For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चुनावी बहार - डॉo विजय शंकर

वाह रे तेरे लटके ,
वाह रे तेरे झटके ,
वाह रे तेरे फटके ,
वाह रे तेरा हँसना ,
वाह रे तेरा रोना ,
वाह रे तेरा धोना ,
वाह , एक दूसरे को धोना ,
अंत में सबका खूब
धुला धुला होना ,
वाह रे तेरा बेचैन होना ,
वाह रे तेरा चैन से सोना ,
वाह रे तेरा रूठना ,
वाह रे एक दूजे को मनाना ,
वाह रे तेरे आंसू , कितने
जबरदस्त कितने धांसू ,
जय जय जय हो .......

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 479

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 26, 2017 at 2:17am
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , आपकी स्पष्ट टिप्पणी के लिए आभार। जहां तक शब्दों का प्रश्न है , यह सारे शब्द फेसबुक पर प्रतिदिन प्रयोग हो रहे हैं। व्यंग और कटाक्ष में नित प्रयोग हो रहे हैं , हम केवल दृष्टा हैं। इस प्रस्तुति में तो उनमें से मात्र बीस प्रतिशत शब्द ही प्रयोग हुए हैं। स्थिति यह है कि सबके दावे अपने अपने हैं और वे क्या संकेत कर रहे हैं वह भी स्पष्ट दिख रहा है। एक रोचक बात यह है कि जो वास्तविकता है उस पर कहीं कोई चर्चा नहीं , जो दिख रहा है उसे नकारा जा रहा है जो संभव होना कठिन है वह ( स्वप्न की तरह ) दिखाया जा रहा है। ऐसे में हर बात को उपेक्षित मान कर छोड़ते जाना भी कभी कभी कठिन हो जाता है। वैसे आपकी बात भी सही है , में इन्हीं बातों को भिन्न तरह से भी कह सकता था , निसंदेह। आगे से अवश्य ख्याल रखूंगा , आपकी राय मेरे लिए बहुत महत्त्व रखती है।
आपका बहुत बहुत आभार और धन्यवाद , सादर।
Comment by Samar kabeer on January 25, 2017 at 8:41pm
आली जनाब डॉ.विजय शंकर जी आदाब,अगर इस कविता पर आपका नाम नहीं होता तो मैं इसे आपकी कविता क़तई नहीं मानता,गुस्ताख़ी की मुआफ़ी चाहता हूँ,आप ऐसे शब्दों में तो अपनी बात नहीं कहते ?माना कि ये कटाक्ष है, लेकिन ये आपका अंदाज़ नहीं,बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 25, 2017 at 8:24pm
आदरणीय डॉo आशुतोष मिश्रा जी , स्वीकृति और पसंद करने के लिए आभार और धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 25, 2017 at 8:24pm
प्रिय मिथिलेश वामनकर जी , स्वीकृति और पसंद करने के लिए आभार और धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 25, 2017 at 7:57pm
आदरणीय विजय सर आज जे इस माहोल पे खूब हुयी है ये रचना इस रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 25, 2017 at 7:57pm
आदरणीय विजय सर आज जे इस माहोल पे खूब हुयी है ये रचना इस रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 25, 2017 at 6:45pm

आदरणीय विजय शंकर सर, क्या ही तीखा कटाक्ष हुआ है. समसामयिक माहौल को क्या खूब शाब्दिक किया है. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
13 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service