221 2121 1221 212
हमने तुम्हारे वास्ते क्या क्या नहीं किया
अफ़सोस तुमने हमपे भरोसा नहीं किया
oo
आया है जब से नाम तुम्हारा ज़बान पर
होटों ने फिर किसी का भी चर्चा नहीं किया
oo
ज़ुल्मों सितम ज़माने के हंस हंस के सह लिए
लेकिन कभी ईमान का सौदा नहीं किया
oo
अमनो अमां से हमने गुज़ारी है ज़िंदगी
मज़हब के नाम पर कभी झगड़ा नहीं किया
oo
उम्मीद उस बशर से करें क्या वफ़ा की हम
जिसने किसी के साथ भी अच्छा नहीं किया…
Added by SALIM RAZA REWA on February 6, 2018 at 10:30pm — 14 Comments
221 2121 1221 212
जीने की आरज़ू तो है सब को खुशी के साथ
ग़म भी लगे हुए हैं मगर ज़िन्दगी के साथ
-
नाज़-ओ-अदा के साथ कभी बे-रुख़ी के साथ
दिल में उतर गया वो बड़ी सादगी के साथ
-
आएगा मुश्किलों में भी जीने का फ़न तुझे
कुछ दिन गुज़ार ले तू मेरी ज़िन्दगी के साथ
-
ख़ून-ए- जिगर निचोड़ के रखते हैं शेर में
यूँ ही नहीं है प्यार हमें शायरी के…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on February 4, 2018 at 10:00am — 18 Comments
2122 1212 22
तू अगर बा - वफ़ा नहीं होता
दिल ये तुझपे फ़िदा नहीं होता
-
इश्क़ तुमसे किया नहीं होता
ज़िन्दगी में मज़ा नहीं होता
-
ज़िन्दगी तो संवर गयी होती
ग़र वो मुझसे जुदा नहीं होता
-
उसकी चाहत ने कर दिया पागल
प्यार इतना किया नहीं होता
-
सबको दुनिया बुरा बनाती है
कोई इंसाँ बुरा नही होता
-
चोट खाएँ भी मुस्कुराएँ भी
अब रज़ा हौसला नहीं होता. …
Added by SALIM RAZA REWA on January 13, 2018 at 10:30pm — 21 Comments
221 2122 221 2122
मुझसे ऐ जान-ए-जानाँ क्या हो गई ख़ता है
जो यक-ब-यक ही मुझसे तू हो गया ख़फ़ा है
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कुछ भी नहीं है शिकवा कुछ भी नहीं शिकायत
क़िस्मत में जो है मेरे वो मुझको मिल रहा है
-
आंखों में नींद रुख़ पर गेसू बिखर रहे हैं
हिज्र-ए-सनम में शायद वो जागता रहा है
-
शाख़-ए-शजर हैं सूखी मुरझा गई हैं कलियाँ
गुलशन हुआ है वीरां कैसा ग़ज़ब हुआ है
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इक पल में रूठ जाना इक पल में मान जाना
उसकी इसी अदा ने दीवाना कर दिया है…
Added by SALIM RAZA REWA on January 10, 2018 at 11:30pm — 11 Comments
22 22 22 22 22 2
जो अपने माँ-बाप के दिल को दुखाएगा
चैन-ओ- सुकूँ वो जीवन भर ना पाएगा
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हक़ बातें तू हरगिज़ ना कह पाएगा
अहसानों के तले अगर दब जाएगा
-
उस दिन दुनिया ख़ुशिओं से भर जाएगी
जिस दिन प्रीतम लौट के घर को आएगा
-
भूँखा -प्यासा जब देखेगी बेटों को
माँ का दिल टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा
-
उसकी मुरादें सब पूरी हो जाएंगी
दर पे उसके जो दामन फैलाएगा
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मेरी…
Added by SALIM RAZA REWA on January 7, 2018 at 6:00pm — 12 Comments
212 1222 212 1222
बज़्म ये सजी कैसी कैसा ये उजाला है
महकी सी फ़ज़ाएँ हैं कौन आने वाला है
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चाँद जैसे चेहरे पे तिल जो काला काला है
मेरे घर के आँगन में सुरमई उजाला है
-
इतनी सी गुज़ारिश है नींद अब तू जल्दी आ
आज मेरे सपने में यार आने वाला है
-
जागना वो रातों को भूक प्यास दुख सहना
माँ ने अपने बच्चों को मुश्किलों से पाला है
-
उसके दस्त-ए-क़ुदरत में ही निज़ाम-ए-दुनिया है
इस जहान-ए-फ़ानी को जो बनाने वाला है
-…
Added by SALIM RAZA REWA on January 4, 2018 at 5:30pm — 28 Comments
2122 2122 2122 212
.
मुश्किलों में दिल के भी रिश्ते पुराने हो गए
ग़ैर से क्या हो गिला अपने बेगाने हो गए
-
चंद दिन के फ़ासले के बा'द हम जब भी मिले
यूँ लगा जैसे मिले हमको ज़माने हो गए
-
पतझड़ों के साथ मेरे दिन गुज़रते थे कभी
आप के आने से मेरे दिन सुहाने हो गए
-
मुस्कराहट उनकी कैसे भूल पाएगें कभी
इक नज़र देखा जिन्हें औ हम दिवाने हो गए
-
आँख में शर्म-ओ-हया, पाबंदियाँ, रुस्वाईयां
उनके न आने के ये…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on January 2, 2018 at 9:00pm — 18 Comments
212 1222 212 1222
साथ तुम नहीं होते कुछ मज़ा नहीं होता
मेरे घर में खुशियों का सिलसिला नहीं होता
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राह पर सदाक़त की गर चला नहीं होता
सच हमेशा कहने का हौसला नहीं होता
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कोशिशों से देता है रास्ता समंदर भी
हौसला रहे क़यिम फिर तो क्या नहीं होता
-
कम खुशी नहीं होती मेरे घर के आँगन में
दिल अगर नहीं बंटता, घर बंटा नहीं होता
-
थोड़े ग़म ख़ुशी थोड़ी,थोड़ी सिसकियाँ भी है
ज़िन्दगी से अब हमको कुछ गिला नहीं होता
-
डूबती नहीं कश्ती पास…
Added by SALIM RAZA REWA on December 27, 2017 at 9:00pm — 20 Comments
212 212 212 212 -
रंज -ओ-ग़म ज़िंदगी के भुलाते रहो
गीत ख़ुशिओं के हर वक़्त गाते रहो
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मोतियों की तरह जगमगाते रहो
बुल बुलों की तरह चहचहाते रहो
-
जब तलक आसमां में सितारें रहें
ज़िंदगी में सदा मुस्कुराते रहो
-
इतनी खुशियां मिले ज़िंदगी में तुम्हे
दोनों हांथों से उनको लुटाते रहो
-
सिर्फ़ कल की करो दोस्तों फिक़्र तुम
जो गया वक़्त उसको भुलाते रहो
-
हम भी तो आपके जां निसारों में हैं
क़िस्सा- ए- दिल हमें भी सुनाते…
Added by SALIM RAZA REWA on December 19, 2017 at 4:55pm — 21 Comments
212 1222 212 1222
तेरे प्यार में दिल को बेक़रार करते हैं
रात - रात भर तेरा इंतज़ार करते हैं
-
तुमको प्यार करते थे तुमको प्यार करते हैं
जाँ निसार करते थे जाँ निसार करते हैं
-
ख़ुश रहे हमेशा तू हर ख़ुशी मुबारक हो
ये दुआ खुदा से हम बार - बार करते हैं
-
उँगलियाँ उठाते हैं लोग दोस्तों पर भी
हम तो दुश्मनों पर भी ऐतबार करते हैं
-
वादा उसका सच्चा है लौट के वो आएगा
इस उमीद पर अब भी इंतज़ार करते…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on November 22, 2017 at 8:30am — 6 Comments
221 2121 1221 212
-
नाराज़गी है कैसी भला ज़िन्दगी के साथ.
रहते हैं ग़म हमेशा ही यारों खुशी के साथ
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नाज़-ओ-अदा के साथ कभी बे-रुख़ी के साथ.
दिल में उतर गया वो बड़ी सादगी के साथ
-
माना कि लोग जीते हैं हर पल खुशी के साथ.
शामिल है जिंदगी में मगर ग़म सभी के साथ
-
आएगा मुश्किलों में भी जीने का फ़न तुझे.
कूछ दिन गुज़ार ले तू मेरी जिंदगी के साथ
-
ख़ून-ए- जिगर निचोड़ के रखते हैं शेर में.
यूँ ही नहीं है प्यार हमें शायरी के…
Added by SALIM RAZA REWA on November 8, 2017 at 3:30pm — 16 Comments
1222 1222 1222 1222
.....
वतन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ .
अमन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ …
Added by SALIM RAZA REWA on October 19, 2017 at 12:30am — 29 Comments
221 2121 1221 212
..
दिल का ये मसअला है कोई दिल लगी नहीं,
मुमकिन तेरे बग़ैर मेरी ज़िन्दगी नही
..
ये और बात है कि वो मिलते नहीं मगर,
किसने कहा कि उनसे मेरी दोस्ती नहीं
..
तेरे ही दम से खुशियां है घर बार में मेरे,
होता जो तू नहीं तो ये होती ख़ुशी नहीं
..
वो क्या गया की रौनके महफ़िल चली गयी,
जल तो रही है शम्अ मगर रोशनी नहीं
..
ख़ून-ए-जिगर से मैंने सवाँरी है हर ग़ज़ल,
मेरे, सुख़न का रंग…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on October 16, 2017 at 10:00pm — 14 Comments
122 122 122 122
....
महब्बत की राहों में जाने से पहले.
ज़रा सोचिए दिल लगाने से पहले.
.
बहारों का इक शामियाना बना दो.
ख़िज़ाओं को गुलशन में आने से पहले.
.
गिरेबान में झांक कर अपने देखो.
किसी पर भी उंगली उठाने से पहले.
.
ग़रीबों की आहों से बचना है मुश्क़िल.
ये तुम सोच लो दिल दुखाने से पहले.
.
कभी चल के शोलों पे देखो रज़ा तुम.
महब्बत की बस्ती जलाने से पहले.…
Added by SALIM RAZA REWA on October 13, 2017 at 3:00pm — 17 Comments
Added by SALIM RAZA REWA on October 9, 2017 at 3:30pm — 13 Comments
Added by SALIM RAZA REWA on October 6, 2017 at 12:00pm — 30 Comments
221 2121 1221 212
........
नश्शा नहीं सुरूर नहीं बे खुदी नहीं.
उनकी नज़र से पीना कोई मयकशी नहीं.
.
गुलशन में फूल तो है मगर ताज़गी नहीं.…
Added by SALIM RAZA REWA on October 2, 2017 at 7:30pm — 8 Comments
2122 1212 22/112
ख़्वाब तूने कोई बुना होगा
तब तेरा रतजगा हुआ होगा
सर यक़ीनन मेरा झुकेगा जनाब
आपसे जब भी सामना होगा
मुद्दतों बाद मेरी याद आई
मुश्किलों से कहीं घिरा होगा
मुझको मेहनत लगी थी लिखने में
उसको एहसास इसका क्या होगा
शहर में होना आरज़ी है मगर
तज़्किरा मेरा बारहा होगा
आरज़ी – थोड़े समय के लिए, तज़्किरा – जिक्र
-मौलिक व अप्रकाशित
Added by शिज्जु "शकूर" on September 21, 2017 at 11:24am — 6 Comments
ग़ज़ल --ईद (ईद मुबारक बोल के फिर हम ईद मनाएंगे यारो )
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(बह्र हिन्दी --मुत्क़ारिब ,मुसम्मन ,मुज़ायफ )
रस्म गले मिलने की निभा कर हाथ मिलाएंगे यारो |
ईद मुबारक बोल के फिर हम ईद मनाएंगे यारो |
ख़ुद ही निकल जाएगी पुरानी सारी कड़वाहट दिल की
आज सिवैयाँ घर पे तुम्हें हम इतनी खिलाएंगे यारो |
सदक़ा और फितरे से ही यह अपनी ईद मनाते हैं
ईद के इस अहसान को मुफ़लिस कैसेभुलाएंगे यारो…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on June 27, 2017 at 3:58pm — 14 Comments
1222-1222-122
वो ये भी कह रही है सिसकियों में,
बहुत जल बह चुका है नद्दियों में !
युवा फूलों पे मँडराने को लेकर,
मची है होड़ क्वाँरी तितलियों में.
धुँए को चीरकर घुसने लगी है,
चिता की आग गीली लकड़ियों में.
नदी के साथ मीठी मछलियाँ भी,
पहुँच जाती हैं खारी मछलियों में !
कई महलों में रहने योग्य हीरे,
दमकते फिर रहे हैं झुग्गियों में.
ये ‘एस.एम.एस.’ करने वाली…
ContinueAdded by जहीर कुरैशी on May 12, 2017 at 7:22pm — 7 Comments
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