For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सबसे बड़ी रदीफ़ में ग़ज़ल का प्रयास, सिर्फ रदीफ़ और क़ाफ़िया में पूरी ग़ज़ल - सलीम रज़ा रीवा

1222 1222 1222 1222
.....
वतन की बात  करनी हो तो मेरे पास आ जाओ .
अमन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ 
.....
बहारों  से  नज़ारों  से  सितारों  से नहीं मतलब .
नयन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ
....
गुलो गुलशन कली औ फूल शबनम मन को भाते है.
चमन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ
.....
न तो शिकवा शिकायत रूठने की बात मत करना.
मिलन  की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ

…..

बिना  समझे  न  ढूंढो  ऐब  मेरी  शायरी  में तुम.

सुख़न की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ

.....
रज़ा' मुझको नहीं  भाती  ये ख़ामोशी ये मायूसी.
जतन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ

.....
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1668

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on November 2, 2017 at 8:45pm

 दरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी

आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया, आपकी महब्बत सलामत रहे.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 25, 2017 at 12:28pm
बहुत सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
Comment by SALIM RAZA REWA on October 21, 2017 at 1:04pm
आ. बृजेश जी,
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया आप जैसे उम्दा ग़ज़ल कारों की प्रतिक्रिया पाकर मेरा प्रयास सार्थक रहा.. पुनः शुक्रिया.
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 21, 2017 at 11:01am
आदरणीय सलीम जी बाकई बेहतरीन ग़ज़ल हुई..बधाई
Comment by SALIM RAZA REWA on October 20, 2017 at 9:34pm
आ. इंद्रविद्यावचस्पति तिवारी जी,
आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया, आपकी महब्बत सलामत रहे.
Comment by indravidyavachaspatitiwari on October 20, 2017 at 7:21pm
नयन की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ।इतनी सटीक प्रहार करता है कि मन प्रफुल्ल हो जाता है। इतनी हृदयग्राही रचना के लिए बधाई कबूल करें।
Comment by SALIM RAZA REWA on October 20, 2017 at 5:48pm
आ. आशुतोष जी आपकी महब्बत और हौसला अफज़ाई के बहुत बहुत शुक्रिया..
Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 20, 2017 at 5:37pm
वाह आदरणीय ऐसी ग़ज़ल तो मैंने पहली बार पढी।।कमाल के इस रचना के लिए हरदुक बधाई स्वीकार करें सादर
Comment by SALIM RAZA REWA on October 20, 2017 at 1:13pm
सुरेंद्र भाई साहब, ग़ज़ल पसंद आई इसके लिए आपका शुक्रिया, रदीफ़ में कोई प्रकार नहीं होती भाई मेरे ग़ज़लों में सबसे बड़ी रदीफ़ है.. और जहां तक भरोसा है 21 वी. सदी में इस तरह से शायद कोई ग़ज़ल नहीं कही गई है. सादर I thinks it's a big radif
Comment by surender insan on October 20, 2017 at 12:00pm
बिना समझे न ढूंढो ऐब मेरी शायरी में तुम।
सुख़न की बात करनी हो तो मेरे पास आ जाओ।।
वाह जी वाह बहुत उम्दा जी। बहुत अच्छी ग़ज़ल के लिए दिली मुबारक़ बाद कबूल करे जी।
आदरणीय एक बात जानकारी के लिए पूछ रहा हूँ जी। रदीफ़ के तीन प्रकार अभी तक पता है। छोटी रदीफ़,मंझली रदीफ़ ,बड़ी रदीफ़।
आदरणीय सबसे बड़ी रदीफ़ से क्या आशय है जी? रदीफ़ से पहले सिर्फ काफ़िया की जगह बची है क्या यही जी?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service