For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उठो हे स्त्री !
पोंछ लो अपने अश्रु
कमजोर नही तुम
जननी हो श्रृष्टि की
प्रकृति और दुर्गा भी, 
काली बन हुंकार भरो
नाश करो!
उन महिसासुरों का
गर्भ में मिटाते हैं
जो आस्तित्व तुम्हारा, 
संहार करो उनका जो
करते हैं दामन तुम्हारा
तार-तार,
करो प्रहार उन पर
झोंक देते हैं जो
तुम्हें जिन्दा ही
दहेज की ज्वाला में,
उठो जागो !
जो अब भी ना जागी
तो मिटा दी जाओगी और
सदैव के लिए इतिहास
बन कर रह जाओगी !!

मीना पाठक 
मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 622

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Satyanarayan Singh on May 23, 2014 at 5:29pm

इस प्रयास हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 23, 2014 at 11:29am

नारी पर होते अत्याचारों के विरुद्ध आक्रोश में लिखी गयी रचना.......पर अंत से मैं भी सहमत नहीं हूँ.... नारी इतिहास बनी तो सारी सभ्यताएं नष्ट हो जाएँगी. 

तर्क की कसौटी परभी रचनाएं सार्थक हों ऐसा प्रयास ही रहना चाहिए 

Comment by Meena Pathak on May 18, 2014 at 6:41pm

आदरणीय श्याम नारायण जी, आदरणीया अन्नपूर्णा जी, प्रिय जितेन्द्र जी, आदरणीय शिज्जू जी आप सभी का तहेदिल से आभार | सादर 

Comment by Meena Pathak on May 18, 2014 at 6:38pm

आदरणीय सौरभ सर , इन पक्तियों को मैंने उन माओं के लिए लिखा है  जो दबाव या किसी मजबूरी में अपने गर्भ में पल रही बेटियों को ना जन्मने के लिए मजबूर हो जाती है बस् ... यही बात मेरे दिल में थी लिखते समय 

आप के मार्गदर्शन में सीख रही हूँ सर ...रचनाकर्म में अभी बहुत खामियां है ..धीरे धीरे दूर करने का प्रयास कर सही हूँ ..आप की मार्गदर्शन रुपी टिप्पणी के लिए हृदय से आभार ..सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 15, 2014 at 1:10am

आदरणीया, उत्साह या आवेश में मुट्ठियाँ बाँधना एक बात है और रचनाकर्म ठीक दूसरी बात. ..:-))

स्ब कुछ सही है लेकिन स्त्रीयाँ न होंगी तो हमसब न होंगे.. अतः 

उठो जागो !
जो अब भी ना जागी
तो मिटा दी जाओगी और
सदैव के लिए इतिहास
बन कर रह जाओगी ... का क्या औचित्य ..?!..

बहरहाल, रचना प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ.
सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 8, 2014 at 10:52pm

बहुत खूब लाजवाब आदरणीया मीना जी दिलीदाद हाज़िर है

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 3, 2014 at 12:13am

बहुत प्रभावशाली रचना , आदरणीया मीना दीदी हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by annapurna bajpai on May 2, 2014 at 11:48pm

नारी को जागृत करती सुंदर रचना,  आ0 मीना दी बहुत बधाई । 

Comment by Shyam Narain Verma on May 2, 2014 at 4:34pm
बहुत  ही सुन्दर भावात्मक प्रस्तुति .. बधाई 
Comment by Meena Pathak on May 2, 2014 at 12:22pm

आभार स्वीकारें आ० अरुन जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय अजेय जी,  आपकी छंद-रचनाएँ शिल्पबद्ध और विधान सम्मत हुई हैं.  सर्वोपरि, आपके…"
41 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"योग ****    छोटी छोटी बच्चियाँ, हैं भविष्य की आस  शिक्षा लेतीं आधुनिक, करतीं…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
18 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई इस ग़ज़ल के लिए।  "
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि शुक्ल भैया,आपका अलग सा लहजा बहुत खूब है, सादर बधाई आपको। अच्छी ग़ज़ल हुई है।"
Thursday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
Tuesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service