20 मार्च "विश्व गौरैया दिवस" पर विशेष
याद आ रही है...
करीने से बँधी चोटियाँ
आँगन में खेलती बेटियाँ
गुड्डा-गुड़िया, गोटी-चिप्पी,
आइ-स्पाइस, छुआ-छुई
चंदा-चूड़ी, लँगड़ी-बिच्छी
याद आ रहा…
ContinueAdded by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 20, 2018 at 9:00am — 29 Comments
आप सही हैं,
वह भी सही है ,
हर एक सही है ,
फिर भी कुछ भी
सही नहीं है।
कुछ गिने चुने
लोग बहुत खुश हैं ,
यह भी सही नहीं है।
सच जो भी है ,
सब जानते हैं ,
बस मानते नहीं ,
यह भी सही नहीं है।
ऊँट सामने है ,
देखते नहीं,
हड़िया में ढूँढ़ते है ,
यह भी सही है।
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Dr. Vijai Shanker on February 21, 2018 at 8:40am — 13 Comments
कुछ डोरियां
कच्चे धागों की होती हैं ,
कुछ दृश्य होती हैं ,
कुछ अदृश्य होती हैं ,
कुछ , कुछ - कुछ
कसती , चुभती भी हैं ,
पर बांधे रहती हैं।
कुछ रेशम की डोरियां ,
कुछ साटन के फीते ,
रंगीले-चमकीले ,फिसलते ,
आकर्षित तो बहुत करते हैं ,
उदघाट्न के मौके जो देते हैं ,
पर काटे जाते हैं।
इस रेशम की डोरी
की लुभावनी दौड़ में ,
ज़रा सी चूक ,
बंधन की डोरियां
छूट गईं या टूट गईं ,
रेशम की डोरियां …
Added by Dr. Vijai Shanker on January 4, 2018 at 9:30am — 10 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on November 13, 2017 at 10:57am — 15 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on November 7, 2017 at 8:30am — 11 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on October 24, 2017 at 10:29am — 21 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on October 17, 2017 at 7:34am — 12 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on October 12, 2017 at 6:48pm — 10 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on September 30, 2017 at 10:45am — 10 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on September 30, 2017 at 10:44am — No Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on September 25, 2017 at 8:04pm — 16 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on September 6, 2017 at 9:09pm — 5 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on July 3, 2017 at 10:12am — 12 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on May 22, 2017 at 12:28pm — 1 Comment
Added by Dr. Vijai Shanker on May 8, 2017 at 8:00pm — 10 Comments
1- आंतरिक सम्बन्ध
**************
मैंने पीटा तो दरवाज़ा था
हिल उठी साँकल ...
खड़ खड़ कर के ....
और..
आवाज़ अन्दर से आयी
कौन है बे.... ?
बस...
मै समझ गया
तीनों के आंतरिक सम्बन्धों को
******
2- आग और पानी
*****************
आग बुझे या न बुझे
आग लग जाना दुर्घटना है, या साजिश
किसे मतलब है
इन बेमतलब के सवालों से
ज़रूरी है, अधिकार ....
पानी पर
सारा झगड़ा इसी…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on May 6, 2017 at 9:00am — 12 Comments
मैं , ओ बी ओ हूँ ...
***************
मैं , ओ बी ओ हूँ ...
मेरी छाया में हर विधा प्राण पाती रही ..
कितने ही शून्य आये
रहे
सीखे
और शून्य से अनगिनत हो गये
फर्श अर्श हुये
पर, मैं नहीं बदली , वही हूँ
वही रहूँगी
यही तो तय किया था मैंने
लेकिन, क्या ये सच नहीं
कि साज़िन्दे अगर सो जायें
बेसुरे हो ही जाते हैं गवैये ?
कितने भी सुरीले हों..
आज
मुझे सोचना पड़ रहा है ..
शब्द…
Added by गिरिराज भंडारी on April 13, 2017 at 6:30am — 2 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on March 9, 2017 at 8:30pm — 4 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on January 24, 2017 at 6:28pm — 7 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on January 7, 2017 at 8:46pm — 12 Comments
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