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!! स्वर्ग !!

- देख तेरे लिए तेरी पसंद की कचौड़ी जलेबी लाया हूँ ,एकदम गरमा गरम......चल फटा फट खा ले.......दो दिन से तूने कुछ नही खाया........देख तो कैसे मुंह सूख गया है........चल गुस्सा छोड़...खा ले जल्दी से.......फ़िर हम तुम मजे करेंगे............देख तो कितनी मस्त हवा चल रही है,कितना मस्त मौसम है........अच्छा चल ले, कान पकड़ता हूँ......अपनी कसम......माँ की कसम .......तेरे सर की कसम,अब कभी तेरे पर हाथ न उठाऊंगा.





-चलो हटो,कह दिया न भूल से भी छूना मत मुझे,नही चाहिए...जलेबी कचौडी.......भूखी मर… Continue

Added by रंजना सिंह on December 16, 2010 at 11:31am — 6 Comments

पत्र: माँ के नाम...!!

माँ... ... ...

आज खुश हूँ बहुत...

शायद इसलिए... कुछ सूझ नहीं रहा...

लिखनें को... सिर्फ इस शब्द 'माँ' के…

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Added by Julie on December 15, 2010 at 9:00pm — 2 Comments

GHAZAL - 11

                       ग़ज़ल





दिलनशीं, सुन ले कि- मुझको, तुझ से कितना प्यार है |

तुझमें    ही    सारी   दुनिया,   और    मेरा    संसार    है ||



प्यार है इतना नज़र से ,   दिल   तलक   तेरे   वास्ते ,

ज़र्रे - ज़र्रे    में    तेरा    ही    अक्श    एक    दरकार   है ||…



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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 15, 2010 at 8:00pm — 2 Comments

आखरी पन्ने -6 (दीपक शर्मा कुल्लुवी)

गतांक - 5 से आगे


आखरी पन्ने -6
(दीपक शर्मा 'कुल्लुवी')


भुलाया न गया
लाख चाहा तेरी यादों को भुलाया न गया
आप भी लौट के आये न हमसे जाया गया
दूरियां दिल की नहीं तेरी मेरी जिद्द की थी
फासला…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on December 15, 2010 at 5:00pm — 2 Comments

एक गीत होता है... --संजीव 'सलिल'

एक गीत

होता है...

संजीव 'सलिल'

*

जाने ऐसा क्यों होता है?

जानें ऐसा यों होता है...

*

गत है नीव, इमारत है अब,

आसमान आगत की छाया.

कोई इसको सत्य बताता,

कोई कहता है यह माया.



कौन कहाँ कब मिला-बिछुड़कर?

कौन बिछुड़कर फिर मिल पाया?

भेस किसी ने बदल लिया है,

कोई न दोबारा मिल पाया.



कहाँ परायापन खोता है?

कहाँ निजत्व कौन बोता है?...

*

रचनाकार छिपा रचना में

ज्यों सजनी छिपती सजना में.

फिर…

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Added by sanjiv verma 'salil' on December 15, 2010 at 12:27am — 1 Comment

GHAZAL - 5

                          ग़ज़ल



मीत   मेरे   मैं   तुम्हारी   रूह   का   श्रृंगार   हूँ |

प्यार हो तुम मेरे दिल का, मैं तुम्हारा  प्यार हूँ ||



हर   ख़ुशी  और  राह  मेरी,   मीत  मेरे  एक है,

तू मेरा आधार  प्रियतम,  मैं   तेरा  आधार  हूँ ||



तू…

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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 14, 2010 at 9:30pm — No Comments

GHAZAL - 13

                     ग़ज़ल



इस  तरह  तोड़ा  हमारा   दिल    हमारे   प्यार   ने.|

जैसे  क  जीने  का  हम  से  ले  लिया  संसार   ने || 



जिंदगी  को   आज  जकड़ा,  इस  तरह  तूफ़ान  ने,

ले  लिया  आगोश  मैं  मुझे  दर्द  के  …

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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 14, 2010 at 9:30pm — 2 Comments

पर उनको ख़त लिख नहीं पाया

याद किया और कलम उठाया,
पर उनको ख़त लिख नहीं पाया.
प्यार लिखूं -दिलदार लिखूं या,
दिल की धड़कन- समझ न पाया.
सोने की कोशिश में थककर,
रात को वो भी जगते होंगे.
उनके तसव्वुर में भी शायद,
कितने सपने सजते होंगे.
मिलना तो कई बार हुआ,
पर क्यों मिलता हूँ कह नहीं पाया.
याद किया और कलम उठाया,
पर उनको ख़त लिख नहीं…
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Added by satish mapatpuri on December 14, 2010 at 1:30pm — 3 Comments

आखरी पन्नें-5 दीपक शर्मा कुल्लुवी

गतांक 4 से आगे
आखरी पन्नें-5 दीपक शर्मा कुल्लुवी
कुछ तो पल जी लेने दे
सपनों में आना छोड़कर
रह जाएंगी बाद तन्हा
यह तनहाइयाँ मेरी
इंसान अपने स्कूल कॉलिज में बिताए पल कभी नहीं भूलता वोह मस्तियाँ ,शरारतें,घूमना ,फिरना, यह वोह समय होता है जब वोह खुद को शहंशाह समझता है कई सपनें संजोता है यह वोह रंगीन पल होते हैं जिन्हें वोह उम्र भर याद करता है इससे अच्छा समय फिर ज़िन्दगी में कभी नहीं आता वोह बेफिक्री,लापरवाही फिर कहाँ नसीब…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on December 14, 2010 at 1:29pm — 1 Comment

ऐसे ही बनेगा सशक्त समाज

भारत जैसे विशाल देश का समाज भी उतना ही बड़ा है। ऐसे में हर किसी का दायित्व बनता है कि वे स्वच्छ समाज के निर्माण में सकारात्मक योगदान दें। देखा जाए तो आधुनिक समाज में कई तरह की अपसंस्कृति हावी हो गई है, इन्हीं में से एक है, नशाखोरी। यह बात आए दिन कई रिपोर्टों से सामने आती रहती है कि नशाखोरी से व्यक्ति और समाज को किस तरह नुकसान है। बावजूद, लोग अपसंस्कृति के दिखावे में ऐसे कृत्य कर जाते हैं, जिससे समाज शर्मसार तो होता ही है, खुद उस व्यक्ति का भी भविष्य दांव पर लग जाता है। नशाखोरी की प्रवृत्ति के…

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Added by rajkumar sahu on December 14, 2010 at 11:25am — No Comments

आचार्य विनोबा भावे

संत विनोबा भावे का वास्‍तविक नाम था विनायक नरहरि भावे। उनकी समस्‍त जिंदगी साधु संयासियों जैसी रही, इसी कारणवश वह एक संत के तौर पर प्रख्‍यात हुए। वह एक अत्‍यंत विद्वान एवं विचारशील व्‍यक्तित्‍व वाले शख्‍स थे। महात्‍मा गॉंधी के परम शिष्‍य जंग ए आजा़दी के इस योद्धा ने वेद, वेदांत, गीता, रामायण, कुरान, बाइबिल आदि अनेक धार्मिक ग्रंथों का उन्‍होने गहन गंभीर अध्‍ययन मनन किया। अर्थशास्‍त्र, राजनीति और दर्शन के आधुनिक सिद्धांतों का भी विनोबा भावे ने गहन अवलोकन चिंतन किया। गया। जेल में ही विनोबा ने 46…

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Added by prabhat kumar roy on December 14, 2010 at 7:30am — 2 Comments

विराम चिह्न !! मेरे तुम्हारे नाम का ::: ©

विराम चिह्न !! मेरे तुम्हारे नाम का ::: ©



मैं जानती हूँ के साथ मिला..

कह दी मुझसे तुमने हर बात..

यत्र-तत्र-सर्वत्र करा दिया भान..

मुझ ही को मेरे होने का..



नाव पतवार के बहाने..

तो कभी..

तप्त ओस भाप-बादल के बहाने..



सूखे से जीवन में हरियाली सा..

ढाक-पत्तों…

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Added by Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह on December 14, 2010 at 1:00am — 1 Comment

मुक्तिका: ख्वाब में बात हुई..... संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:



ख्वाब में बात हुई.....



संजीव 'सलिल'

*

ख्वाब में बात हुई उनसे न देखा जिनको.

कोई कतरा नहीं जिसमें नहीं देखा उनको..



कभी देते वो खलिश और कभी सुख देते.

क्या कहें देखे बिना हमने है देखा किनको..



कोई सजदा, कोई प्रेयर, कोई जस गाता है.

खुद में डूबा जो वही देख सका साजनको..



मेरा महबूब तो तेरा भी है, जिस-तिस का है.

उसने पाया उन्हें जो भूल सका है तनको..



उनके ख्यालों ने भुला दी है ये दुनिया…

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Added by sanjiv verma 'salil' on December 13, 2010 at 7:34pm — 4 Comments

कथ्य-शिल्प गोष्ठी-०२ एक रपट

कथ्य-शिल्प गोष्ठी-०२ एक रपट
बनारस की साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था द्वारा कथ्य शिल्प गोष्ठी का आयोजन रविवार १२ दिसंबर को चेतगंज स्थित मंशाराम फाटक सभागार में किया गया |अध्यक्षता प्रख्यात साहित्यकार और 'सोच-विचार'के संपादक डॉ.जीतेंद्र नाथ मिश्र ने की |विषय प्रवेश दानिश जमाल ने किया |
इस बार चयनित युवा रचनाकार अभिनव अरुण (अरुण कुमार पाण्डेय अभिनव)ने अपनी चुनिन्दा दस रचनाओं का पाठ किया | इस पर…
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Added by Abhinav Arun on December 13, 2010 at 1:54pm — 4 Comments

विधि का विधान : प्रो. सत्यसहाय दिवंगत.....

विधि का विधान : प्रो. सत्यसहाय दिवंगत.....
संजीव वर्मा 'सलिल' SS Shrivastava.jpg
वयोवृद्ध शिक्षाविद-अर्थशास्त्री प्रो. सत्यसहाय श्रीवास्तव
बिलासपुर, छत्तीसगढ़ २८.११.२०१०. स्थानीय अपोलो चिकित्सालय में आज देर रात्रि विख्यात अर्थशास्त्री, छत्तीसगढ़ राज्य में महाविद्यालायीन शिक्षा के सुदृढ़ स्तम्भ…
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Added by sanjiv verma 'salil' on December 13, 2010 at 2:07am — 3 Comments

GHAZAL - 12

                               ग़ज़ल





आ  जाओ  हमारी  बांहों  में,   कुछ   प्यार   मोहब्बत   हो  जाये |

ये    प्यार   इबादत   होता   है,  आओ   ये   इबादत  हो   जाये ||



दुनिया  से  भला  क्या   घबराना, जलता  है  कोई  तो  जलने  दो.

आ  जाओ  मिला  लें  दिल  से दिल,  दुनिया से…

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Added by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 13, 2010 at 12:30am — 1 Comment

महल्ला का गुंडा , देश का गुंडा , दुनिया का गुंडा

महल्ला का गुंडा , देश का गुंडा , दुनिया का गुंडा .



देश की सीमा कि तरह गुंडो का भी अधिकार क्षेत्र होता है। जैसे महल्ले का गुंडा ,…

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Added by madan kumar tiwary on December 12, 2010 at 10:00pm — No Comments

विज्ञान के विद्यार्थी का प्रेम गीत

अवकलन समाकलन

फलन हो या चलन-कलन

हरेक ही समीकरन

के हल में तू ही आ मिली



घुली थी अम्ल क्षार में

विलायकों के जार में

हर इक लवण के सार में

तु ही सदा घुली मिली



घनत्व के महत्व में

गुरुत्व के प्रभुत्व में

हर एक मूल तत्व में

तु ही सदा बसी मिली



थीं ताप में थीं भाप में

थीं व्यास में थीं चाप में

हो तौल या कि माप में

सदा तु ही मुझे मिली



तुझे ही मैंने था पढ़ा

तेरे सहारे ही बढ़ा

हुँ आज भी वहीं खड़ा

जहाँ मुझे थी तू…

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Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 12, 2010 at 6:33pm — 3 Comments

मैंने लिखना छोड़ दिया

जब शब्द पड़ गए कम तो मैंने लिखना छोड़ दिया

जब आँखें न हुई नम तो मैंने लिखना छोड़ दिया

पूछा गया के तुमने महफिल में दिखना छोड़ दिया

हम बोले की हमने बिकना छोड़ दिया

न लडखडाये उस वक्त जब राहों में रुकना छोड़ दिया

उड़ने लगे जो आसमां में हम तो कदमों ने दुखना छोड़ दिया

पीते थे जिस जाम में उस जाम को मैंने तोड़ दिया

लिखते लिखते लिख पड़ी कलम के मैंने लिखना छोड़ दिया

Added by Bhasker Agrawal on December 12, 2010 at 4:31pm — 2 Comments

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