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सब सही पर कुछ भी सही नहीं है - डॉo विजय शंकर

आप सही हैं,
वह भी सही है ,
हर एक सही है ,
फिर भी कुछ भी
सही नहीं है।
कुछ गिने चुने
लोग बहुत खुश हैं ,
यह भी सही नहीं है।
सच जो भी है ,
सब जानते हैं ,
बस मानते नहीं ,
यह भी सही नहीं है।
ऊँट सामने है ,
देखते नहीं,
हड़िया में ढूँढ़ते है ,
यह भी सही है।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by Dr. Vijai Shanker on February 24, 2018 at 5:57am

आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप जी , आपकी सुखद अभिव्यक्ति के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 24, 2018 at 5:54am

आदरणीय सुरेंद्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप जी , आपकी सुखद अभिव्यक्ति के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 23, 2018 at 11:01am

आदरणीय सुश्री रक्षिता जी , आपके सुझाव के लिए आभार , आपने कविता को पूर्ण मनोयोग से पढ़ा इसके लिए भी मैं आपका आभारी हूँ।निवेदन है कि मैं यह संकेत देना चाहता हूँ कि ऊँट सामने है पर आप उसे दिखावे के लिए हंडिया में ढूंढते हैं , यह आपकी त्रुटि या भ्रम नहीं वरन सच है , यह आप जानबूझ कर करते हैं. अतः इसे सही लिखा गया है। यहां पर इस पर बल नहीं दिया गया कि ऐसा करना गलत है , वरन इस पर बल दिया गया कि आप यही कर रहे हैं , आप इसे स्वीकार करें कि यह आप जानबूझ ऐसा कर रहें हैं। इसलिए ऐसा लिखा गया है। संभवतः आप सहमत होंगी। आपकी बधाई के लिए धन्यवाद , सादर।

Comment by रक्षिता सिंह on February 23, 2018 at 8:38am

आदरणीय विजय जी नमस्कार

बहुत सुन्दर रचना, परन्तु  अन्तिम पंक्ति में " यह भी सही है, के स्थान पर यह भी सही नही है, ज्यादा बेहतर है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 22, 2018 at 9:52pm

आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब , आपका ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।

Comment by नाथ सोनांचली on February 22, 2018 at 6:26pm

आद0 विजय जी सादर अभिवादन। विचारोत्तेजक रचना के लिए दिल से बधाई देता हूँ। सादर

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 22, 2018 at 1:58pm

मुहतरम जनाब विजय साहिब , ज़हन में सवाल उठाती सुन्दर रचना हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं।

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 22, 2018 at 6:21am

आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , आप पुनः स्वस्थ होकर मंच पर आये , बहुत खुशी हुयी। आप स्वस्थ रहें और आते रहें , मंच और हम सब लाभान्वित होते रहें। आपसे रोज ही कुछ न कुछ सीखने को मिलता है , मिलता रहे।
आपको कविता पसंद आई , आभार , ह्रदय से। प्रश्न सोचने पर विवश करते हैं , सच है। बधाई के लिए धन्यवाद , सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 22, 2018 at 6:13am

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी , आपकी शुभकामनाओं के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 22, 2018 at 6:13am


आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी , आपकी विचार वान टिप्पणी के लिए आभार एवं बधाई के लिए धन्यवाद। सच किंचित कुछ नहीं माँगता है। सच सच होता है और नहीं होता है फिर भी मान लिया जाता है की है वह मिथ्या या झूठ होता है जो स्वयं में होता ही नहीं। वह क्या न मांग ले ? विषय चर्चा का है , सादर।

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