी है..
दहल जाए न फिर इंसानियत 'जय',
लड़ाई मज़हबी फिर से…
Added by जयनित कुमार मेहता on November 25, 2015 at 4:50pm — 8 Comments
अरकान - 2122 2122 2122 212
आप आये और मेरा दिन सुनहरा हो गया|
आपको देखा तो मेरा फूल चेहरा हो गया|
कुछ समय पहले तलक तो थी हरी यें वादियाँ ,
आपके जाते ही तो हर सिम्त सहरा हो गया|
क़त्ल का ए सिलसिला क्यों और आगे बढ़ गया,
जब से मेरे गाँव में कुछ सख्त पहरा हो गया |
लाख चीखो और चिल्लाओ सुनेगा कौन अब,
हाय पत्थर दिल ज़माना आज बहरा हो गया|
जख्म तो बस जख्म था जो भर भी सकता था मगर…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 20, 2015 at 10:00pm — 1 Comment
22 22 22 22 22 22
कोई दीप जलाओ, कि अँधेरा यहाँ न हो ।
कभी रोशनी की बात चले तो गुमाँ न हो ।।
जो शय बढ़ा दे दूरियां उसको खुदी कहें ।
हर हाल में कोशिश रहे, ये दरमियां न हो ।।
है फ़िक्र ये कि पंछी उड़ें किस फलक पे अब।
ऐसा भी ख़ौफ़नाक कोई आसमाँ न हो ।।
उजड़ीं है कई आंधियों में बस्तियां मगर ।
जैसे ये घर उजड़ गया, कोई मकाँ न हो ।।
मंज़िल से जा मिले जो कभी राह तो मिले।
रस्तों…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on November 17, 2015 at 7:30am — 13 Comments
अरकान- 1222 1222 1222 1222
सुनो सब गौर से वीरों मेरा पैगाम बाक़ी है|
न हारो हौसला अपना अभी तो लाम बाकी है|
मैं आकर मैकदे में अब बता कैसे रहूँ प्यासा,
पिला दे जह्र ही साक़ी अभी इक जाम बाक़ी है|
जमीं से तोड़कर रिश्ता बहुत आगे निकल आया,
मगर हालत कहते हैं अभी अंजाम बाकी है|
गए पकड़े वो सारे जो बहुत मासूम थे यारो,
सही कातिल का लेकिन इक सियासी नाम बाक़ी…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 17, 2015 at 12:00am — 4 Comments
ज़िंदगी का रंग फीका था मगर इतना न था
इश्क़ में पहले भी उलझा था मगर इतना न था
क्या पता था लौटकर वापस नहीं आएगा वो
इससे पहले भी तो रूठा था मगर इतना न था
दिन में दिन को रात कहने का सलीका देखिये
आदमी पहले भी झूठा था मगर इतना न था
अब तो मुश्किल हो गया दीदार भी करना तिरा
पहले भी मिलने पे पहरा था मगर इतना न था
उसकी यादों के सहारे कट रही है ज़िंदगी
भीड़ में पहले भी तन्हा था मगर इतना न…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on November 15, 2015 at 2:00pm — 19 Comments
अरकान - 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2 2
तेरे बिन घर वन लगता है बाकी सब कुछ अच्छा है|
तुझ बिन बेटे जी डरता है बाकी सब कुछ अच्छा है|
माँ तेरी बीमार पड़ी है गुमसुम बहना भी रहती,
भैया का भी हाल बुरा है बाकी सब कुछ अच्छा है|
दादी तेरी बुढिया हैं पर चूल्हा-चौका हैं करती,
कोई न उनका दुख हरता है बाकी सब कुछ अच्छा है|
दादा जी पूछा करते…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 13, 2015 at 6:00pm — 8 Comments
Added by shree suneel on November 11, 2015 at 9:06am — 5 Comments
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